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पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी प्रकाशन प्रचार-योजना
जैन परम्परा के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की पवित्र जन्मस्थली, वाराणसी नगरी में स्थित पृ. सोहनलाल स्मारक पार्वनाथ शोधपीठ ज्ञान और साधना का प्रमुख केन्द्र है। यह संस्थान जैनधर्म-दर्शन, साहित्य, इतिहास और संस्कृति के सम्बन्ध में शोधात्मक गतिविधियों के पाचीनतम केन्द्रों में सबक है।
गग्थान, पूज्य सोहनलाल स्मारक पार्श्वनाथ शोधपीठ समिति (पंजीकृत) फरीदाबाद द्वारा संचालित नथा विश्वविख्यात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी द्वारा मान्यता प्राप्त है। इसके अध्यक्ष श्री नेमिनाथजी जैन - प्रेस्टीज फूड, इन्दौर, उपाध्यक्ष श्री नृपराजजी जैन, बम्बई और मंत्री श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन न्यूकेम लिमिटेड, फरीदाबाद हैं।
जैन परम्परा के प्रसिद्ध विद्वान् प्रो. सागरमल जी जैन के कुशल निर्देशन में यहाँ का शोधकार्य, प्रकाशनकार्य एवं अन्य अकादमीय गतिविधियाँ सुचारु रूप से चल रही हैं। पार्श्वनाथ शोधपीठ से अब तक पचास छात्र पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं और लगभग 90 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है जो जैन-परम्परा के शीर्षस्थ विद्वानों द्वारा प्रकाशित एवं सम्पादित
___ हमारा साहित्य जैन परम्परा, धर्म, दर्शन, आचार, मूर्तिकला, स्थापत्य कला, साहित्य एवं संस्कृति सभी पक्षों पर सम्यक् प्रकाश डालता है। साहित्य को सर्वसुलभ बनाने के लिये पुस्तकों का मूल्य काफी कम रखा गया है। फिर भी हमने अपने साहित्य को सुलभ्य बनाने के लिये "आजीवन साहित्य सदस्यता" के नाम से एक योजना चला रखी है, जिसके द्वारा हम अपने सभी उपलब्ध प्रकाशनों - जिनका मूल्य लगभग सात हजार है, को तीन हजार रुपये में उपलब्ध कराते हैं। साथ ही साहित्य सदस्य को भविष्य में प्रकाशित होने वाली पुस्तकें भी उपलब्ध होती रहेगी। यहाँ से प्रकाशित होने वाली "श्रमण" त्रैमासिक पत्रिका की आजीवन सदस्यता का शुल्क पाँच सौ रू है। इसका वार्षिक चन्दा पचास रु. है।
शोधपीठ के प्रकाशनों की विस्तृत सूची हम साथ में भेज रहे हैं, स्वेच्छानुसार पुस्तकें मँगवाकर लाभ उठावें।
पुनश्च जिज्ञासु एवं धर्म-प्रेमी श्रावक भी अपने उपयोग या साधुओं या संस्थानों को भेंट देने के लिये पुस्तकें मँगवाकर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
निवेदक
(प्रो. सागरमल जैन)
निदेशक पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी
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