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198... तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक
शुभारम्भ किया जाता है, जो कार्तिक शुक्ला द्वादशी को समाप्त होता है।
इस व्रत अवधि में व्रती मांस, मधु आदि का त्याग करता है और संयमनियम पूर्वक एक स्थान पर रहते हुए सात्विक चर्या द्वारा जीवन व्यतीत करता है।
2. गुरुपूर्णिमा व्रत इस दिन वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। व्यासजी ने वेदों का विभाग किया, भागवत पुराण, महाभारत पुराण आदि की रचनाएँ कीं । इस व्रत की आराधना द्वारा गुरु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की जाती है। यह ऋषियों की प्रेरणा एवं आशीर्वाद पाने का पावन दिन माना जाता है।
इसी तरह इस माह में योगिनी एकादशी, श्रीजगदीश रथयात्रा, देवशयनी एकादशी, कोकिला आदि व्रत किये जाते हैं ।
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श्रावण मास के व्रत
1. मंगल गौरी व्रत श्रावण मास में प्रत्येक मंगलवार के दिन यह व्रत गौरी के पूजन पूर्वक पाँच वर्ष पर्यन्त करते हैं। यह व्रत करने से पुत्र, पौत्र और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
2. श्रावणी सोमवार व्रत
भगवान शिव को श्रावण मास एवं सोमवार प्रिय है अतः इन दिनों शिव की विशेष आराधना की जाती है।
3. काजल तीज श्रावण शुक्ला तीज हरियाली तीज के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन राजस्थान में नव विवाहिता स्त्रियाँ पीहर जाती हैं तथा कृषक वर्ग धान का बीजारोपण करते हैं।
4. नाग पंचमी श्रावण की शुक्ला पंचमी नागपंचमी के नाम से विश्रुत है। इस दिन नाग की प्रतिमूर्ति बनाकर उसकी पूजा करते हैं और एक बार भोजन करने का नियम रखते हैं। इनके सिवाय रक्षाबन्धन, पुत्रदा एकादशी, कामिका एकादशी आदि व्रत भी करते हैं।
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भाद्र मास के व्रत
1. बहुला चतुर्थी यह व्रत भाद्र कृष्णा चतुर्थी के दिन पुत्रों की रक्षा के लिए किया जाता है जैसे- गाय माता की भाँति दूध पिलाकर मनुष्य की रक्षा करती है वैसे ही पुत्रवती स्त्रियों को पुत्र रक्षणार्थ यह व्रत अवश्य करना चाहिए।