Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 42
________________ zlopbllo Allegro [ 2 ] // यह पुस्तक १००००छपी है पहले सब जगे जायगी जब वहांका श्रीसंघ वा मन्दिरजीके भंड कीमत भेजकर जीत्ता पुस्तक उस मुजब भे कीमत पुस्तकको मगाने का यह है उसी कौमतसे और पुस्तक छपाकर तयार रहा करेगी जो दौसावर वाला मगावेगा कौमत भेजकर उसी वखत भेजी जायगी मुनासिव है ठीकानेर के श्रीसंघ को वा मं०के भंडारौ लोगों को इस पुस्तकको लोगों में प्रसिद्ध प्रचलित करे बड़े लाभ उपगारका कार्य है और हमेसा मन्दिरजौके भण्डारोंमें 100 या दो सौ पुस्तक मंगायके स्खे बिशेष लागतको जिनस नहींहै थोड़ा द्रव्य लगेगा जिस वखत जिसको दरकार होगी उसे मिलेगी खदेशी प्रदेशौ को तथा एकट्ठीपुस्तक मंगानेसे डांकका मासूल कमतौ लगेगा मनीआडर भेजनेमें सुवीता होगा। // यह पुस्तकको छपाकर साधर्मी भाईयोंके हाथ विक्री होती रहेगी हमेसा उसका मुनाफा जो कुछ प्राता रहेगा उसे तीर्थों के मं० ध० का जौण उद्धार होता रहेगा सम्म तशिखरजी में लगाय हस्तिनापुरजी तकके तीर्थों का वा जीर्ण उद्धारका लाभ समझकर पुस्तकको कीमत लगाई गई है व्योपारके लाभ नौमत नहीं। // इस पुस्तको श्रीगुरुवादिक पण्डितराजको संमती लेकर आज्ञा अनुसार श्रीसंघ के साहाज्य से छपाई है रचना करन हार काशी बनारस निवासी सौतलप्रसाद छाजेड जौहरौने खधर्मी भाईयों के लाभार्थ श्रीतीर्थमाला अमोलकरत्न प्रकाशित किया इसके बनाने में वा सुध करने में जो कोई मन्द मती पनेसे वा नजर दोषसे वा छापके दोष से कोई अक्षर काना मात्रा को भूल रह गई होय तो मय मिछामि दुकडंग देता हूं विहज्जन लोग सुध करके पड़ेंगे अनु ग्रह करके सं० 1850 मि० आसाढ़ सु०५ श्रीरस्तु श्रीकल्याणमस्तु॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara. Surat 'www.umaragyanbhandar.com

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