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साहित्य-सत्कार : 103 वर्ण्य-विषय की आवश्यकतानुसार आचार्य हेमचन्द्र ने एक विषय के लिए अधिकतम १४५ और न्यूनतम १२ श्लोकों का उपयोग किया है। इस दृष्टि से दाय भाग (पैतृक सम्पत्ति का विभाजन) सर्वाधिक विस्तृत है और सम्भूयोत्थान प्रकरण, समय व्यतिक्रान्तिप्रकरण और द्यूत प्रकरण लघुतम आकार वाले हैं। इनमें प्रत्येक में श्लोकों की संख्या मात्र १२ है। इसके मूल का सम्पादन लघ्वर्हन्नीति की उपलब्ध पाँच पाण्डुलिपियों में से चार (दो भोगीलाल लहेरचन्द संस्कृत विद्यामन्दिर, दिल्ली एवं दो आचार्य हेमचन्द्र ज्ञानमन्दिर, पाटन, गुजरात) के आधार पर किया गया है। हिन्दी अनुवाद के साथ इसमें परिशिष्ट के रूप में श्लोकानुक्रमणिका एवं शब्दानुक्रमणिका भी है।
डॉ. राहुल कुमार सिंह
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