Book Title: Tap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 232
________________ 166...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक 63. (क) प्रवचनसारोद्धार, 270/1502 (ख) आगम और त्रिपिटक, पृ. 170 64. वही, 1503 65. वही, 1503 66. वही, 1504 67. प्रवचनसारोद्धार, 213/1218-1231 की टीका 68. ऋग्वेद, 10/190/1 69. तथैव वेदा- मनुस्मृति, 11/243 70. तपसा चीयते ब्रह्म- मुण्डकोपनिषद, 1/1/8 71. अथर्ववेद, 11/3/5/19, पृ. 267 72. वही, 19/5/41 73. तपसा वै लोकं जयंति- शतपथब्राह्मण, 3/4/4/27 74. तपो मे प्रतिष्ठा-तैत्तिरीय ब्राह्मण, 3/7/7/9, पृ. 1112 75. श्रेष्ठो ह वेदस्तपसोऽधिजात:- गोपथब्राह्मण, 1/1/9 76. योऽसौ तपति स वै शंसति - वही, 2/5/14 77. ऋतं तपः, सत्यं तपः, श्रुतं तपः, शांतं तपो, दानं तपः। तैत्तिरीय आरण्यक, 10/8 78. सत्येन लभ्यस्तपसा ह्येष आत्मा। मुण्डकोपनिषद्, 3/1/5 79. महाभारत आदिपर्व, 90/22, पृ. 275 80. तैत्तिरीय उपनिषद्, 3/2/3/4/5 81. यद् दुस्तरं यद् दुरापं, यद् दुर्गं यच्च दुष्करम् । सर्वं तत् तपसा साध्यं, तपोहि दुरतिक्रमम् ॥ मनुस्मृति, 11/238 82. वही, 11/239 83. सुत्तनिपात, 16/10 84. वही, 4/2 85. अंगुत्तरनिकाय, दिट्ठवज्जसुत्त 86. जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, भा. 1, पृ. 116 87. बौद्ध दर्शन और अन्य भारतीय दर्शन, पृ. 71-72 88. जीवनसाहित्य, भा. 2, पृ. 197-198

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