Book Title: Tap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
________________
तप साधना की उपादेयता एवं उसका महत्त्व...163
8. बुद्धलीलासार संग्रह, पृ. 280-281 9. उत्तराध्ययनसूत्र, 29/13 10. वही, 29/27-28 11. वही, 25/35 12. जहा महातलायस्स, सन्निरूद्ध जलागमे । उस्सिंचणाए तवणाए, कमेणं सोसणा भवे ॥
एवं तु संजयस्सावि, पावकम्मनिरासवे । भवकोडी संचियं कम्म, तवसा निज्जरिज्जइ ।
वही, 30/5-6 13. निःसङ्गता शरीरलाघवेन्द्रियविजयसंयमरक्षणादि । गुण योगात् शुभध्यानावत्थितस्य कर्मनिर्जरणम् ।।
उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 608 14. दशाश्रुतस्कन्ध, संपा. मधुकरमुनि, 5/6, पृ. 35 15. मैत्रायणी आरण्यक, 1/4 16. योगवाशिष्ठ, 2/68/14 17. हठयोगप्रदीपिका, 1/17 18. योगदर्शन, 2/52 19. मज्झिमनिकाय, 2/2/2, विसुद्धिमग्गो, पृ. 269 20. योगदर्शन, 1/51 21. आवश्यकनियुक्ति, 1459 22. (क) आर्ष, 21/12
(ख) तत्त्वानुशासन, पृ. 161 23. जैन योग का आलोचनात्मक अध्ययन, दिगे अर्हतदास बन्डोवा, पृ. 161 24. सूत्रकृतांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 1/16/1 25. दशवैकालिक हारिभद्रीय टीका, अध्ययन 10 26. उत्तराध्ययननियुक्ति, (नियुक्तिपंचक), गा. 373 27. दशवैकालिक हारिभद्रीय टीका, अध्ययन 1 28. सूत्रकृतांग, 1/16/1 की शीलांक टीका, पृ. 263 29. कल्पसूत्र, संपा. देवेन्द्रमुनिशास्त्री, 196 30. उग्गं च तवोकम्म, विसेसओ वद्धमाणस्स।
आवश्यकनियुक्ति, गा. 240
Page Navigation
1 ... 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316