Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 271
________________ ७३४) DDDDDDDD मूलनायक श्री चंद्रप्रभस्वामी यह मंदिर सं. १९८९ में स्व. सेठ श्री हाथी भाई गोपालजीभाई के धर्मपत्नी ने बनवाया है। और श्री संघ को अर्पित किया है। श्री धर्मनाथजी का दूसरा मंदिर भी इस कम्पाउंड में है जो सं. १९६४ में स्व. जीवराज धनजी भाई कच्छ मांडवी के श्रेयार्थ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हीरुबाई जीवराज ने बंधवा कर संघ को अर्पित की है। इस मंदिर का सं. २०३५ में जीर्णोद्धार कर गांव के नाम पर मुनिसुव्रत स्वामी की संवत् २०३५ आषाढ़ सुदी ३ को अंचलगच्छ के पूज्य यति श्री मोतीलालजी क्षमानंदजी के द्वारा प्रतिष्ठा की है। (१) चमत्कारिक श्री शांतिनाथ भगवान यहां के प्राचीन घर मंदिर में थे वह प्रतिमाजी खंडित हो जाने के कारण विसर्जन कर एक पेटी में नदी में पथराई छः महीने के बाद वह पेटी मच्छीमार को मिली जो उसने सरकार को दे दी, वहां से संघ ने कार्यवाही कर पेटी खोली तो डोक बराबर जुड़ गई प्रतिमाजी अपने आप अच्छी हो गई और भगवान को यहीं विराजमान करने की स्वप्न में श्रावक को जानकारी हुई जिससे संघ ने धूमधाम से अलग वेदी बनाकर विराजमान की है। जो कम्पाउन्ड में दो मंदिर श्री चंद्रप्रभु और धर्मनाथ विराजमान है वहां श्री शांतिनाथजी भी विराजमान हैं। मूलनायक श्री चंदप्रभुजी श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग いいいい (२) शंखेश्वरा पार्श्वनाथ जामनगर सेठ के मंदिर से लाये हैं। जो वि. सं. २०३२ में अंजनशलाका हुई पू. आ. श्री कैलाशसागरजी की निश्रा में यह प्रतिमा हालार लाखाबावल के श्री मोतीचंद पूंजाभाई चंदरीया ने भरवाई है। (३) नई प्रतिमाजी मुनिसुव्रतस्वामी की हालारी बंधुओं ने प्रतिष्ठा करवाई और ध्वजदंड और कलश का लाभ श्री मेघजीभाई श्रीमोतीचंद भाई ने लिया । (४) शंखेश्वरा पार्श्वनाथ के प्रतिमाजी के लिए ऐसी जानकारी मिलती है कि यहां के हीराभाई नामक श्रावक थे। वह दोनों व्यक्ति जल गए परंतु प्रभु का स्मरण चालू रखा २१ वें दिन श्री पार्श्वनाथ प्रभु ने स्वप्न में दर्शन दिए और प्रतिमाजी भरवाने के कहा, दोनों व्यक्तियों ने उस अनुसार निश्चय किया और और संपूर्ण रूप से अच्छे हो गए तब प्रतिमाजी भरवाई । उपर की विगत भाई श्री मोतीचंदभाई पुंजाभाई चंदरिया के पास से मिली है। ठे. चंद्रप्रभ स्वामी मंदिर पेढी न्यु रोड, कोचीन ६८२००२ (केरला) जि. अनाकुलम स्टेशन कोचीन । कोईम्बतुर २९६ कि.मी. होता है। यहां २५० घर है मंदिर है तथा वहां ५० घर है। मूलनायक श्री शांतिनाथजी फिर आए हुए DDDDDDDDEX

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