Book Title: Tap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

Previous | Next

Page 253
________________ जैन धर्म की श्वेताम्बर एवं दिगम्बर परम्परा में प्रचलित तप-विधियाँ...187 इस प्रकार एक दिशा के बारह उपवास, एक बेला और तेरह पारणे होते हैं।यह पूर्व दिशा से प्रारम्भ कर दक्षिण, पश्चिम और उत्तर दिशा के क्रम से चारों दिशाओं में करना चाहिए। इसमें अड़तालीस उपवास, चार बेला और बावन पारणे हैं। इस तरह यह व्रत एक सौ आठ दिन में पूर्ण होता है। यह नन्दीश्वर व्रत चक्रवर्ती पद को प्राप्त करवाता है। 17. मेरुपंक्ति व्रत - जम्बूद्वीप का एक, धातकीखण्ड पूर्व दिशा का एक, धातकीखण्ड पश्चिम दिशा का एक, पुष्करार्ध पूर्व दिशा का एक और पुष्करार्ध पश्चिम दिशा का एक इस प्रकार कुल पाँच मेरुपर्वत हैं। प्रत्येक मेरुपर्वत पर भद्रशाल, नन्दन, सौमनस और पाण्डुक ये चार वन हैं और एक-एक वन में चार-चार चैत्यालय हैं। मेरुपंक्ति व्रत में वनों को लक्ष्य कर बेला और चैत्यालयों को लक्ष्य कर उपवास करते हैं। इस प्रकार इस व्रत में पाँचों मेरु सम्बन्धी अस्सी चैत्यालयों के अस्सी उपवास और बीस वन सम्बन्धी बीस बेला करते हैं तथा सौ स्थानों के सौ पारणे होते हैं। इसमें दो सौ बीस दिन लगते हैं। यह व्रत जम्बूद्वीप के मेरु से शुरू होता है। इसमें प्रथम भद्रशाल वन के चार चैत्यालयों के चार उपवास, चार पारणे और तत्सम्बन्धी एक बेला, एक पारणा होता है। फिर नन्दन वन के चार चैत्यालयों के चार उपवास, चार पारणे और वन सम्बन्धी एक बेला एक पारणा होता है। फिर सौमनस वन के चार चैत्यालयों के चार उपवास चार पारणे और वन सम्बन्धी एक बेला एक पारणा होता है। तदनन्तर पाण्डुक वन के चार चैत्यालयों के चार उपवास चार पारणे और वन सम्बन्धी एक बेला एक पारणा होता है। इसी क्रम से धातकी खण्ड द्वीप के पूर्व और पश्चिम मेरु तथा पुष्करार्ध द्वीप के पूर्व और पश्चिम मेरु सम्बन्धी उपवास बेला और पारणे जानने चाहिए। इस व्रत का पालन करने वाला पुरुष तीर्थङ्कर होता है। विमानपंक्ति व्रत - इन्द्रक, श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक के भेद से विमान तीन प्रकार के हैं। इन्द्रक विमान बीच में है और श्रेणीबद्ध विमान चारों दिशाओं में श्रेणी रूप में स्थित हैं। ऋत विमान को आदि लेकर इन्द्रक विमानों की संख्या तिरसठ है। विमानपंक्ति व्रत में इन्द्रक की चारों दिशाओं में श्रेणीबद्ध विमानों की अपेक्षा चार उपवास, चार पारणे और इन्द्रक की अपेक्षा एक बेला एक पारणा होता है। इस तरह तिरसठ इन्द्रक विमानों की चार-चार श्रेणियों की अपेक्षा चार

Loading...

Page Navigation
1 ... 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316