Book Title: Tattvagyan Smarika
Author(s): Devendramuni
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

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Page 118
________________ देवलोक की सृष्टि [१११ सूर्य का व्यास आठ करोड़ मोल है और शनि के दस उपग्रहों में सबसे बड़े उपवृश्चिक में आये हुए पारिजात नामक तारे का । ग्रह 'टाइटन' पर जीवन की सम्भावना है। व्यास ३९ करोड़ मील से अधिक है। इसका इसी तरह बहस्पति के उपग्रहों के बारे में आकार इतना बड़ा है कि तीन करोड़ सूर्यो को भी यह सोचा जा रहा है। वह अपने में समेट सकता है। बृहस्पति के १२ उपग्रहो में बड़े है -- ब्रह्मांड नामक तारामण्डल का एक तारा आइओ. यरोपा. गैनीमीड और कैलिस्टो: सबसे 'एप्सिलोन' तीन अरब पचहत्तर करोड़ किलो- छोटा उपग्रह हैं-एमाल्थियाइन । मीटर व्यासवाला है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इन उपग्रहों में से ___ हमें यह ध्यान में रखना चाहिये कि यह कुछ में जीवन की पूर्ण संभावना है । माप उसके क्षेत्रफल का नहीं, अपितु व्यास का है। सन् १९६१ में-पश्चिम वर्जीनिया के 'ग्रीन वैज्ञानिकों ने एक अति विशालकाय तारे बैंक नेशनल रेडियो आब्जर्वेटरी' में एक सम्मेलन का पता लगाया है, उसका नाम है-बी ३८१ हुआ था। वृश्चिक । इस तारे का व्यास सूर्य-व्यास से ३००० गुना है। हमारी पृथ्वी का व्यास केवल ___ यहाँ सभी वैज्ञानिक एक 'ग्रीन बैक फार्मला' आठ हजार मील है । इस तुलना से इन तारों | पर एकमत हो गये कि केवल अपनी आकाशके विराट आकार एवं क्षेत्रफल का सहज ही गंगा में ही पाँच करोड़ सभ्यताएँ मौजूद हैं, जो अनुमान लगाया जा सकता है। | आपसी सम्पर्क के लिए कोशिश कर रही हैं । खगोल-विज्ञान की आधुनिक खोजें यह कोलंबिया विश्वविद्यालय के डॉ. लियोड मोज प्रमाणित करती हैं कि-विराट-ब्रह्माण्ड में ऐसे कहना है कि --- करोड़ों ग्रह एवं उपग्रह विद्यमान है, जहाँ जीवन __अपनी आकाशगंगा में १०० अरब तारे है; जहाँ विकसित सभ्यताएँ है। इस विराठ हैं, जिनमें २० करोड़ तारे अपने सूर्य के समान विश्व के असंख्य ग्रह-उपग्रहों में अनेक चन्द्रलोक हैं और ६० करोड़ ग्रहों पर सभ्य जीवन है । व सूर्यलोक है-इसमें कोई शक नहीं है। प्रसिद्ध मानव-विज्ञानशास्त्री आशले मौंटेगू ___ आइये ! वर्तमान विज्ञान जगत् की उन | ने विश्वासपूर्वक कहा है कि - उपलब्धियाँ का अवलोकन करें जो स्पष्ट बताती 'दूसरे ग्रहों के जीव निश्चय ही हम से है कि विराट् ब्रह्माण्ड में करोड़ों ग्रहो पर जीवन | ज्यादा विकसित और बुद्धिमान हैं।' एवं विकसित सभ्यताएँ हैं। प्रख्यात, कथाकार श्री एच. जी. वेल्स ने कुछ समय पहले 'मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट | अपनी पुस्तक 'दि वार ऑफ दि वर्ड्स' में यह ऑफ टेक्नोलोजी' ने एक रिपोर्ट दी थी कि- । बताया है कि - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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