Book Title: Tattvagyan Smarika
Author(s): Devendramuni
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

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Page 60
________________ पुदगल संस्थान Jain Education International (१) परिमण्डल (२) वृत्त (३) त्र्यत्र प्रतर घन प्रतर घन प्रतर घन युग्मप्रदेश युग्मप्रदेश (क) (ख) (ग) (घ) ओजः प्रदेश युग्मपदेश ओजः प्रदेश युग्मप्रदेश (क) (ख) ओजः प्रदेश युग्मप्रदेश (ग) (घ) ओजः प्रदेश युग्मप्रदेश। परमाणु-पुद्गल संस्थान (४) चतुरस्र For Private & Personal Use Only (५) आयत प्रतर श्रेणी प्रतर घन (क) (ख) (ग) ओजः प्रदेश युग्मप्रदेश ओजः प्रदेश (घ) युग्मप्रदेश (क) (ख) (ग) (घ) ओजः प्रदेश युग्मप्रदेश ओजः प्रदेश युग्मप्रदेश www.jainelibrary.org (ङ) ओजः प्रदेश (च) युग्मप्रदेश * ओजः प्रदेशः- अयुग्ममात्रे च । “ ओजे तपरौ जरौ गुरुश्चेत् ” इत्यादौ अयुग्मपादे प्रयोगात् ( वाचस्पत्यम् द्वि० भाग)। प्रथम-तृतीयादौ विषमराशौ अर्थे प्रयोगः ।

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