Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 5
________________ [ २ ] है २४ में भ० के कल्या० ३ च० ज० दि. भये तीनों स्थान जुदै जुदे हैं १ पहाड़ पर २ नदी किनारे पहाड़पै ज. नदी किनारे च. दि. के स्थान मं० बने हैं यात्रा करके चले आना रहने की जगे वहां नहीं है भता खानेका लेजाना सायमें। यहांसे पीछे खुसको रस्तेसे मननपुर टेशन आन कर रेलमें जो कलकत्तेको जाय है उसमें पोछा मधुपुर टेशन जाना। मौ० ६८ मा• nyu ८ मधुपुर जंक्शन टेशन उतरना यहांसे दूसरी रेलमें ग्रेटौ जाना। ८ ग्रेटौ टेशन उतरना पासमें ध• । मं० । भ० का है सहरहै बैलगाड़ी बगैरह सवारी सम मौले हैं यहांसे खुसको रस्ते सड़कके जाना वराकट नदी को० ५ है। मौ २३ मा ७॥ ग्रेटौका लगे हैं। १- वराकट नदीको शास्त्रमें रिजुवालौका नदी तीर्थ कहाहै वहां ध०। मं० है २४ में भ० का कल्या. १ज्ञा भया है जिनिस सव मिलती है वसतो नहीं है वहांसे खुसको मधुवन जाना सड़क है। २- मधुवन को• ४ है वहां ध० बहोतहै दरवाजेके सामने वटवृक्षके नीचे अधिष्टाताका मं० चमत्कारीक स्थापनाहै जिनस सब तथा डोलौ मिलती है चिरकोग्रामसे रस्ता जुदा गया है मधुवनको। १ सांवलौयाजौ २३ वें भ० का मं० (वा) मं० भ० के बहोत है भण्डार कारखना है ध० के पास थोड़ी दूरपै समेत शिखरजी तीर्थक पहाडको सौमाहै वहांसे पहाड़को वधायके पूजा बगैरे करके दूधको धारा देते भये धपखेते वाजौन वजाते यात्रा करने कि रितीहै १ ऊपर जाके को० १ पै गन्धर्बनालाहै वहां ध० है जात्रौ लोगों के वास्ते भत्तापानीको जोगवाद संघके तरफसे रहती है वा उपर जाके दो रस्ते हैं । पत्थरमें हरफ खुदे भए रस्तेका नाम पेड़में लगा है उस रस्ते पगडंडीके जाना वांये हायके सडकका रस्ता छोड़ देना। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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