Book Title: Sramana 1994 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 69
________________ एवं मिथ्यात्व को लेकर जो विवाद चल रहा है उसको शास्त्रीय आधार दिया है। कर्म बन्ध के सम्बन्ध में जिज्ञासुओं एवं शोधकर्त्ताओं के लिए यह पुस्तक तुलनात्मक अध्ययन की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्व की है 1 इस निष्पक्ष और प्रामाणिक कृति के प्रणयन के लिए समाज पं. जी का ऋणी हैं। पुस्तक संग्रहणीय है । पुस्तक धर्म नाव के बाल यात्री, लेखक सम्बोधि प्रकाशन, दिल्ली; संस्करण पेपर बैक -- -- प्रस्तुत पुस्तक धर्म नाव के बाल यात्री में श्री सुभद्र मुनिजी ने बच्चों के लिए मां और बेटा, धर्म और नाव, बालऋषि, अमर बालक भय मिट गया और सुविधाओं के शूल ऐसी छह मनोरंजक एवं शिक्षाप्रद कहानियाँ लिखीं हैं। आज बाल साहित्य के नाम पर कामिक्स का जाल फैला है जिसमें वीभत्सता एवं हिंसापरक सामग्री छाप कर बच्चों के मन को गंदा किया जा रहा है । ऐसी स्थिति में मुनि श्री की इन शिक्षाप्रद कहानियों से बच्चों को चरित्र-निर्माण की दिशा में प्रेरणा मिलेगी और सदाचार एवं सद्गुणों को जीवन में आत्मसात् कर सकेगें। रंगीन चित्रों से युक्त पुस्तक पढ़ने में न केवल बालकों को युक्त आकर्षण रहता है अपितु उनके लिये कथा भी बोधगम्य बन जाती है। पुस्तक की साज-सज्जा आकर्षक है। -- Jain Education International श्री सुभद्रमुनिः प्रकाशक मुनि मायाराम द्वितीय 1993; मूल्य दस रुपये आकार डिमाई पुस्तक सुभद्र कहानियाँ, लेखक सुभद्र मुनिः प्रकाशक मुनि मायाराम सम्बोधि प्रकाशन, दिल्ली; संस्करण प्रथम 1994, मूल्य आठ रुपये मात्र आकार डिमाई पेपर बैक -- ---- 11 For Poyate & Personal Use Only प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न धर्म, परम्पराओं एवं महापुरुषों के जीवन प्रसंगों से सम्बन्धित रोचक कहानियाँ संग्रहीत हैं। इन कहानियों में मनोरंजन के साथ-साथ जीवन का संदेश भी निहित है | कहानियों के साथ कुछ स्थलों पर चित्र का संयोजन भी है जिससे बच्चों को विषय समझने में सुविधा होगी। पुस्तक बालोपयोगी है तथा साज-सज्जा आकर्षक है। -- www.jainelibrary.org

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