Book Title: Shwetambar Jain Tirth Darshan Part 02
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 265
________________ श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग - २ 6000 o oor Joo ७. श्री ईरोड तीर्थ मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी ईरोड जैन मंदिरजी मूलनायक श्री वासुपूज्य स्वामी यहां जिनालय तैयार हो जाने पर सं. २०४७ में पू. आ. श्री विजयभुवनभानुसूरीश्वरजी म. की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई है। त्रिचि से १३८ कि.मी. है। ईरोड तालुको रेल्वे स्टेशन है। जि. पेरीआर - ६३८ ००१ । जैनों के ५० घर है। २५० जैन है। ईरोड से ३० कि.मी. कोईम्बतुर रोड उपर विजयमंगलम् शहर है। वहां प्राचीन मंदिर पुरातत्त्व खाते द्वारा राष्ट्रीय स्मारक के रूप में है। दिगंबर तीर्थ प्राचीन मंदिर अवशेष प्रतिमाएं आदि जीर्ण हालत में है। प्राचीन धर्मशाला है। प्राचीन नगरी है। विश्वना उपगारी, धर्मना आदिकारी; धर्मनादातारी, का क्रोधादि वारी; तार्या नर ने नारी, दुःख दोहग हारी; वासुपूज्य निवारी जाऊं हुं नित्य वारी॥शा ८. श्री तिस्पुर तीर्थ HE SUNT LCAN BREtanceLC मूलनायक श्री सुविधिनाथजी यहां आरस का अति सुंदर घर मंदिर है। तथा बाहर आरस का रंगमंडप है। सं. २०४३ मगशिर सुदी ११ को प्रतिष्ठा पू. पं. श्री हाल आचार्यदेव श्री विजयभद्रगुप्त सू. म. के द्वारा हुई है। यहां ३० सौराष्ट्र और ५० राजस्थान कुल ८० घर ५०० जैनों की बस्ती है। तिरुपुर कोचीन वाराणसी रेल्वे लाईन पर स्टेशन है। ईरोड से ३० कि.मी. है। ता. पलडम, जि. कोईम्बतूर पिन-६३८६०१ तिलपुर जैन मंदिरजी नाdu ००० 2.00 (0.0 Poo IPO Joo food

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