Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 286
________________ कर्नाटक विभाग मूलनायक श्री शंखेश्वरा पार्श्वनाथजी मंदिर घुम्मट वाला है। शिखरबंधी सिंहासन में प्रभुजी है। पू. आ. श्री विजय रत्नशेखर सूरीश्वरजी म. के द्वारा प्रतिष्ठा हुई है। सुंदर प्राचीन नगरी थी अभी विशाल शहर है। आरस के ४ प्रतिमाजी है। जैनों के ५० घर २५० की संख्या है। दे. सुराना बाजार गुलबर्ग पिन ५८५१०९ लातुर (महाराष्ट्र) से १५० कि.मी. आदोनी से १८५ कि.मी. है। मुंबई - बेंगलोर तथा मुंबई- मद्रास रेल्वे लाइन है। जि. गुलबर्ग । XXX प्रनियाजी नेटमा अनंत अनंत नाणी, जास महिमा गवाणी; सुर नर तिरि प्राणि, सांभले जास वाणी; एक वचन समजाणी, जेह स्वाद्वाद जाणी, तर्या ते गुणखाणी, पामीया सिद्धि राणी ॥ १ ॥ मूलनायक श्री अजितनाथजी शीतल जिन स्वामी, पुन्यथी सेव पामी प्रभु आतमरामी, सर्व परभान बामी जे शिव गतिगामी, शाश्वतानंद धामी भवि शिवसुख कामी, प्रणमीओ शीष नामी ॥ १ ॥ १३. श्री हुबली तीर्थ विष्णु जस मात, जेहना विष्णु तात; प्रभुना अवदा, तीन भुवने विख्यात; सुरपति संघात, जास निकटे आयात; करी कर्मनो घात, पामीया मोक्ष शात ॥ १ ॥ श्री अजितनाथजी जैन मंदिर हुबली (७४९ 中中中中中中中中学进中学进贵選

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