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भारतीय परम्पराओं में प्रचलित व्रतों ( तपों) का सामान्य स्वरूप...197 करता है वह दिन मेष संक्रान्ति कहलाता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण की आधी यात्रा पूर्ण करता है। बंगाल में यह दिन नूतन वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस संक्रान्ति में तिलों द्वारा पितरों का तर्पण एवं मधुसूदन भगवान की पूजा विशेष होती है।
2. अक्षय तृतीया व्रत - यह व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। इस दिन व्रती उपवास करता है, अक्षत-चावल से वासुदेव की पूजा, अर्चना और अग्नि में होम करता है तथा उनका दान करता है। इस दिन जो कुछ भी सत्कर्म किये जाते हैं वे सभी अक्षय पुण्यफल देने वाले होते हैं।
3. नृसिंह चतुर्दशी व्रत - वैशाख शुक्ला चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु भक्त प्रह्लाद का अभीष्ट सिद्ध करने के लिए नृसिंह के रूप में अवतरित हुए थे तथा हिरण्यकश्यप का वध किया था। यह व्रत अभीष्ट कामना की पूर्ति हेतु किया जाता है।
इसी भाँति इस माह में शीतलाष्टमी, बरूथनी एकादशी, मोहिनी एकादशी, वैशाखी पूर्णिमा इत्यादि व्रत किये जाते हैं। ज्येष्ठ मास के व्रत ___ 1. वटसावित्री व्रत - यह व्रत ‘महासावित्री व्रत' के नाम से भी जाना जाता है। सधवा नारियाँ ज्येष्ठ की अमावस्या को अपने पति और पुत्रों की लम्बी आयु एवं उनके उत्तम स्वास्थ्य-लाभ के लिए और विशेषकर इहलोक एवं परलोक में वैधव्य से मुक्ति के लिए इस व्रत को करती हैं।
2. दशहरा व्रत - यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दसमी को किया जाता है। यह 'गंगा दशहरा' के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसी तिथि को पवित्रतम गंगा हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से अवतरित हुई थीं। अतएव इस तिथि को गंगा में स्नान करने से व्यक्ति दस पापों से मुक्त हो जाता है।
3. निर्जला एकादशी व्रत - यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ला एकादशी के दिन निर्जल रहकर करते हैं। इसे करने से आयु व आरोग्य में वृद्धि तथा उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। इसी तरह अचला एकादशी आदि व्रत किये जाते हैं। आषाढ़ मास के व्रत
1. चातुर्मास्य व्रत - आषाढ़ शुक्ला एकादशी, द्वादशी या पूर्णिमा को अथवा जिस दिन सूर्य कर्क राशि में प्रविष्ट होता है उस दिन चातुर्मास्य व्रत का