Book Title: Tattvagyan Smarika
Author(s): Devendramuni
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

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Page 133
________________ १२६ ] · तस्वशान-स्मारिका दक्षिण ध्रुवकी ओर घूम जाना चाहिये, पर ऐसा | सार इस नहरके उभारकी गोलाई, ६१० नहीं होता। फुट होनी चाहिये । सिरोंकी अपेक्षा मध्यका इससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी अवश्य | उठाव २५६ फुट होना चाहिये ।। चिपटी है; क्योंकि चूम्बककी सूई कहीं भी रहे, | किन्तु स्टेट इंजीनियरकी रिपोर्ट के अनुसार मध्यमार्गका निर्देश करती रहती है । साथ ही | यह उँचाई ३ फुटसे भी कम है। साथ यह भी कह देना उचित होगा कि | स्वेजकी नहर लीजिये-दोनों ओर समुद्र पृथ्वीके गोलेको सबसे बड़ी परिधि भूमध्य रेखाके | है, लेवल समान क्यों ? नीचे है और सबसे छोटी उत्तरी ध्रुव पर। यदि पृथ्वी गोल है तो उसकी स्वाभाविक (११) यदि पृथ्वीको गोल माने और | । गोलाई में किनारों की अपेक्षा बीचका भाग १६६६ फुट ऊँचा होना चाहिये। उसकी परिधि २४,००० मील माने तो २४ इसे दृष्टि में रख कर यदि 'लालसागर' से घंटेके हिसाबसे उसे अपनी धूरी पर एक घंटेमें भूमध्यसागरकी तुलना करें तो भूमध्यसागर १००० मील घूम जाना चाहिये, किंतु यह तीव्र लालसागरसे केवल ६ इंच ऊँचा होगा। गति इतनी प्रबल है कि धरातलकी प्रत्येक वस्तु (१५) पाठशालाओंमें पृथ्वीके गोल होनेका चिथड़े होकर छितरा जायगी। सबसे लोकप्रिय उदाहरण समुद्रमें दूर जाते हुए (१२) यदि यह कहा जाय कि पृथ्वीकी जहाजसे दिया जाता है । इस उदाहरणमें जहाआकर्षण शक्ति ऐसा नहीं करने देती तो न्यूयोके जके क्षितिजके पार छिपते जानेसे और केवल से शिकागो तक (लगभग १००० मील) कोई मस्तूलके ऊपरका भाग दिखाई देनेसे पृथ्वीकी भी मनुष्य बैलूनमें घण्टेभर भी यात्रा कर सकता गोलाई प्रमाणित की जाती है, किन्तु यह सचहै। इसी प्रकार दो-तीन घंटेमें शिकागोसे मुच दृष्टिभ्रम है । अपनी आंखें गोल होनेसे दूरकी सान्मासिस्को तक यात्रा कर सकता है, जो | वस्तु कुछ विपरीत ही दीखती हैं। नितांत अशक्य है। (१६) दृष्टिभ्रमके कई उदाहरण है जिसे (१३) पृथ्वी घूमती हो तो पृथ्वीमेंसे अमुक | 'पर्सपेक्टिव' कहते हैं। रेलकी पटरियां आगे स्थानसे सीधी उँचे एक मील एक बंदूक द्वारा आगे मिली हुई देखकर क्या कोई अनुमान कर गोली छोड़ी। गोली एक मिनट बाद नीचे पडे, सकता है कि वे क्षितिजके पार जाकर मुड़ गई तो पृथ्वीकी गति ८ मील चली गई माना है; | है । वास्तवमें यह बिन्दु जो दोनों पटरियांको तो गोली उसी स्थान पर क्यों गिरती है? जोड़ता है, इतना सूक्ष्म होता है कि हमारी (१४) अब उदाहरणार्थ “ऐरिक' नामक साधारण दृष्टि उसके पार नहीं पहुँच सकती। नहरको ही लीजिये। इस शक्तिशाली दूरवीक्षण यंत्रसे देखा जाय यह नहर लोकपोष्टसे रोचेटर तक ६० मील तो निश्चय ही पूरा जहाज दिखाई देगा । क्या लम्बी है । "पृथ्वी गोल है" इस सिद्धांतके अनु- पानीकी सतह गोल होने पर ऐसा दृष्टिगत होता ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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