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महागष्ट विभाग
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४. श्री खापर तीर्थ
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वापर जैन मंदिरजी
मूलनायक श्री नमिनाथजी
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हो.२
हो अनुपम ज्योति प्रभुनी उदार रे,
या मनडुं प्रफुल्ल करनार रे, हो.. वप्रामाता प्रभु विजयराजनंदन, नमिनाथ जगदाधाररे। हो.१ विषयकषाय रूप संसार छोडीने, दीक्षा देवी वरनार रे। घातिकोनो नाश करीने, केवल दीपक धरनार रे। अघाति नाशथी शिवरमा पाम्या, दिव्य सुख भंडार रे। व्रण भुवननां उद्योत कों, जिनचंद्र मनोहार रे। तारो प्रभुजी अमृतवाणी थी, जिनेन्द्र हृदयनां हार रे।
मूलनायक श्री नमिनाथजी पहले घर मंदिर था २०४२ में शिखरबंदी बना तब पू. आ. श्री विजय यशोदेवसूरीश्वरजी महाराज के द्वारा प्रतिष्ठा हुई थी। दूसरी बार प्रतिष्ठा २०४२ में पू. मु. श्री नरदेवसागरजी म. के द्वारा हुई है। आरस के ६ प्रतिमाजी
जैनों के ६५ घर ४०० संख्या है। पास के शडादा तथा तलोदा गांव में मंदिर है। अक्कल कुवा से २० कि.मी. है। स्टेशन नंदुरबार जि. धुलिया पिन ४२५४१९
नेम हमारा स्वाम है, मंगलकारीनाम है; आतमको आराम है, स्वामी है सभी देवका... सभी संसार असार है, तीरथ जग में सार है।' शत्रुजय गिरनार है, स्वामी है सभी देवका। नेम.१ ईहां प्रभु तीन कल्याण है, दीक्षा केवल नाण है; तिसरा ही निर्वाण है, स्वामी, है सभी देवका... नेम. २ जो तुम चरणे रमता है वो भव में नहि भमता है; .. शिवराणी को गमता है, स्वामी, है सभी देवका। नेम.३ पापी मुझको तारना; भवोदधि पार उतारना; उपेक्षा प्रभु मत करना, स्वामी है सभी देवका। नेम. ४ गुरु कर्पूरसूरि शीह है, चाहत तुज आशीष है; प्रभु तुहि जगदीश है, स्वामी है सभी देवका। नेम।५
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