Book Title: Tap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 262
________________ 196...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक अन्य परम्पराओं की तुलना में सनातन-परम्परा की यह खासियत है कि इसमें प्रत्येक मास और प्रत्येक वार के व्रत किये जाते हैं। यहाँ महीनों की अपेक्षा से अनेक प्रकार के व्रत-विधान प्रचलित हैं जिनका सामान्य वर्णन इस प्रकार है - चैत्र मास के व्रत 1. नवरात्र - चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के शुक्ल पक्ष की एकम से नवमी तक नौ दिन नवरात्र कहलाते हैं। इन नौ दिनों में दुर्गादेवी की विशेष आराधना की जाती है। 2. रामनवमी - यह व्रत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम की जयन्ती के शुभ अवसर पर किया जाता है। अगस्त्य संहिता के अनुसार यह व्रत सभी के लिए भुक्ति-मुक्ति दाता है। 3. अनंग त्रयोदशी - चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी अनंग त्रयोदशी कहलाती है। इस दिन व्रत करने से दाम्पत्य प्रेम में वृद्धि होती है तथा पुत्री-पुत्रादि का अखण्ड सुख प्राप्त होता है। ___4. हनुमान जयन्ती - चैत्र शुक्ला पूर्णिमा को हनुमान की आराधना करते हुए किया जाता है। ___5. सौभाग्यशयन व्रत - यह व्रत चैत्र मास शुक्ल पक्षीय तृतीया को करते हैं। इस दिन भगवान शंकर का दक्षपुत्री सति के संग विवाह हुआ था और वह पुत्री सौभाग्य रसपान के अंश से उत्पन्न हुई थी, अत: तीनों लोकों में सौभाग्यरूपा मानी गयी है। इस व्रत के करने से उत्तम सौभाग्य तथा भगवान शंकर की कृपा प्राप्त होती है। 6. गणगौर व्रत - चैत्र वदि एकम से तीज तक शिव-पार्वती के रूप में ईश्वर-गौरी की पूजा करते हैं। इसलिए इसका नाम गणगौर तीज व्रत है। यह गौर पूजा सौभाग्यवती स्त्रिओं एवं कन्याओं का विशेष त्यौहार है जिसमें वे श्रेष्ठ वर प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं। इसी तरह गणेश दमनक चतुर्थी, अशोकाष्टमी, कामदा एकादशी, शीतला सप्तमी आदि व्रत किये जाते हैं। वैशाख मास के व्रत स्कन्ध पुराण में इस महीने को उत्तम मास कहा गया है। इस महीने में व्रत पालक पुरुष सर्व पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक में जाते हैं। 1. मेष संक्रान्ति - जिस दिन सूर्य मीन राशि से मेष राशि में संक्रमण

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