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रचनाओ
रचनाए
छ: मास के तप का पारणा वर्धमान स्वामी को करवाने के लिए राजकुमारी चंदनबाला
उड़द के बाखले लाई।
दीक्षा दिन से शुद्ध गोचरी न मिलने पर वर्ष के अंत में हस्तिनापुर पधारे वहां पूर्वभव के संबंधी श्रेयांसकुमार ने स्वप्न आने पर प्रात:काल आदिनाथ प्रभु के देखकर पूर्वभव का स्मरण
जाति स्मरण होने से हाथी पार्श्वनाथ प्रभु
को वंदन करता है।
भगवान के मंगल प्रसंग पर दिग्कुमारीकाएं प्रभु का गुणगान कर नृत्य करके भक्ति का
लाभ लेती है।