Book Title: Tap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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212... तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक
पर 'कातेबीन' स्थित रहते हैं जो क्रमशः नेकी तथा बदी का लेखा-जोखा बनाते हैं। इन दोनों के द्वारा पूरे साल का बनाया गया लेखा-जोखा इसी रात अल्लाह के समक्ष पेश किया जाता है। मनुष्य के अच्छे तथा बुरे कार्यों के अनुसार अल्लाह उसके भाग्य का निर्धारण करते हैं।
आज के दिन मुस्लिम लोग पूरी रात जागकर अल्लाह से प्रार्थना करते हैं तथा पवित्र कुरान की आयतों का पाठ करते हैं। इस रात लोग अपने मृतक सम्बन्धियों के उद्धार तथा उनकी शान्ति के लिए 'फ़ातिहा' भी पढ़ते हैं। 14
उक्त वर्णन के अनुसार कहा जा सकता है कि इस्लाम धर्म आत्म समर्पण का धर्म है। इस्लाम का अर्थ है - ईश्वर के प्रति प्रणति (Submission to God)। इस धर्म में पाँच मुख्य कर्त्तव्यों में से चौथे कर्तव्य के रूप में रोजा आवश्यक माना गया है। उनकी मान्यतानुसार वर्ष भर में रोजा कभी भी रख सकते हैं, परन्तु रमजान को पवित्रतम महीने में (जब कुरान को मुहम्मद साहब के पास उतारा गया था, उस माह में) करने का विशेष महत्त्व है। उन दिनों (30 दिन) प्रत्येक मुस्लिम सूर्योदय से सूर्यास्त अन्न जल का त्याग रखते हैं। साथ ही धूम्रपान, मदिरा, टी.वी. आदि अनैतिक कार्य आदि का भी त्याग रखते हैं तथा शरीर के प्रति निर्ममत्व भाव एवं इन्द्रिय नियन्त्रण रखते हुए सांसारिक चिन्ताओं से मुक्त रहते हैं। इस माह में दान की विशेष प्रवृत्ति देखी जाती है तथा यह तप रोगी, वृद्ध, यात्री, गर्भवती स्त्री, आठ-दस साल से छोटे बालकों के अतिरिक्त सभी के लिए अनिवार्य माना है।
यदि रोजा की तुलना जैन धर्म के उपवास आदि से करें तो इनमें दिन भर की प्रवृत्ति तो चौविहार उपवास के समान है पर जैन सिद्धान्तों के विपरीत यहाँ पर रात्रिभोजन की प्रवृत्ति देखी जाती है। इसके अतिरिक्त अन्य पर्वों में भी उपवास, प्रार्थना, अतिथि सत्कार आदि की प्रवृत्ति है जिससे सिद्ध होता है कि यहाँ अन्य रूप में ही सही तप को स्थान दिया गया है।
सन्दर्भ सूची
1. व्रतपर्वोत्सव विशेषांक, पृ. 16
2. मनुस्मृति, 12/5-6
3. व्रतपर्वोत्सव विशेषांक, पृ. 486 4. वही, पृ. 477

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