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तत्त्वार्थ सूत्र
तद्भावः परिणामः ॥४१॥
अर्थ - उसका भाव (परिणमन) परिणाम है अर्थात् स्वरूप में रहते हुए उत्पन्न तथा नष्ट होना परिणाम है।
अनादि-रादिमांश्च ॥४२॥
अर्थ - परिणाम के दो प्रकार होते हैं - अनादि और आदिमान ।
रूपिष्वादिमान् ॥४३॥ अर्थ - रूपी द्रव्यों में आदिमान् परिणाम होता है। योगोपयोगौ जीवेषु ॥४४॥
अर्थ - जीव में योग और उपयोग - ये दो परिणाम आदिमान् होते हैं।