Book Title: Sramana 1994 07
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ शिवप्रसाद ग्रन्थ की एक प्रति भेट में देने का उल्लेख है। मडाहङगच्छीय अभिलेखीय साक्ष्यों की पूर्व प्रदर्शित सूची लेख क्रमांक 62, वि.सं. 1520] में हरिभद्रसूरि के शिष्य कमलप्रभसूरि का नाम आ चुका है। यद्यपि एक मुनि या आचार्य का नायकत्त्वकाल सामान्य स्प से 30-35 वर्ष माना जाता है, किन्तु कोई-कोई मुनि और आचार्य दीर्घजीवी भी होते हैं, इसी कारण स्वाभाविक रूप से उनका नायकत्त्वकाल सामान्य से कुछ अधिक अर्थात् 40-45 वर्ष का होता रहा। अतः वि.सं. की 15वीं शताब्दी के तृतीय चरण में भी इन्हीं कमलप्रभसूरि का विद्यमान होना असंभव नहीं लगता। इसलिए उक्त प्रतिमालेख [वि.सं. 15201 में उल्लिखित धनप्रभसूरि के गुरु कमलप्रभसूरि उपरोक्त कालिकाचार्यकथा के प्रतिलेखन की दाताप्रशस्ति लेखनकाल वि.सं. 1461-14761 में उल्लिखित कमलप्रभसूरि से अभिन्न माने जा सकते हैं। श्री अगरचन्द नाहटा ने अपनी सिरोही यात्रा के समय वहाँ स्थित मडाहडगच्छीय उपाश्रय में रहने वाले एक महात्मा-गृहस्थ कुलगुरु से ज्ञात इस गच्छ के मुनिजनों की एक नामावली प्रकाशित की हैं, जो इस प्रकार है : 1. चक्रेश्वरसूरि 16. उदयसागरसूरि 2. जिनदत्तसूरि 17. देवसागरसूरि 3. देवचन्द्रसूरि 18. लालसागरसूरि 4. गुणचन्द्रसूरि 19. कमलसागरसूरि 5. धर्मदेवसूरि 20. हरिभद्रसूरि 6. जयदेवसूरि 21. वागसागरसूरि 7. पूर्णचन्द्रसूरि 22. केशरसागरसूरि 8. हरिभद्रसूरि 23. भट्टारकगोपालजी 9. कमलप्रभसूरि 24. यशकरणजी 10. गुणकीर्तिसूरि 25. लालजी 11. दयानन्दसूरि 26. हुकमचन्द 12. भावचन्द्रसूरि 27. इन्द्रचन्द 13. कर्मसागरसूरि 28. फूलचन्द 14. ज्ञानसागरसूरि 29. रतनचन्द 15. सौभाग्यसागरसूरि 30. .... श्री नाहटा द्वरा प्रस्तुत उक्त नामावली में गच्छ के प्रवर्तक या आदिम आचार्य के रूप में चक्रेश्वरसूरि का उल्लेख है। अभिलेखीय साक्ष्यों से भी यही संकेत मिलता है क्योंकि कुछ प्रतिमालेखों में प्रतिमाप्रतिष्ठापक आचार्य को चक्रेश्वरसूरि संतानीय कहा गया है। नामावली में उल्लिखित द्वितीय पट्टधर जिनदत्तसूरि, तृतीय पट्टधर देवचन्द्र और चतुर्थ पट्टधर गुणचन्द्र Jain Education International For Private & Personal Use Only 45 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78