Book Title: Tattvagyan Smarika
Author(s): Devendramuni
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

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Page 92
________________ वैशानकों की दृष्टि से सूर्य का परिवार पत्थरों, रजकणों या बर्फ के टुकड़ों से बने हैं, सबसे बाहर की ओर है; पर इसकी परिक्रमा जो नन्हे-नन्हे उपग्रहों की भांति छल्लों के रूप का मार्ग इतना अंडाकार है कि अधिकांशतः में शनि की परिक्रमा करते रहते हैं। सबसे बड़े सूर्य से दूरी इसकी ३ अरब ६७ करोड़ मील छल्ले का व्यास १ लाख ७० हजार मील है; होने पर भो यह वरुण से भी सूर्य के नजदीक पर ये छल्ले २० मील से ज्यादा मोटे नहीं । । चला जाता है । इसे सूर्य परिक्रमा करने में इन छल्लों के अतिरिक्त शनि के ९ उपग्रह हैं, | २४८३ वर्ष लगते हैं। ... जिनमें से एक-टाइटन-बुध से भी बड़ा है। । युरेनस सूर्य की परिक्रमा ८४ वर्ष में पूरी | | सब ग्रह अपनी धुरियों पर चक्कर लगाते करता है-१ अरब ७८ करोड ३० लाख मील | हैं और सूर्य की परिक्रमा करते हैं । इन नवग्रहों की दूरी से । युरेनस के भी ५ उपग्रह हैं। के अतिरिक्त सूर्य ३ हजार क्षुद्र ग्रहों वरुण १६५ वर्ष में सूर्य की एक परिक्रमा | (एस्टराय्ड) और कई हजार धूमकेतु व उल्कापूरी करता है २ अरब ८० करोड़ मील की दूरी | समूहों का नियंत्रण भी करता है। से । इसके भी २ उपग्रह हैं। प्लूटो बहुत ही छोटा ग्रह है, पृथ्वी के आधे । [हिन्दी नवनीत अगस्त १९६५ से साभार से भी छोटा । यह सूर्य-परिवार के ग्रहों में | उद्धृत ] सत्य की व्याख्या नित-नये वैज्ञानिक-आविष्कारोंसे वर्तमान युग प्रगतिका ५ युग कहा जाता है, फिर भी वैज्ञानिक चकाचौंधमें अच्छे अच्छे मनीषीलोक भी सत्यके दर्शनकी मूलभूत प्रणालिको भूल कर टूचका जाते हैं। फलतः - बुद्धि और मनकी सीमा तक कीजाने वाली दौडके द्वारा है * होनेवाले सत्यका यत्किश्चित् या विकृत दर्शनको ही पूर्णसत्य " ८ माननेकी धृष्टताका उदय होता है । “सत्यं ह्यतीन्द्रियम् " किन्तु आप्त पुरुषों का यह बात - सत्यको इन्द्रिय-मन एवं बुद्धिसे पर बतलाती है, अतः "गंभीर भी ६ रहो" बोलनेकी जरूरत है। MAKICHIKICKR HORROLORROR Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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