Book Title: Sramana 1994 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 74
________________ जैन जगत् प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, भारत जैन महामण्डल के महामन्त्री एवं "जैन-जगत" मासिक पत्रिका के सम्पादक श्री चन्दनमल "चाद" का 2 सितम्बर 1994 को आकस्मिक निधन हो गया। आपके निधन से जैन समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। आपका जन्म 28 अक्टूबर 1936 को राजस्थान के चुरू जिला स्थित श्री डूंगरगढ में हुआ था। आपने जैनधर्म के प्रचार-प्रसार हेतु देश-विदेश का भ्रमण किया था। आपको "समाज गौरव" एवं "मरुधर वीर" उपाधियों से अलंकृत किया गया था। पार्श्वनाथ शोधपीठ परिवार मृतक आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता है। प्रसिद्ध समाज सेविका, हिन्दी एवं राजस्थानी की विख्यात लेखिका एवं श्रमणोपासक की सम्पादक श्रीमती डॉ. शान्ता भानावत का 24 मई, 1994 को जयपुर में ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया। आप जैन साहित्य के मूर्धन्य विद्वान (स्व. ) डॉ. नरेन्द्र जी भानावत की पत्नी थीं। आपका जन्म 6 मार्च 1939 को छोटी सादडी में हुआ था। आपकी लेखन एवं सम्पादन में प्रारम्भ से ही रुचि रही, इस कारण विभिन्न साहित्यिक, सामाजिक पत्र-पत्रिकाओं में आपके निबन्ध एवं कहानियाँ प्रकाशित होते रहे हैं। "हिन्दी साहित्य की प्रमुख कृतियाँ और कृतिकार" आपका उल्लेखनीय समीक्षा ग्रन्थ है। इसके अतिरिक्त आप अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिणिक एवं धार्मिक संस्थाओं से जुड़ी थीं। आपके निधन से न केवल जैन समाज अपितु सम्पूर्ण शिक्षा जगत एवं समाज सेवा क्षेत्र की अपूरणीय क्षति हुई है। शोधपीठ परिवार उनके प्रति अपनी गहन संवेदना प्रकट करता है। उद्योगपति श्री नेमिनाथ जैन, इन्दौर गम्भीर रूप से अस्वस्थ पूज्य सोहन लाल स्मारक पार्श्वनाथ शोधपीठ प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष, प्रमुख समाज सेवी एवं प्रसिद्ध उद्योगपति श्री नेमिनाथ जी ब्रेन हेमरेज के आघात से गम्भीर रूप से अस्वस्थ हो गये थे। प्रबन्ध समिति के उपाध्यक्ष श्री नपराजजी जैन उनके बीमारी का समाचार सुनते ही बम्बई के वरिष्ठ चिकित्सकों को लेकर इन्दौर पहुँचे। अब धीरे-धीरे आपके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। पार्श्वनाथ शोधपीठ परिवार आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता है। 72 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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