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विजयानंद सूरीश्वरजी म.
सम्मुख
EZRIO JAM 32008
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी यहां वि. सं. १९५९ मगशिर सुद १९ को पू. आ. श्री विजयानंद सूरीश्वरजी म. के द्वारा अंजनशलाका प्रतिष्ठा हुई है।
जीरा का यह मंदिर सुंदर शिखर बंधी उंचा है। जीरा में किले वाली गली में यह मंदिर आता है।
यहां स्थानकवासी और मंदिरमागी दोनों उपाश्रय है। यहां श्वे. मू. के १०-१२ घर हैं । स्थानकवासी के ११ घर हैं और दिगंबर जैन के तीन पर हैं।
यहां नई दाना मंडी के पास आत्मारामजी म. की समाधि
सुंदर और अच्छी है। पंजाब में दूसरे नंबर का मंदिर है।
पट्टी से जीरा ४०-५० कि.मी. होता है ।
१०. श्री मालर कोटला तीर्थ
आत्मारामजी महाराज की जन्मभूमि लहेरगांव जीरा से ३ कि.मी. दूर है।
मालर काटला जन मादरजा