Book Title: Shikshaprad Kahaniya
Author(s): Kuldeepkumar
Publisher: Amar Granth Publications

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Page 10
________________ 172 174 176 86. 87 179 180 185 88. ४० 187 191 90 (x) 83. सुख कहाँ और कैसे 84. स्वावलम्बन का पाठ 85. दानवीर कर्ण सेवा मन का पवित्र भाव जैसी करनी वैसी भरनी गुरुनिष्ठा मन ही राक्षस है तेरा साई तुझमें वास्तविक बल 92. संतोष और आनन्द का रहस्य विचित्र प्रयोग सुनो सबकी करो मन की ___संतोष ही सुख का मूल है 96. धर्म का सहारा 97. मूर्ख कौन 98. नारी का सम्मान 99. मूल स्वभाव को समझना जरूरी 100. मनुष्य की अद्भुत श्रेणी 91. 192 195 198 200 94. 95. 203 204 205 208 210 213

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