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मध्य प्रदेश
१८. श्री उन्हेल तीर्थ
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उन्हेल जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी उज्जैन रतलाम के बीच यह तीर्थ है। भव्य प्रतिमाजी है। श्रावकों के बहुत घर है। और भव्य हैं यह गांव पूर्व काल में तोरण नाम से जाना जाता था। नागदा में चार दरवाजे पर तोरण बांधते तब एक तोरण यहां बंधाया था। वहां नगर बसने पर तोरण नाम पड़ा। प्रतिमा और मंदिर १०-११ वीं सदी का गिना जाता है। गुप्तकालीन अवशेष मिलते हैं। इस तीर्थ का अनेक बार उद्धार हुआ है। वि. सं. १३०० में संघ ने अंतिम उद्धार कराया था। प्रतिमाजी ४१ ईंच के हैं सर्पफण के साथ इन्द्र-इन्द्राणी है ऐसा बहुत कम होता है। नागदा रेल्वे स्टेशन १० कि.मी. है। उज्जैन से ४० कि.मी. है। मंदिर के पास धर्मशाला है। मु. पो. उन्हेल - ४५६ २२१ (जि.-उज्जैन)
मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
. १९. श्री नागेश्वर तीर्थ
मूलनायक श्री नागेश्वर पार्श्वनाथजी
यह तीर्थ थोडे वर्षों से प्रसिद्धि में आया है। इसके साथ कोई संत इस प्रतिमाजी को सिंदुर लगाकर पूजते थे। पू. उ. श्री धर्मसागरजी म.पू. पं. श्री अभयसागरजी म. का ध्यान जाने पर इस प्रतिमाजी को अधिकार में लेकर वहां भव्य मंदिर बनाया और थोड़े समय में प्रसिद्ध तीथ बन गया। 'प्रतिमाजी अत्यन्त भव्य और दर्शनीय है। खड़े प्रतिमाजी और उसकी आकृति देखते नेत्र स्थिर हो जाते हैं। तीर्थ का विकास भी बहुत शीघ्रता से हुआ है।
यह तीर्थ वैसे तो राजस्थान का है परंतु म. प्र. की बोर्डर से ४ कि.मी. है और जमेला स्टेशन के पास है। रतलाम से आते क्षिप्रा नदी के बाद यह तीर्थ आता है। यहां धर्मशाला, भोजनशाला की पूर्ण व्यवस्था है। * मु. उन्हेल (नागेश्वर तीर्थ) जि.-झालावाड़ (राजस्थान)