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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग -२
४. श्री मैसुर तीर्थ
मैसूर जैन मंदिरजी
श्री सुमतीनाथजी का
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी
मूलनायक श्री सुमतिनाथजी यह शिखरबंधी मंदिर सन १९२८ में हुआ है। ता. २६५-१९२८ जेठ सुदी ५ को पू. पं. श्री के बाद आ. गंभीर सूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के ३ प्रतिमाजी है। इस मंदिर का उद्घाटन मैसूर के महाराजा श्री कृष्ण राजेन्द्र वाडेयरे ने किया है। मू. जैनों के ४०० घर तथा स्था. के ४०० घर हैं। ४००० जैन है। हासन से १६० कि.मी. साउथ रेल्वे जंक्शन है। तीर्थंकर महावीर रोड नगर
पिन-५७०००१
नमो मरिहंता नमी सिध्दाण नमी पायरियाण नमो वज्झाया नमो लोए सनसाहूर्ण एसो पंच-नमुक्कारो सब-यावष्यगासणी मंगला च सव्वेसिं घठम हवड़ मंगलम
तुमे बहु मैत्रीरे साहिबा, मारे तो मन अक; तुम विना बीजो रे नवि • गमे, ओ मुज म्होटी रे टेक। श्री श्रेयांस कृपा करो।१ मन राखो तुमे सवि तणां, पण कीहां अक मली जाओ; ललचाओ लख लोकने, साथ सहज न थाओ। श्री. रराग भरे जन मन रहो, पण तिहुं काल विराग; चित्त तुमारारे समुद्रनो, कोई न पामेरे ताग श्री-३ अवाशुं चित्त मेलव्यु। केलव्यु पहेलां न कांई, सेवक निपट अबूझ छे, निवहंशो तुमे सांई, श्री. ४ निरागीशुं किम मिले, पण मीलवानो अकांत, वाचक यश कहे मुज मिल्यो भक्ते कामणकंत। श्री.५