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मध्य प्रदेश
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१६. श्री अवंति तीर्थ - उज्जैन
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अवंति तीर्थ - उज्जैन जैन मंदिरजी
अवंति पार्श्वनाथजी जैन मंदिरजी प्रवेश द्वार
मूलनायक श्री अवन्ति पार्श्वनाथजी - उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के किनारे यह तीर्थ है।
इस उज्जैन का प्राचीन नाम अवन्तिका नगरी था। अवंतिसुकुमाल ने गुरु मुख से नलिनी गुल्म विमान का वर्णन सुना और जातिस्मरण ज्ञान हुआ। स्वयं वहां से आये हुए जानकर पू. सुहस्तिसूरिजी म. के पास बोधित होकर दीक्षा ली। श्मशान में ध्यान करते शियाल के उपसर्ग से मृत्यु प्राप्त कर नलिनीगुल्म विमान में उत्पन्न हुए। उसके बाद जन्मे पुत्रों ने यह मंदिर बनाया और पार्श्वनाथजी की प्रतिमा विराजित की। यह प्रसंग वीर सं. २५० के आसपास का है। प्रायश्चित्त के लिए गुप्त रहते और सन्यासी जैसे दिखते पू. आचार्य सिद्धसेन दिवाकर सू. म. ने महाकाल लिंग में से
अवंति पार्श्वनाथ प्रगट किए थे। और विक्रमराजा बोधित हुए। उनके बंधाए हुए मंदिर में प्रभुजी विराममान करने थे परंतु पास के ब्राह्मणों ने उसमें शिवलिंग रखने का आग्रह करने पर विक्रमराजा ने उनको हाँ कहा और दूसरा मंदिर बनाकर उसमें अवन्ति पार्श्वनाथजी की प्रतिमा विराजमान की।
यहां धर्मशाला, भोजनशाला आदि की व्यवस्था है। शहर में खाराकुआं में भव्य मंदिर है। उज्जैन के विभागों में भी अच्छे मंदिर हैं। नदी के सामने किनारे पर भी सुंदर मंदिर है।
अवन्ति पार्श्वनाथजी जैन पेढ़ी, क्षिप्रा नदी के पास, अनंतपेठ, दानी दरवाजा, उज्जैन पिन. ४५६००६