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हद्वारा
जन्म दिए पुत्र रत्न जन्म से छ मास तक रोता है जिससे दुखी होकर माता दीक्षित पिता धनगिरि की झोली में वहोरा देती है।
श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग- २
पार्श्वकुमार कमठ तापस के अग्नि में से लकड़ी निकाल कर नाग को बचाया और नाग को नमोकार मंत्र सुनाया ।
श्रीपाल राजा और मयणासुंदरी श्री सिद्धचक्र महापूजन करके वंदन करते हैं।
ईलायचीकुमार नर्तकी के मोह में पड़कर नृत्य करते हैं राजा भी नर्तकी में मोहित होकर विचार करते हैं कि ईलायची बांस पर से गिरे तो मैं नर्तकी को रानी बनाऊं।