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श्री श्यतांबर जैन तीर्थ टान भाग -
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घाटकोपर ईस्ट जेन मंदिरजी
નાજીરાવલી પાર્શ્વનાથ
घाटकोपर ईस्ट पूलनायक श्री जीरावाला पार्श्वनाथजी
मंदिर लाइन में यह मंदिर है। आरस के ८ प्रतिमा है प्रतिष्ठा सं. १९६४ फाल्गुन सुदी ३ ता. ५-३-१९०८ को हुई है। यहां लकड़ी का मंदिर था कच्छी वीशा ओसवाल समाज ने यह शिखरबंधी मंदिर बंधवाया है। जीर्णोद्धार सं. १९९६ वैशाख वद ३ ता. २७-५-१९४० को हुई है। संचालक कच्छी वीशा ओसवाल मूर्तिपूजक जैन महाजन । मुंबई ४०००७७, फोन - ५१२०८२६
श्री जीरावल्ला पार्श्वनाथजी मंदिर लेन
१४. श्री चेम्बुर तीर्थ
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मूलनायक श्री आदिश्वरजी
भायखला से चैंबुर तक निकली जिससे उनके फोटो और यह मंदिर १० वें रस्ते पर है, मंदिर भव्य और तीर्थ रुप पादुका के साथ गुरु मंदिर बनवाया है। है। प्रतिष्ठा सं. २०२० फाल्गुन वदी ३ को पू. आ. श्री विजय मंदिर के पास अग्नि संस्कार हो तो उसकी ज्वाला और धर्मसूरीश्वरजी म. के द्वारा हुई है। मुंबई शहर का मीनी धुंआ लगता है अत: मृत देह को बाहर से अन्दर लाना और पालीताणा गिना जाता है। और हर वर्ष वर्षी तप के पारणे उसमें मंदिर के पास अग्निसंस्कार हो वह अच्छा नहीं। ऐसा यहां होते हैं। उपर चौमुख श्री धर्मनाथजी है। भोयरे में वीश जहां-जहां हुआ है वहां मंदिर आदि का नुकसान या अतिशय विहरमान जिन है। श्री गौतमस्वामी आदि की देरियां हैं। ____घटने की घटनाएं हैं। सर्वप्रथम यह रिवाज वर्तमान में उपाश्रय, आयंबिल शाला, अतिथिगृह, भोजनशाला है। भायखला मंदिर के पीछे पू. आ. श्री विजय वल्लभ सू. म. मुंबई ४०० ०७१, फोन - ५५५४८०२ ।
का अग्निसंस्कार किया गया था। दूसरा गांव जहां से आचार्य
देवकी मृतदेह लाकर मंदिर या तीर्थ में दुसरे भी अग्नि संस्कार यहां इस मंदिर के प्रांगण में पू. आ. श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म. के अग्नि संस्कार कराये थे। वह
कराए हैं यह बात रुचिकर नहीं। स्मारक जहां कहीं जा सकता भायखला में कालधर्म को प्राप्त हुए । श्मशान यात्रा
है उचित जगह देखकर गांव के बाहर अग्नि संस्कार हो तो भी अनुचित नहीं लगता है।
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