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शिवप्रसाद
उक्त अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर इस गच्छ के विभिन्न मुनिजनों के नामों का पता चलता है, किन्तु उसके आधार पर उनके गुरु-शिष्य परम्परा की कोई विस्तृत तालिका की संरचना कर पाना तो सम्भव नहीं है। फिर भी कुछ मुनिजनों की गुरु-परम्परा की छोटी-छोटी गुर्वावलियों की संरचना की जा सकती है, जो इस प्रकार है
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चक्रेश्वरसूरि
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पद्मचन्द्रसूरि
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जयचन्द्रसूरि
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यशोदेवसूरि
शांतिसूरि [वि. सं. 1370-87 प्रतिमालेख]
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चक्रेश्वरसूरि
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जयसिंहसूर
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सोमप्रभसूर
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वर्धमानसूरि वि.सं. 1335 प्रतिमालेख ]
मानदेवसूरि
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सोमचन्द्रसूरि [ वि.सं. 1437-59 प्रतिमालेख 1
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ज्ञानचन्द्रसूरि [ वि.सं. 1493 प्रतिमालेख ]
साहित्यिक साक्ष्य
मडाहडगच्छ से सम्बद्ध प्रथम साहित्यिक साक्ष्य है कालिकाचार्यकथा की 9 श्लोकों की दाताप्रशस्ति' । यह प्रति श्री अगरचन्द नाहटा के संग्रह में संरक्षित है। इस प्रशस्ति के प्रथम 6 श्लोकों में सितरोहीपुर (वर्तमान सिरोही, राजस्थान ) निवासी श्रावक तिहुणा - महुणा के पूर्वजों का उल्लेख है । अन्तिम तीन श्लोकों में उक्त श्रावक द्वारा लक्षभूपति [ राणालाखा अपरनाम राणालक्षसिंह वि.सं. 1461-1476 / ईस्वी सन् 1405-14201 के शासनकाल में मागच्छीय आचार्य कमलप्रभसूरि के शिष्य वाचनाचार्य गुणकीर्ति को कल्पसूत्र के साथ उक्त
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