Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 26
________________ [ २४ ] २३वें भ० वरेजाजी का तीर्थ है ध० मं० भ० काहै सवारी बैलगाड़ी को जायहै जिनस मिले हैं तथा खुसकी रस्ते वा जलमार्ग से ककभुज मांगरोल मांडवौबंदर जामनगर वगैरेको रस्ते हैं वहां मं० भ० के अनेक है० है यहांसे रेलपर बैठकर पौछा जेटलसर होते धौला जंक्शन आकर पौछा रेलपै बीरम गांव जंक्शन जाना वहांसे दूसरो रेलमें बैठकर अहमदाबादको जाना । मौ० २४८ मा० ३८) ६७ अहमदाबाद जंक्शन ष्टेशन उतरना पासमें बजार ध० है सहर मो० १ है वहां ध०मं० भ० के १२५ है घरदेरासरजी ५०० है माधोपुरे में बडा भारी मं० भ० का ध० है सहरसे को० १ है और पुरोंमें मं० भ० के हैं विद्याशाला है यहांसे खुसको रस्ते को ०३ बैलगाड़ी पैजाना १–६७ नारोडा गांव है जिनिस मिले हैं ध० मं० भ० के प्राचीन विसाल है वहांसे पौछे आना अहमदाबाद के पास राजपुर में मं० भ० केहैं ॥ यहांसे रेलपर आनंद जाना । मोल ४० मासूल ।) ६८ आनंद ष्टेशन उतरना गांव है बजार में ध० है बैलगाडीको सवारी मिले हैं यहांसे खुसकी रस्ते को० १८ जाना । १–६८ खंभायत सहर है ध० मं० भ० के १०० है २३वें भ० का मं० श्रीथंभनाजीका तौर्थ बहोत प्राचीन प्रभावीक है भगवानकी मूरती परतनको फणदार चमत्कारीक हे श्रीश्राचार्य महाराजने जयतिहुअण स्तोत्र नवीन रचना करके जमीनमेंसे मूरतौ प्रगट करीथो रामचन्द्रजीके बख्तसे पता है इस तौर्थका आदि नहीं मालुम है तीर्थको स्थापना किसने करौथो इतना प्राचीन तौर्थ है स्लासे हाल तीर्थका शास्त्रोंसे जान लेना ॥ यहांसे पोछा ष्टेशन पर आय कर रेलपर बैठके वडौदे जाना । मौल ३२ मासूल ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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