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28 : श्रमण, वर्ष 64, अंक 2 / अप्रैल-जून 2013 दसवीं शती की दार्शनिक रचनाओं और वृत्तियों में सिद्धसेनगणि (दसवीं शती) कृत तत्त्वार्थ-टीका, सिद्धर्षिगणि (दसवीं शती) कृत तत्त्वार्थ-टीका, न्यायावतार पर टीका, चन्द्रर्षि महत्तर (९३०ई०) की सस्वोपज्ञवृत्ति पंचसंग्रह , कर्मग्रन्थ सप्ततिका
और उसकी स्वोपज्ञवृत्ति, देवसेन (९३० ई०) रचित दर्शनसार, तत्त्वसार, तत्त्वार्थ टीका, माणिक्यनन्दि कृत परीक्षामुख और प्रमाणपरीक्षा, नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती अथवा देवेन्द्रगणि रचित द्रव्यसंग्रह, त्रिभंगीसार और प्रवचनसारोद्धार, माणिक्यधवल (९७०ई०) विरचित द्रव्यस्वभावप्रकाश, कनकनन्दि (९७५ई.) रचित कर्मप्रकृति, बृहत् और लघुद्रव्यसंग्रह और पंचप्ररूपण, अकलंक की दार्शनिक कृतियों के टीकाकार अनन्तवीर्य द्वारा (९८०ई०) रचित टीका प्रमेयरत्नमाला (लघीयस्त्रय पर), न्यायविनिश्चय-वृत्ति, प्रमाणसंग्रह-भाष्य और सिद्धिविनिश्चयटीका और नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती ९८०ई०) रचित कर्मग्रन्थ गोम्मटसार (कर्मकाण्ड और जीवकाण्ड), लब्धिसार, क्षपणसार, त्रिलोकसार और तत्त्वार्थसूत्र-टीका आदि कृतियां हैं। ग्यारहवीं शती में विरचित दार्शनिक कृतियों में अमितगति के ग्रन्थ पंचसंग्रह एवं परमात्मस्वरूप, देवगुप्त अथवा जिनचन्द्रगणि अथवा जिनचन्द्रभट्टारक अथवा कुलचन्द्र (१०१७ई.) का नवपदप्रकरण और उस पर स्वोपज्ञवृत्ति, नवतत्त्वप्रकरण और तथिसूत्र पर टीका, वारिदराजसूरि (१०२५ई०) रचित प्रमाण-निर्णय और न्यायविनिश्चय (अकलंक)-विवरण, प्रभाचन्द्र (१०४०ई.) रचित दार्शनिक कृतियाँ प्रमाणदीपिका एवं सिद्धान्तसार तथा प्रमुख दार्शनिक ग्रन्थों पर टीकायें- प्रवचनसार - भास्कर, समयसार -वृत्ति, तत्त्वार्थरत्नप्रभाकर (तत्त्वार्थसूत्र-टीका), सम्बन्धपरीक्षा (बौद्ध धर्मकीर्ति) -टीका, आप्त-मीमांसा-टीका, लघीयस्त्रय (अकलंक) पर न्याकुमुदचन्द्रवृत्ति, परीक्षामुख (माणिक्यनन्दि) पर वृत्ति प्रमेयकमलमार्तण्ड, परमात्मप्रकाश (योगीन्दुदेव) की टीका, आत्मानुशासन (गुणभद्र) पर टीका, भास्करनन्दि (१०५०ई.) कृत टीका सुखबोधा (तत्त्वार्थसूत्र), नवांगीवृत्तिकार अभयदेवसूरि (१०६०ई.) रचित नवतत्त्वप्रकरण (जिनचन्द्र)भाष्य, सन्मतितर्कप्रकरण पर रचित तत्त्वार्थबोधविधायिनी अथवा वादमहार्णव और चन्द्रप्रभसूरि (१०९२ई.) की दर्शनशुद्धि अथवा सम्यक्त्वप्रकरण, न्यायावतार सिद्धसेनविवृत्ति और प्रमेयरत्नकोश। बारहवीं शती के दार्शनिक ग्रन्थों में अनन्तवीर्य (११००ई.) की माणिक्यनन्दि कृत परीक्षामुख पर प्रमेयरत्नमाला अथवा लघुवृत्ति अथवा पंजिका, जिनवल्लभसूरि (११००ई.) कृत कालस्वरूपकुलक, शुभचन्द्र (११००ई.) रचित अपशब्दखण्डन, समयसार और तत्त्वार्थसूत्र पर टीकायें, यशोदेवसूरि अथवा धनदेव (१११७ई.)