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208... तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक
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पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो ।' (मत्ती 28:16-20) पौलुस प्रेरित 1 करिन्थियो 15:7-9 में कहता है 'फिर याकूब को दिखायी दिया, तब सब प्रेरितों को दिखायी दिया और सबके बाद मुझको भी दिखायी दिया जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा हूँ; क्योंकि मैं प्रेरितों में सबसे छोटा हूँ वरन् प्रेरित कहलाने के योग्य भी नहीं; क्योंकि मैंने परमेश्वर की कलीसिया को सुनाया था।
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इस अद्वितीय घटना का स्मरण करते हुए मसीही ईस्टर का पर्व मनाते और एक-दूसरे को 'प्रभु जी उठा है' बोलकर अभिवादन करते तथा मुबारकवाद देते हैं। कुछ लोग 'ईस्टर मुबारक' (Wish you a happy Easter) भी कहते हैं।
6. पिन्तेकुसका पर्व कुछ मसीही सम्प्रदाय यीशु के जीवित होने के 50 दिन बाद पिन्तेकुसका पर्व मनाते हैं। यह पर्व इसलिए मनाया जाता है कि यीशु के स्वर्गारोहण के बाद उसी दिन पवित्र आत्मा का अवतरण चेलों पर हुआ था। जिसका वर्णन 'प्रेरितों के काम' अध्याय 2:1-4 में निम्न रूप से किया गया है -
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'जब पिन्तेकुसका दिन आया तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे और एकाएक आकाश से बड़ी आँधी की - सी सनसनाहट का शब्द हुआ और उससे सारा घर जहाँ वे बैठे थे, गूँज उठा और उन्हें आग की-सी जीभें फटती हुई दिखायी दीं और उनमें से हर एक पर आ ठहरीं तथा वे सब पवित्र आत्मा से भर गये और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य - अन्य भाषा बोलने लगे।' प्रत्येक मसीही पवित्र आत्मा का वरदान चाहता है और इसलिए परमेश्वर से प्रार्थना भी करता है, जिनको पवित्र आत्मा का वरदान प्राप्त हो जाता है, वे प्रभु यीशु मसीह के नाम में प्रार्थना द्वारा चंगाई का कार्य एवं भविष्यवाणी करने लगते हैं। 13
उक्त वर्णन के आधार पर माना जा सकता है कि ईसाई धर्म में जैन धर्म के समान उपवास, एकासन आदि के रूप में तप - व्यवस्था नहीं है । वहाँ मनाये जाने वाले धार्मिक पर्वोत्सव को तपस्या का एक पक्ष कहा जा सकता है, क्योंकि इस परम्परा में धर्म जनित उत्सव को व्रत सदृश स्वीकारते हैं ।
दूसरा तथ्य यह है कि इस धर्म में मान्य सभी पर्व प्राय: यीशु मसीह के जन्म, विजय, अन्तिम भोजन, उपदेश, क्रूस आरोहण, पुनर्जीवन आदि से ही