Book Title: Sramana 1994 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 24
________________ 31. प्रभावकचरित, 22/135 32. जैन पुस्तक प्रशस्तिसंग्रह, पृ. 103, पोलिटिकल हिस्ट्री आफ नार्दर्न इण्डिया फ्राम जैन सोर्सेज, पृ. 112 33. नलविलास, प्रस्तावना, पृ.27, दिनाट्यदर्पण : ए क्रिटिकल स्टडी, पृ.210 34. संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान, पृ. 70 35. प्र.चि. 97, निर्भयभीम, पृ. 1, मल्लिका., पृ. 2 36. कौमुदी., भूमिका, पृ.9 37. दि नाट्यदर्पण : ए क्रिटिकल स्टडी, पृ. 219-220 38. नलविलास, 1/5 39. रघुविलास, 1/3 तथा आगे 40. ना.द. 1/32, 1/33, 1/36, 1/43, 1/44, 1/45, 1/62, 1/63, 3/21 की वृत्ति 41. वही, 1/29, 1/44, 1/53, 1/58, 1/63, 1/65 की वृत्ति 42. रघुविलास, पृ. 1, सत्य., पृ. 2, कौमुदी., पृ. 1 43. डॉ. मुसलगांवकर आचार्य हेमचन्द्र, पृ. 40 44. डॉ. गुलाबचन्द्र चौधरी, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-6, पृ. 575 45. मल्लिका., पृ. 2 46. ना.द., 1/43, 1/45 की वृत्ति 47. वही, 3/21 की वृत्ति 48. रघुविलास, भूमिका, पृ. 9 49. द्रष्टव्य, लेखक का ही लेख - नाट्यदर्पण में मौलिक चिन्तन, तुलसीप्रज्ञा, खण्ड 19, अंक 4, पृ. 291-305 50. नलविलास, प्रस्तावना, पृ. 35 51. वही, प्रस्तावना, पृ. 35, नाट्यदर्पण, 3/25 की वृत्ति 52. पुरातनप्रबन्धसंग्रह, पृ. 49 53. जैनस्तोत्रसंग्रह, सम्पादक मुनि चतुरविजयजी 22 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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