Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 30
________________ [ २८ । को चमत्कार दिखाकर जैनौ कराया प्राचीन तीथै चमत्कारीक है यहांसे खुसको को० १२ जापता लेके जाना सवारी सब मिले हैं। २-८२ मगसी ग्रामहै वहां २३ वें भ. मगसीजीका तीर्थ मं० प्राचीन चमत्कारीकहै जिनस सब मिले हैं। यहां पर संवत् १८१६ के अषाढ़में सरदारमलजीको सुपना देकर २३ वें भ. श्रीगौडोजी महाराज प्रगटेथे जमीनमेंसे ११ दिनतक दरशन दिया पानी १ वृंद बरसा नहींथा अनेक चमत्कार आनंद भयेथे ३ लाख यात्रौ इकट्ठा भयाथा बड़ा भारौ मेला हुवाथा उस स्थानपर मं० भ०का नया वना कर स्थापना करी है तीर्थको यहांसे पीछे उज्जैन जाना ॥ यहांसे रेलपर फताहावाद आके दूसरौ रेलमें रतलाम जाना मौ०४८ ) ८३ रतलाम टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० का चौक बजारमें हैं यहांसे खुसको रस्तेसे जाना सवारी सब मिले हैं। १-८३ खाचरौद सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे रतलाम आना २-८३ ववरोदगांव को० २ है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० केसरीयाजीकाहै यहांसे पीछे रतलाम आयके फेर जाना। ३-८३ सेमलाग्राम को० ४ है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० काहै और १६ वें भ० का मं० उड़ाकर यहां लायेथे उसका चमत्कार यहहै खंभे मेंसे दुधको धारा भादो सुदौ २ को निकलती है यहांसे पौछे रतलाम जाना ॥ यहांसे नीमच जाना। मो० ८३ मा० ) ८४ नीमच टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के प्राचीन है। यहां से रेलपर बैठकर नींभार जाना। मौ० १६ मा० ) ८५ नींभार टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे भी खुसको रस्ता उदेपुरको है सवारी सब जायहै ॥ यहांसे रेल पर बैठ कर चौतौड़गढ़ जाना। मौ० १८ मा०) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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