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तत्त्वार्थ सूत्र
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अर्थ - पूर्व प्रयोग, संग- अभाव, बन्ध-विच्छेद तथा गति-परिणाम इन चार हेतुओं से आत्मा ऊर्ध्व गति करती है।
क्षेत्र - काल - गति - लिङ्ग-तीर्थ - चारित्र - प्रत्येकबुद्धबोधित - ज्ञाना-वगाहना - ऽन्तर - संख्या - ऽल्पबहुत्वतः
साध्याः ॥७॥
अर्थ क्षेत्र, काल, गति, लिंग, तीर्थ, चारित्र, प्रत्येकबुद्धबोधित, ज्ञान, अवगाहना, अंतर, संख्या, अल्प बहुत्व - इन बारह द्वारों से सिद्ध जीवों का स्वरूप समझना चाहिए ।