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શ્રી યશોવિજયજી જૈન ગ્રંથમાળા
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झेन : ०२७८-२४२५३२२ ३००४८४९
837
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र्यमाला अमोलकरत्न ||
॥ जैन सीतंबरीश्रावकी की ॥
२५६८
ह
[100000
श्रीशीतलप्रसाद छाजेड जौहरी काशी बनारस निवासौने बनाकर संशोधित. और प्रकाशित किया ।
नगर
(य
यह पुस्तक समस्त श्रीसंघ के साहाज्यसें छपाई गई है साधर्मी भायोके हितार्थम् ।
इस पुस्तकको वा आशयको छपवानेका अखत्यार पुस्तक बनानेवाले की परवानगी बिना दूसरेको नहीं होगा मुताबिक ऐक्ट २० सन १८४७ व ऐक्ट २५ सन १८६७ इखौके फीस देकर पक्कौ
रजिष्टरौ कराया है।
कलकत्ता
बड़ाबाजार ७५ नं० तुलापट्टौसे
रामनारायण पालने
“नारायण” यत्व में छपौ ।
॥ सन १८९३ ॥
पहिलाबार १००००
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कौमत दो आना ।
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॥ सांकेतिकसूचीपत्र ॥ ॥ इस पुस्तकका इसारा इस मुजब है। भ. ऐसा लिखाहै उसे भगवान समझना वा इसके पीछे अंक लिखा होय जहां तो जानना अंक मुजब तीर्थ कर को जैसे १ का अंक है तो पहले तीर्थ कर समझना वा जहां कल्या० ऐसा लिखाहै वहां कल्याण क जानना वा इसके आगे अंक दीया होय जहांपै वहां अंक मुजव कल्याण क जान लेना के यहांपर इत्ते कल्याणक भएहैं। भगवानके वा कल्याणक पांच है भ० के उसका पहला हरफ लिखा है एक २ उसे कल्याणक समझना जैसे च० ऐसा लिखनसे चवन जानना इसीतरे अ. में जनम दि० में दिक्षा ज्ञा० में केवल ज्ञान मो० में भोक्ष समझ लेना और जहां मं. ऐसा लिखाहै उसे मन्दिरजी समझना वा जहां ध० ऐसा लिखाहै उसे धर्मशाला जानना वा जहां को० ऐसा लिखा है वहां कोस समझ लेना इसके आगे अंक लिखाहै उसे इत्ते कोस है वा जहां मो. ऐसा लिखा है वहां मौल समझना उसके आगे अङ्ग दिया होय तो इत्ते मोल है ऐसा जानना वा जहां रुपया सुका आना पाइ लिखाहै उसको रेलके तीसरे दरजेका मासूल जानना यहांसे वहांतक इत्ता दाम टोकटका एक आदमौ का लगेगा जहां रेलका रस्ताहै वहां रेल का रस्ता लिखाहै जहां खुसको रस्ता सड़कका वा पगडंडौकाहै वहां वैसा लिखाहै जहां सहरहै जहां वजारहै जहां गांव है जहां जंगल पहाड़है जिनस सीधा सामान मिलताहै वा नहीं मिलताहै सवारी मिलती है सव वा बैल गाड़ी फकत वा नहों मिलती है सब लिखाहै दर्पणवत् देख लेना।
॥और नक्से में ८ निसान बने है मंदिरजी पहाड़ तौविछेद खुसकी रस्ता सड़कका रेलके टेशन जहां तीर्थ मन्दिरजीहै वा रेलको लैनहै वा जो टेशनपर कुछ नहीं है वा जिस टेशनसे रेलको लेन बहोत है उसको जंक्शन लिखा है वा तीर्थों के नाम सहरोके ग्रामोके नाम वा टेशनीके नाम वगैरा सब हरफोमें लिखाहै जहां न• ऐसा लिखा होय उसे जंक्शन जानना करकचनवत् खुलासा ।
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सर्वतीर्थों को व्यवस्था ॥
१ कलकत्तेशहरमें १६ वें भगवानजीका मन्दिर बड़ाबाजार अफौमके चौरस्ते पर है ६ घरदेरासरजौ है धर्मशान्ता बांसतल्ला नम्बर ५८ में हैं वहां से कोस १ माणिकतल्ला ट्रोट होलसौबगानमें श्रीदादेजी के बगीचे में मन्दिर धर्मशाला है उसके पास २४ में भगवानजीका मन्दिर है। उसके पास १० में भगवानजौका मन्दिर है। उसके बगल में नया मन्दिरजी बनता है वहां से पीछे भान कर गङ्गापार जाने को पुल बना है गाड़ी वगैरह जाती है हबड़ेमें रेलका टेशन है। १-१ हबड़ा जंक्शन टेशन मौल १ सहरसे है वहांसे रेल पर सवार होना उतरना होता है। दो लैन रेलको है। कार्डलैन, लपलैन से बैठकर नलहटौ जाना। मौल १४५ मामूल १)।
२ वईमान जंक्शनसे दो लैन भईहै सहर कोस १ है सवारी मिले हैं
३ नलहटी जंक्शन टेशन उतरके दूसरौ रेलमें बैठकर यहां से अजीमगंज मकसुदाबाद जाना। मौ० २८ मा० ॥
४ अजीमगंज टेशन उतरना सहर पास है। ध० बजारमें है वहां मं। भ. के बहोत है वा रामबागमें है वहांसे गङ्गापार नावमें जाना १-४ बालुचर सहर है वहां ध० । मं० । भ० के कई है वहां से खुसको रस्ते को १ कौरतबाग है सवारी सब जाय है मंभ के
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[ २ ]
ध० है वहांसे को ० २ कठगोला है ध० । मं० । भ० का है वहां से कासमबजार को ० ५ है ध० । मं० । भ० का है वहांसे पौछा श्रावना । ॥ अजीमगंजसे रेलपै बैठकर नलहटो आनके दूसरौ रेल पर भागलपुर जाना। मौ० १४७ मा० १॥ ८ ॥
५ भागलपुर ष्टेशन उतरना पासमें ध० मं० भ० का है बजार पास है १ – ५ इस मन्दिरजोके उतरके कोने में कसौवटौ स्याम पाषान के दोहरे चरनकी स्थापना है वह चरन प्राचौन खास मौथलाजौ तौर्थकेहै कारणसे यहां स्थापना भई है उस तौर्थ के भाव से पूजा दर्शन करना चाहिये यहांसे को० २ खुसकौ रस्ते सड़क है सवारो सव जाय है । २–५ चंपापुरौ नगरौ तीर्थ है सहर नाथनगर में ध० मं० १२ में भ० काहै यहां कल्या० ५ च० ज० दि० ज्ञा० मो० भये हैं १ मं० में पांचों कल्याणक के चरणोंकी स्थापना है ध० के पास में चम्पानाला वहताहै पौछे ष्टेशन पर आयके लक्खीसराय जाना । ६१ मा० ॥
६ लक्वौसराय जंक्शन ष्टेशन उतरना बजार में ध० है यहांसे दो लेन रेलकोहै कार्डलैनकौ रेलपर मननपुर जाना मौ०८ मा० ॥
७ मननपुर ष्टेशन उतरना ग्राम है सवारी बैलगाड़ी की मौले है खुसकौ रस्ते को ० ३ जाना ।
१-७ काकंदीनगरौ तीर्थ है ग्राममें जिनिस मिले है ध० । मं० ८ में भ० काहै कल्या० ४ च० ज० दि० ना० भयेहै यहांसे खुसकौ रस्ते लकुवाडगांव जाना बैल गाड़ी पर ।
२–७ लछुवाड़ग्राम को० ७ है ध० । मं० । भ० का है जिनिस मिलती है पहाड़ पर डोलौ जायहै तलैटौ तक बैलगाड़ी। वहां ये चैत्रौ कुण्ड नगर तौर्थ को ० १ पहाड़ परहे चडाही को० १ कौ
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[ २ ] है २४ में भ० के कल्या० ३ च० ज० दि. भये तीनों स्थान जुदै जुदे हैं १ पहाड़ पर २ नदी किनारे पहाड़पै ज. नदी किनारे च. दि. के स्थान मं० बने हैं यात्रा करके चले आना रहने की जगे वहां नहीं है भता खानेका लेजाना सायमें। यहांसे पीछे खुसको रस्तेसे मननपुर टेशन आन कर रेलमें जो कलकत्तेको जाय है उसमें पोछा मधुपुर टेशन जाना। मौ० ६८ मा• nyu
८ मधुपुर जंक्शन टेशन उतरना यहांसे दूसरी रेलमें ग्रेटौ जाना।
८ ग्रेटौ टेशन उतरना पासमें ध• । मं० । भ० का है सहरहै बैलगाड़ी बगैरह सवारी सम मौले हैं यहांसे खुसको रस्ते सड़कके जाना वराकट नदी को० ५ है। मौ २३ मा ७॥ ग्रेटौका लगे हैं। १- वराकट नदीको शास्त्रमें रिजुवालौका नदी तीर्थ कहाहै वहां ध०। मं० है २४ में भ० का कल्या. १ज्ञा भया है जिनिस सव मिलती है वसतो नहीं है वहांसे खुसको मधुवन जाना सड़क है। २- मधुवन को• ४ है वहां ध० बहोतहै दरवाजेके सामने वटवृक्षके नीचे अधिष्टाताका मं० चमत्कारीक स्थापनाहै जिनस सब तथा डोलौ मिलती है चिरकोग्रामसे रस्ता जुदा गया है मधुवनको। १ सांवलौयाजौ २३ वें भ० का मं० (वा) मं० भ० के बहोत है भण्डार कारखना है ध० के पास थोड़ी दूरपै समेत शिखरजी तीर्थक पहाडको सौमाहै वहांसे पहाड़को वधायके पूजा बगैरे करके दूधको धारा देते भये धपखेते वाजौन वजाते यात्रा करने कि रितीहै १ ऊपर जाके को० १ पै गन्धर्बनालाहै वहां ध० है जात्रौ लोगों के वास्ते भत्तापानीको जोगवाद संघके तरफसे रहती है वा उपर जाके दो रस्ते हैं । पत्थरमें हरफ खुदे भए रस्तेका नाम पेड़में लगा है उस रस्ते पगडंडीके जाना वांये हायके सडकका रस्ता छोड़ देना।
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१ ऊपर जाके को० १ पै सौतानाला जल हमेसा वहताहै वहां अधिष्टाताका स्थान बनाहै उनकी पूजा करके उपर जाना। १ इस पहाड़पै २० टुंक जुदे जुदे हैं कल्या० २० मो• भएहैं टुंको पर गुमटियों में चरनों की स्थापना प्राचीन हैं वोसों भ० के कल्या. इस मुजव भ.नोके हुवे है २।३।४।५।६।७।८।८।१०।११।१३।१४।१५॥ १६।१७।१८।१८।२०।२१।२३ । वें भ० न वगैरों के भये हैं यहां। १ इस पहाड़पै ४ गुमटियों में ४ भ० के चरणों की स्थापना है ॥१२ ।२२।२४। वें भ० को सो नई स्थापना करौ है इन भ० नोंके कल्या. यहां नहीं भये हैं और तीर्थस्थानों में कल्पा० भये हैं मो० यहां नहीं। १ वीस वें टुकपै २३ वें भ० का मं० नया वनताहै इसको मेघाडंवरका टुंक कहते हैं टुंकसे थोड़ी दूरपै सड़क बनौहे नौचे पानेको वा टुंकसे को• पाव पर सौतानालेका सोता जागैहै पानी रहता है १ सव टुंकोके वीचमें १ मं० है वहोत विशाल उसको झुरमठका मं० कहते हैं उसमें २३ वें भ० को मूर्तीयें प्राचीन बहोत मनोहर विराजमान है पानीका झरना वा कुण्ड वा ध० वा वगीचा हैं। १ इस तीर्थ के पहाड़को प्रदक्षिणा को १२ को दोजायहै वा यात्री लोग पहाड़पर जूता वगैरा पहर कर नहीं जाते हैं कारण समस्त पहाड़ कंकर २ पूजनीक है सव तरीको विनै रखने को रितीहैं। १ पहाड़ पर रातको रहने का अवहार नहीं है पागेसे वा पहाड़में पहले बहोत भय था सिंहादिक जानवरोंका अव नहीं है तीर्थको ऐसौ महिमाहै पाजतक कोई यात्री लोगों को जानवरसे खतरा नहीं भयाहै वा संघके समुदायके साथ में १।२ ढोलवाले बजाते भये लेजाते हैं वा ध० के बाहर जंगल में रातको जाना मनाह भयसे का 'यात्रा वगैरा करके पौछा सौ रस्तेसे ग्रेटौ पायके रेलमें मधुपुर
टेशन पान वहांसे रेलपर मुकामा जाना। मी. १२२ मा• 0
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१० मकामा जंक्शन टेसन उतरना सहरहै यहांमे गङ्गापर टीमग्में जाना रेल दरभङ्गे होकर सौतामडी गई है उसमें जाना १०२ । १०)
११ मौतामडी टेसन उतरना सहर में ध० है। १३० मा० १) १-११ मिथिलानगरी तीर्थ इसको शास्त्र में कहा है यहां कल्या० ८ भए हैं १८ में भ० के ४ च० ज० दि. ज्ञा० और २१ में भ० के ४ च. ज. दि. ज्ञा० भएहैं अव खेत्र फरसना होती है स्थानादिक कुछ वहां नहीं है आगे थे मंदरजी में चरण अव खास चरण यहांके कारण वस भागलपुरके मंदरजौके कोने में विराजमान है तीर्थ वौ छेद है इसका खुलासे हाल पुस्तकके अन्तमें लिखा है। यहांसे उसो रस्त से पोछे रेलपर मुकामे होकर बखतौयारपुर जाना।
१२ बखतौयारपुरष्टेसन उतरना सहरमें ध० है यहांसे खुसको सड़क का रस्ता है सवारी बैलगाडी वगैरा मिलती है यहांस विहार जाना १-१२ सुवे विहार को० १० सहरहै इसको शास्त्र में विधालानगरौ कहते हैं ध० लालवागमें मं० । भ. काहै और मं०। भ० के पाड़बजार मैथौयान महले हैं यहांसे खसको रस्त पावापुरी ग्राम जाना सवारी सब जाती है मिलती है। २-१२ पावापुरजी तौर्थको० ३ है ध० । मं० । भ. काहै जीनस मिलती है गांवसे पूर्व को पाव प्राचीन समवसरन जिसको हस्तपाल राजाको मुक्तशाला शास्त्रमें कहते है यहां अन्त वख्तके समवसरनको रचना देवतीने करोथौ १६ पहरतक भ० ने देसना देकर मुक्तौ पधारे थे और तलावमें १ मं० २४ में भ. काहै गांवके पास जिसको जलमंदीरजी कहते हैं वह जगे भ० को अग्निसंस्कार इन्द्रोंने कराया था यहां २४ में भ•का कल्पा. १ मो. भया है तलावके कौनारे १ मं० भ० का और है उसके पास में समवसरन
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नया बना है जिसमें प्राचीन समवसरण के चरण लायके स्थापित करे हैं यहांसे खुमको रस्त े गुनाएजौ जाना सवारी सब जाय है। ३ – १२ गुणावां ग्रामको ० ६ इसको शास्त्र में गुणशौलाचैत्य कहा है २४ में भ० ने १४ चौमासा यहां करेथे इसे तीर्थ है तलाव के बीच में मं० । भ० काहै ध० कौनारे पर है जीनस मौले हैं यहांसे खुसकौ राजग्रही जाना सवारी सब जाती है
1
४ १२ राजग्रहो नगरौतौर्थ कोस ६ है महर में ध० । मं० ॥ भ० का है तौर्थ पांचों पहाड़ पर है पहाड़ के नाम वौपलाचल, रत्नागिरि, उदयगिरि, सुवर्णगिरि, वैभारगिरि पहले पहाड़पर २० में भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भया है ५ वें पहाड़पर ११ गणधर महाराज २४में भ० के मोक्ष गए हैं डोलौपहाड़ पर जाती है रातको नहीं रहना होता है खानेको भत्ता साथमें ले जाते हैं नौचे अनेक स्थान बने हैं सोनभंडार राजा सेणिकका शालिभद्रजौ नौरमालकुइ गरमपानीके कुण्ड यहांसे खुसकी वडगांव जाना सवारी जाती है । ५- १२ बडगांव कोस 8 है इसको शास्त्र में धनवर गुब्बरग्राम कहा है यहां पहले गणधर २४ में भ० का जन्मस्थानसे तौर्थ है ध० मं० । काहै उसमें मूरते सत्र बौध मतको है १ मूर्त्ति कोने में २४ में भ० की अपनी है जौनस मिले हैं यहांसे खुसको को० १२ वखतौयारपुर ष्टेसन जाना वहांसे रेल पर पटना जाना । मौ० २२ मा० AD १३ पटना ष्ट ेसन उतरना सहर को ० आधा है चौंक बजार बाड़ेकी गलौ में ध० । मं० । भ० केहैं वहांसे कोस २ पर सेठ सुदर्शन का स्थान है उसे कवलद्रह कहते हैं और को० १ पर बगीचे में दादेजी का स्थानहै शास्त्रमें इसको पाडलौपुरनगर कहते हैं यहां चन्द्रगुप्त चानीयको राजधानी थी वा कोस्या बेस्या इहां भई थी। यहांसे रेल पर बैठके बांकीपुर जाना । मो० ६ मा० )|
भ०
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१४ बांकीपुर जंक्शन टेसन उतरना यहांसे दुसरौ रेलमें बैठ कर गयाजी जाना यह सहर है। मौ० ५७ मा० )
१५ गयाजी टेसन उतरना सहरमें ध. सरांय है सवारी सब मिलती है यहांसे खुसको जाना सडक है। मौ० २८३ मा० ३॥) १-१५ सहरघाटी कोस १० है सवारी जाय है आगे सड़क नहीं हे को० ४ हण्डरगञ्ज है वहांसे को० १ हटवरीयागांव पूर्वहै जाना १ शास्त्र में इस स्थान को भद्दलपुरनगर तीर्थ कहाहै १० में भ० के कल्या. ४ च. ज. दि. ज्ञा० भएहैं अव तीर्थ बौछेदहै खेत्र फरसना होतीहै गांवके पास १ छोटासा पहाड़ है उसपर १ मंदौर बनाहै उसमें मूर्ती विराजमानथौ आगे अवनहींहै १ पत्थरमें प्राचीन लोपौ पालीहरफोंमें बहुतसा लिखा लगाहै नीचे देवौका मंदिर नदी है जिनस सब जगह मिले हैं। यहांसे पौछे उसौ रस्ते से गयाजौ आनकर रेलमें वांकीपुर टेशन जाना वहांसे रेलपर दसरौ बैठकर इलाहावाद प्रयागजी जाना। --
- १६ इलाहावाद जंक्शन ष्टेसन उतरना सहरहै वजारमै सरांये उतरनेको बहोतहै वहांसे खुसको को० २ कौला है तथा नैनौ जंक्शन टे सनसे रेल झब्बलपुर वगैरेको होतो बम्बई गई है। १-९६ शास्त्र में इसे पुरमतालनगर तीर्थ कहाहै यहां १ ले भ. का कल्या. १ ज्ञा० भयाहै तीर्थ वौछेदहै खेत्र फरसना होती है कौलेके भौतर १ ताखाना है उसमें सादे पाषाणके वड़े चरण रखे हैं श्रीज्ञानि भगवान जाने क्या है कुछ हरफ लिखे नहींहै चिह्न भौ हैनहीं पण्डा लोगोंके कहे मुजव लोग उसौ चरणके दर्शन वगैरा करते हैं सहरसे को० ३ पै मुठौगञ्जमें १ मं० शिखरवन्द ध० बनौहै प्रतिष्ठा नहीं भईहै कारणसे। इसे प्रागजी भी कहते हैं।
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[८ ] १।१६ यहांम पपोसागांव को० १८ खसको रस्त सड़कके हैं सवारी सव जाती है उसको शास्त्रमें कोसंभौनगरौ तीर्थ कहा है वहां ६ ठे भ० के कल्या० ४ च. ज. दि. ज्ञा० भयाहै तीर्थ बोछेद है खेत्र फरसना होतीहै जङ्गलहै जीनस कुछनहीं मिलती रस्ते में बजार पड़ते हैं वहां १ छोटासा पहाड़है उसपर डोगम्बरियों का मन्दिर है नौचे ध० है कभी कभी घोलौ भई केसरके छोटे वरसते हैं पहाड़पर॥ यहांसे पौछे प्रयागजी उसी रस्त आयके रेलपर बैठकर पौछे मिरजापुर जाना तथा यहांसे रेल बहुत जगह गई है पछम दक्षिण बुन्देलखण्ड वगैरा । मौ० ५५ मा०॥
१७। मौरजापुर टेसन उतरना सहर को० प्राधा है वुड़ेनाथ महादेवके पास प० । मं० । भ० के हैं बगीचे में दादेजोका मंदिर है यहांसे रेलपर बैठके बनारस जाना। मौ० ४० मा० ॥
१८ मुगलकी सराय जंक्शन टेशनमें उतरना ॥ यहांसे दूसरौ रेलपर बैठकर बनारस जाना। मौ० १० मा० ॥
१८ बनारस टेशन राजघाटके उतरना इसको काशीजीवी कहते हैं सहरहै सुतटोलेमें ध० है रामघाटपर श्रीकुशलाजौका बड़ा मं० । २३ में भ० सावलीयाजीकाहै ८ मं० । भ० के और है ४ तीर्थ जुदे जुदे हैं कल्या० १६ भ० चारके भयेहैं खुसको रस्ता सड़कका है सवारी मिले हैं जिनिस मिले हैं सब । गंगा नौचे वहती है। १-१८ श्रोभेलुपुरजी तौर्य को० १॥ है धम०म० काहै २३ में भ० के कल्या० ४ ध० ज० दि० प्रा० भयाहै वहां दादेजीका मं० है बजार है वहांसे गङ्गाके तरफ थोड़ी दूर जाना। २-१५ श्रीभदयनौजौ तौर्य है ध०३ मं० । भ. काहै ७ में भ० के
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[ 2 ] कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भयाहै बजारहै राजा वकराजका घाट प्रसिद्धहै यहांसे को० ३ जाना खुसको रस्ते सवारी जाती है । ३-१८ श्रीसोंघपुरजी तीर्थ है ग्राम है। ध० है मं० भ० काहै ११ में भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भये हैं वहांसे को० ४ जाना ४-१८ श्रीचंद्रवतीजी तीर्थ है ग्राममें ध० है गंगाजीके उपर मं० भ० का है ८ में भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भयाहै यहां से पौछे बनारस आना को० ७ है १ दीनमें ४रों तीर्थ हो जाते हैं तथा रातको भी रहते हैं ।३ दिनमें करते हैं ॥ यहांसे अबध रेल पर बैठकर अयोध्याजी जाना। मोल ११८ मासूल १mom
२० अयोध्या टेसन उतरना सहर को० १ है रातको ष्टे सनके पास बजारमें सरांय है वहां रहना होय है दिनमें सहर जाते हैं रस्ते में जंगल पड़ताहै इसे डरहै हरतरोंका कटरा महलेमें ध० म० भ० का है यहां कल्या० १८ पांच भ० के भये है इसको शास्त्र में विनीता नगरी तीर्थ कहते हैं इस मुजब भ० के कल्या० भये है मो० ४ मा०) १ ले भ० के कल्या० ३ च० ज० दि० भएहैं। २ रे भ. के कल्या. ४ च० ज० दि० ज्ञा० भएहै। ४थे भ० के कल्या० ४ च० ज० दि. ज्ञा० भएहै। ५ में भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भएहैं । १४ में भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० जा० भएहै। यहांसे खुसको रस्ते को०२ फैजाबाद जाना सड़क है सवारी मिले हैं
२१ फैजाबाद जंक्शन टेसन सहरहै वहां ध० मं० भ० का है यहांसे खुसको रस्त सावथो जाना सड़कहै सवारी सब जातीहै गोंड होकर रस्ताहै खुसको को० ३० है। १-२१ सावधानगरी तीर्थ शास्त्र में कहा हैं अब उसको खेटमेट
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[ १० ] का कोला कहते हैं महाराजे बलरामपुरकी राजधानीसे को० ५ जंगल में हैं तीर्थ बौछेद है कौलेमें १ मं० भ० का बना है पहले मुरत भ० को विराजमानथी अब नहीं है वहां ३ रे भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भएहैं अब खेत्र फरसनाहै वहां जिनस नहीं मिलती जंगल है। यहां से पीछे उसी रस्ते फैजाबाद आयके रेलमें बैठकर सोहावल जाना। मौ० मा० ।
२२ सोहावल टेसन उतरना वहांसे नवराही गांव को० १ है बैल की गाडी मिले हैं जादे नहीं कमती दिनमें जाना होताहै रातको
सन पर रहते हैं रस्ते में डरसे । मो० ७० मा० १०॥ १-२२ औरत्नपुरी तीर्थ शास्त्र में इसे कहाहै अव नवराही नामसे प्रसिद्ध हैं जिनस सब मिले हैं गांवमें ध० म० भ० का है १५ में भ०के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भए हैं। यहांसे रेलपर लखनउ जाना
२३ लखनउ जंक्शन टेसन उतरना वहां बजारमें सरांय है दिनमें सहर जाना होताहै रातको नहीं रस्त में जंगल पडे हैं डर है इसे सहर को० ३ है सवारी सब मिलतोह म० भ० के सोधौटोले वगैरेमें वा बगीचे में हैं यहांसे रेल पञ्जाबको गईहै ॥ यहांसे रेलपर बैठके कानपुर जाना । मो० ४६ मा०m
२४ कानपुर जंक्शन टेसन उतरना सहर थोड़ी दूरहै सवारी सब मिले हैं टेसन पै बजार सरांय हैं उतरनेको चावलपटीमें मं० भ० का है वहांमे कई लैन रेल कोहे ॥ यहांसे फरक्काबादको रेल गई है उसमें बैठके फरकाबाद जाना। मौल ८६ मामूल )।
حموم
२५ फरमाबाद टेसन उतरना सहरहे बजारमें ध० म० भ० का
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[ ११ ] है । यहांसे रेल पर बैठके कायमगञ्ज जाना । मौ० १८ मा० )m
२६ कायमगञ्ज टेशन उतरना सहरहै सवारी सब मिले हैं वहांसे खुसको रस्ते जाना सड़क है। को० ३ कंपोला। १-२३ श्रीकंपौलानगरौ तीर्थ है सहरमें ध० म० भ० काहै ३रे भ. के कल्या० ४ च० ज० दि. ज्ञा० भएहैं। यहांसे पोछे कायमगन प्रायके रेलपै बैठके हाथरस जाना। मौ० ८३ मा० ॥)
->००><- - २७ हाथरस जंक्शन टेशन उतरना सहरहै। ध० म० भ० काहै यहांसे रेलको कैलैन है दूसरोरेल में टुंडले होके आगरे जाना। ३० )
२८ टुंडला जंक्शन टेशनसे के रेलको लैनहै यहां उतरना ॥ यहां से दूसरौ रेलमें बैठकर आगरे जाना। मौल १५ मासूल ।)
२८ आगरा जंक्शन टेशन सहरके पास है उतरना रोसनमहला नमको मंडी मोतीकटरा बगौचे वगैरामें म० भ० के कैहै। यहांसे रेल बहोत जगे गई है भरतपुरजयपुर मथुरा लसकर गुवालोयर वगैरा १-२८ लसकर सहरहै सराफे बजारमें गुवालीयरके कोलेमें वगीचेमें मं० भ० के ध० है। यहांसे खुसको रस्ते सोरीपुरजौको० १८ है २-२८ भरतपुर सहर है धर्मशाला मंदिर भगवानका है। ३-२८ मथुरा सहर है धर्मशाला मन्दिर भगवान का है। यहांसे रेल पर बैठकर पौछ सकुराबाद जाना । मौ० २३ मा० ।)
३० सकुराबाद टेशन उतरना वहांसे खुसकी रस्ते को० ६ बटेशर सोरीपुरहै सड़क है सवारी बैलगाडीको मिलती है। १-३० श्रीसोरीपुरनगर तीर्थ शास्त्र में कहा है अब दोनों नामसे
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[ १२ ]
प्रसिद्ध है तीर्थ बो छेद बराबर है बहां । २२ वें भ० के कल्या० २ च० ज० भएहैं सहरसे को० १ यमुनाको वोहडमें प्राचीन चरणको स्थापनाहै उसके पासमें नए चरन १ गुमटीमें स्थापना करे हैं सहर में डोगम्बरियोंका मंदिर है अपना कुछ नहीं है | यहांसे पोछा सकुराबाद आयके रेलमें गाजीयाबाद जाना । मो० १३७ मा० १y
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३१ गाजीयाबाद जंक्शन ष्टेशन उतरके दूसरौ रेलमें बैठना। यहांसे पंजाब लेनको रेल पर बैठके मेरट जाना । मौ० ३१ मा०
३२ मेरट ष्टेशन उतरना सहर है सवारी सब मिलती है यहांसे खुस की रस्ते सड़क के को० १६ हस्तिनापुर जाना वहां जंगल है जिनिस कुछ नहीं मिले हैं बजार रस्ते में गांव पड़ते हैं जिनिस वगैरा लेनेको १–३२ श्रीहस्तिनापुरजी तौर्थको शास्त्रमें गजपुरनगर कहते हैं यहां ध० मं० भ० का है कल्या० १२ तौन भ० के भएहैं प्राचीन | नौस- होये ३ जंगल में बनीहैं पहले उसकी पूजा करते थे । मं० भ० का नया बना है इस मुजब कल्या० भ० के भएहैं ।
वें भ० के कल्या० ४ च० ज०
१६ दि० ज्ञा० भया है । १७ वें भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भया है । १८ में भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भया है ।
यहांसे पोछे मेरट आयके रेलमें पोछे दिल्लीजाना । मौ० ४४ मा ०1८) मेरटसे रेल पंजाबको गई है सहारनपुर अंबरसर लाहोरपटीयाला लोधीयाना काश्मीर वगैरा सहरोंको वहां भौ ध० मं० भ० के हैं ।
३३ दिल्ली जंक्शन ष्टेशन उतरना सहर है ध० मं० भ० के ३ नाव घरा बेलपुरी में हैं यहांसे को ० ७ पुरानी दिल है वहां जाते रस्ते में को० ३ पै बगोचेमें ध० मं० छोटे दादेजीका है वहांसे को० ४ बड़े
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[ १३ ] दादेजीका स्थान चमत्कारौ है वहांसे पौछे दिल्ली जाना ॥ यहांसे राजपुताना रेल पर बैठकर अलवर जाना। मौ० ८८ मा० १)
३४ अलवर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० काहै। यहांसे रेल पर बांदीकुंई होके जयपुर जाना। मौ० ३७ मा० ।)
३५ बांदीकुंई जंक्शन टेशनमें रेल बदली जाती है कभी नहीं बदलो जाती है आगरसे रेल भरतपुर होकर मिलौहै मौ० ५६मा०)
२६ जयपुर टेशन उतरना वहां ध० बजारहै सहर यहांसे को. २ है ध० सांगानेर दरवाजे के पासहै म० भ० के घौडवालोको गलौमें वा बगीचे में वा दरवाजे बाहर वा दादे स्थान है यहांसे खुसको रस्ते आमेर को० ३ सांगानेर को० ३ है वहां ध० म० भ० के हैं। यहांसे रेल पर बैठकर कौसनगड़ जाना। मौ० ६६ मा० ॥)
३७ कोसनगड़ ष्टेशन उतरना यहांसे सहर दूरहै ध० म० भ० के चौकमें है। यहांसे रेलपर बैठकर अजमेर जाना। मौ० १८ मा०)
३८ अजमेर जंक्शन टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के लाखनकोठड़ी वगैरा महले में हैं बगीचे में बड़े दादेजीका स्थान बनाहै वहां देवलोक भया था यहांसे रेलको लेन वहोत गैई है मालवा मेवात माडवाड वगैरे सहरोंमें ॥ यहांसेरेल पर खरचौया जंक्शन इसको माडवाड जंक्शनवी कहते हैं जाना। मौ० ८७ मा० ॥5)
-air३८ माडमाड़ जंक्शन टेशन उतरना को० १ बैलगाडी जाना। १-३८ बोठुरा गांवमें ध० म० भ० काहै जिनिस मिले हैं। २-३८ वहां सम्बत् १८३८ मितौ श्रावन दूसरा सुदौ ११ को
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[ १४ ] सुपनाचन्दनमलजी लोढाको देकर आधी रातको श्रीसंघभगती करताथा जमीन फाडकर २३ वे भ० गोडोजी महाराज प्रगटे तांवेको कुंडीके भीतर विराजमान। जौता सर्प मस्तक पर छत्र करे भए ताजे फलोंका हार गले में धारण करे केसरको प्रांगोरचौ भई दरशन दिया बहोत देशोंके श्रीसंघ एकट्ठा भया था बड़ा चमत्कार देखने में
आया था अब उस जगे पर नया मं० भ० का बना कर स्थापना करीहे तीर्थ को॥ यहांसे दूसरी रेलपर पालोजाना मौ० १८ मा०)
४. पाली टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के सहरमें । सहरके बाहर पहाड़पर वगैरा बहोत है यहांसे जोधपुर जाना मौ० २५ ॥
४१ लैनी जंक्शन टेशनमें उतर कर दूसरी रेल जोधपुरवालोमें बैठना ॥ यहांसे दो लैनहै जोधपुर जाना। मौ० २० मा० )।
४२ जोधपुर टेशन उतरना सहरहै । ध० म० भ० के अनेक है यहां से खुसको रस्ते जाना को० १६ सवारी सब मिले हैं। १-४२ ओसानगरौ सहरहै ध० म० भ० के प्राचीन है श्रीआचार्य महाराजने वहांके राजाको सर्व प्रजा समेत उपदेश देकर जैनौ कराथा वहांपर ओस बालवंशको थापना करो वहांसे पौछा जोधपुर पाना ॥ यहांसे रेलपर बैठकर मेरता जाना मौ०६४ मा० ॥5॥ ४३ मेरता तथा फलौदी दोनों नामसे टेशन है शहर थोड़ी दूर है। १.-४३ फलौदी सहरहै ध० म० भ० के हैं तथा २३ में भ. श्रीफलौदौजीका तीर्थ है। यहांसे खुसको रस्ते को० ४ मेरताहै सवारी मिले है २-४३ मेरता सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे पीछे ष्टेशन जाना यहांसे रेलपर बैठकर नागौर जाना । मौ० ३५ मा० IDR
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[ १५ ]
४४ नागौर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं ॥ यहांसे रेल पर बैठकर वोकानर जाना । मौ० ६८ मा० ।।
४५ वीकानेर टेशन उतरना सहर है ध० म० भ० के बहोत है। यहां से पोछा लैनौ आनके दूसरी रेल में वालोतरे जाना मो० २८१ २॥७॥
४६ वालोतरा टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे खुसको रस्ते जाना सवारी मिले हैं तथा रेल पंचभद्राको गई है आगे १-४६ यहांसे को० ३ श्रीनाकोडाजीका तीर्थ है २३ में भ० का मं० ध० है पीछे वालोतरे आना। २-४६ यहांसे जैसलमेर सहर को० ५० है ध० म० भ० के बहोत है ८ कौलेके भीतर ३ सहरके वाहर १ सहरमें बगीचे में दादेजीका स्थानहै पुस्तकों का प्राचीन भण्डारहै ऐसा कहीं नहीं है वजारमें चौत्रावेल है जमीनके भौतर यहांसे खुसको को०५ जाना सवारीजा हैं ३-४६ लोद्रुवागांव है जिनस सब मिले हैं ध० मं० २३ वें भ० का श्रौलोद्वाजौका तीर्थ प्रसिद्ध है यहांसे पौछे जैसलमेर आयकर वहांसे वालोतरे टेशन जाना ॥ यहांसे रेलपर बैठकर पौछा माडवाड जंक्शन पर आय कर रानी जाना। मो० १७८ मा० १ ...
४७ रानी टेशन उतरना वहांसे खुसको रस्तेसे छोटी पञ्चतीर्थको रस्ताहै बैलगाड़ी जाती है तथा यहांसे श्रीकेशरीयानाथजौकोबौ। १-४७ वरकानागांव को० २ है जिनिस सब मिलती है वहां ध० मं० २३ में भ० का वरकानेजी तीर्थ प्रसिद्धहै यहांसे नाडोल जाना २-४७ नाडोलगांव को० २ है सब जिनिस मिलतीहै वहां ध. म० भ० के नाडोलजी तौथ प्रसिद्धहै वहांसे रानकपुर जाना। ३-४७ रानकपुर ग्राम को० ३ है जिनिस सब मिले हैं ध• मं०
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[ १६
]
भ. काहै वहां सब असवाव रख कर बैलगाडीमें जाना की. ३ पूजाका असवाव तथा भत्ताखाने को सौधा सामान वगैरा जरूरी सामान साथमें लेना जोखम गहना वगैरे विशेष नहीं लेजाना कारण बड़ा जंगल है सबतरोंका भय है सोपाई वगैरा वोलाउ साथमें उस गांवमेंसे भण्डारके मारफतसे जरूर लेना हथीयार समेत तथा दरशन पूजा करके पीछे चले आते हैं लोग वा रातकोवी रहते हैं श्रीसंघके समुदायसे यह इच्छाकी बात है कुछ दस्तुर नहीं है। १ रांनपुरेजी तीर्थ को० ३ है ध० म० भ० काहै ऐसौ मांडनी मंदिर जौको और कहीं नहीं है ८४ तो भवरातलघरा तीन तीन खनकाहै मं० भ० का तीन खनकाहै सब जगे चौमुखजी विराजमान है खभा २००० लगे हैं करोड़ों रुपयेको लागतंका बड़ा भारी मंदिरजी बनाहै सब पत्थरका अपूर्व वहांसे पीछा आनकर सादरी जाना। ४-४७ सादरोग्राम को० ३ है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० के संप्रति राजाके बनाये भएहैं अपूर्व वहांसे धानेराव जाना। ५-४७ धानेरावग्राम को० ५ है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० काहै वहांसे बैलगाड़ीपर को० १ जंगलमें जाना होताहै सब प्रसवाव यहां रखकर पूजाका सामान भत्ताखानेका वगैरा जरूरी असवाव साथमें लेकर जाना दर्शन पूजा करके चले भावना साथमें जापता बुलाउका भण्डारवालोंके मारफतसे हथीयार समेत जरूर लेना होता है रानपुरेजौके तरे समज लेना। १ मुछाले २४ वें भ० का तीर्थ बड़ा चमत्कारीक प्रसिद्ध है ध० मं. भ• काहे यहांसे मान कर नाडुलाइ जाना। ६-४७ नाडुलाइग्राम को. ३ है सब जिनिस मिले हैं ध. मं. भ० के १३ है प्राचीन नाडुलाइ तीर्थ प्रसिद्धहै यहांसे रानी को. ३ है। वहांसे रानौटेशन पायके नांना जाना । मौ. २४ मा० ।)
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[ १७ ] ४८ नांना टेशन उतरना खुसको रस्ते को० २ बैलगाड़ी पर जाना १-४८ नांदीया ग्राम है जिनिस सब मिले हैं । ध० म० भ० के हैं। २४ वें भ० को मूर्ती भगवान के विद्यमान रहते स्थापना भइथो इसे जीवतस्वामीका तीर्थ प्रसिद्ध है प्राचीन मंदिर भ० का है। यहांसे ष्टेशन पर जायकर रेलपर बैठके पींडवाडा जाना मौ० १० मा०)
४८ पौंडवाडा टेशन उतरना वहांसे गांव को० १ है ध० मं० भ. काहै जिनिस मिले हैं सवारी बैलगाडीको मिले हैं वहां असबाब रखकर जापतावोलाउका गांवमेंसे हथीयारबंद लेकर जाना हो है पूजाका असवाव भत्ता सौधा वगैरा ले जाना वहां कुछ नहीं मिले हैं जंगल है तथा दरशन पूजा करके चले पाते हैं लोग रातको भी रहते हैं इच्छा मुजब कुछ दस्तुर नहीं है को० २ है। १-४८ बंबनवाडजोका तीर्थ बड़ा प्राचीन चमत्कारी प्रभावीक है ध० मं० २४ वें भगवानकाहै बालुको मूर्ती विराजमान है केसर कस्तूरी बहोत चढ़ती है भेला बरषमें १ होताहै बड़ा भारी। २-४८ मंदिरजीके बाहर पहाड़ के पास १ पेड़के नीचे १ गुमटीमें २४वें भ० के चरणको स्थापनाहै वहांपर २४वें भ. को कानसौला का काडीथी वह स्थान है पहाड़ फट गया था। चींघारसे। तथा उसो जगे पर भ० को चंडकोसीये सर्पने डंक दियाथा ओभौ स्थान बनाहै ऐसा वहांवाले कहते हैं श्रीग्यानीमहाराज जाने क्या है। ३-४८ यहांसे सौरोही सहर खुसको रस्ते को० ६ है वहां ध० मं० भ० के बहोतहै प्राचीन बड़ी लागतके यहांसे पोछा पोंडवाड़े पाना ॥ यहांसे रेलपर वैठकर आबु जाना। मो० २८ मा०।)
५० आवु टेशनको खडडी जंक्शन टेशन कहते हैं उतरना बजारमें ध० है तीर्थ पहाड़ परहै असवाव जरूरी साथमें उपर लेजाते है
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और सब नीचे रख जाते हैं यहांसे को० २ पहाड़ है सवारी सब तरहोंकी जायहै पहाड़पर सड़क बनौ है को० ७ को चढ़ाइहै आवु नाम सहर उपर वसे हैं सरकारी छावनौहै वहांसे को० १ उपर जाना पानी रस्ते में मिले हैं। १-५० देवलवाड़ा ग्राममें आवुजीका तीर्थ है जिनिस सब मिले हैं कारखाना भण्डारहै ध० है मं० भ० के कइहै संगमरवर पत्थरके सपेद एकरंग तीसपर कोरनी नकासी इस कदर लोदी है ऐसी कही नहीं है बडी कारीगरोका काम बना लिखनेको असमर्थ है अरबों रूपएके लागतका मंदिर बना है देखने योग्य अपूर्व स्थान है यहां इच्छा मुजब रहते है २।४ दिन वहांसे को० ३ और जपर जाना २-५० अचलगड ग्रामहै जिनिस मिले हैं कारखाना भंडारहै रातको रहना हो है इच्छा मुजब वहां ध० म० भ० काहै चौमुखजौकी मूरते ४ । १४४४ मन सोनेकौ है और १० मूरते बडी बडी सोने को है अपूर्व ऐसी मूरते कही नहीं है प्राचीन ८ मूर्ते कावसग मुद्राको है २ पद्मासन की है। यहांसे पीछे नीचे धरमशालामें जाना।
३-५० वहांसे कुंवारोग्राम को० ७ खुशको रस्ता, बैलगाड़ी जातीहै जिनिस सब मिलती है ध० म० भ० के ५ हैं जिस पुण्यवानने आवुजौ पर मंदिर बनाएहैं उन्होंने यहवी मंदिर बड़े भारी बड़ी बागतके बनाएहै देखने योग्यहै यहांसे पीछे भावु आना यहांसे रेलपर बैठकर पालनपुर जाना। मौ० ३२ मा० ।)
५१ पालनपुर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं ॥ यहांसे रेलपर बैठकर सिधपुर जाना। मौ० १९ मा०)
५२ सिधपुर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० केहैं ॥ यहांसे रेल पर बैठ कर महसाने जाना। मो० २१ मा०)
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[ १९ ] ५३ महसांना जंक्शन टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं विद्याशालाहै यहांसे रेल को वहोत लैन गई है। यहांसे पाटनको रेलपर बैठ कर पाटन जाना। मौ० ३० मा० )
--arsasein ५४ पाटन ष्टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के १५० है घरदेशसर १००० है पुस्तकोंका भण्डार प्राचीन जैसा यहांहै और जगे नहीं है उषासराहै जहांपर पुस्तके लिखी गइथो स्याहौके कुंडवने हैं १-५४ पंचासरागांवसे २३ में भ० पंचासराजीको मूरती कारण वस श्रीसंघने यहां लाय कर विराजमान करौहै सो तौथ पंचासरा जौ २३ में भ० का यहांहै मं० ध० है पाडली पंचासराग्राममें मंदिरजीहै उसमें मूरती और है संखेसराजी जाते रस्तमें गांव पाताहै २-५४ यहांसे खुसको रस्ते को० ३० संखेसरगांव है सवारी बैलगाड़ी मिले हैं जिनिस सब मिले हैं वहां २३ में भ० संखेसराजीका तीर्थ प्रसिद्ध है ध० म० भ० काहै वहांसे पाटन प्राना यहांसे को. २० राधनपुरहै खुसको रस्ते ध० म० भ० के बहोतहै वहांसे मांडल खुसको रस्ते है घ• मं० भ० केहै ॥ यहांसे रेल पर पौछा महसाने जाकर दूसरौ रेलमें बैठकर विसनगर जाना। मौ० ४३ मा० ॥७॥
५५ विसनगर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे रेल पर बैठ कर वडनगर जाना। मौ० ८ मा० )
५६ वडनगर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे रेल पर बैठ कर खैरालु जाना। मौ० ७ मा० ।
५७ खैरालु टेशन उतरना यहांसे को० ४ खुसको रस्ते तारंगेनी जाना सवारौ बैलगाडीको मिले हैं गांव है जिनिस सब मिले हैं।
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[ २० ] १-५७ तारंगजी तीर्थ है नौचे गांव है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ. काहै वहांसे मौ० १ पहाड़ पर तीर्थ है चढ़ाई थोड़ीहै को० १ को छोटा पहाड़ है उपर जिनिस कुछ नहीं मिले हैं रातको इच्छा होय तो रहते हैं खुली हो दर्शन करके चले आवो सवारी पहाड़पर कुछ जाती नहीं वा मिलती नहीं है वहां ध० कारखाना भण्डार मं० २ रे भ० का बड़ा उंचाहै असा उंचा मंदिर कहीं नहीं है अगर सगरको बड़ी भारी सहतौरे शिखरमें लगी है बड़ो लागतका मंदिरहै वौसाल यहांसे पोछा खैरालु जाना खैरालुसे पीछे महसाना जंक्शन टेशन आकर दूसरौ रेलमें देतराज जाना मी० २३ मा० )।
५८ दैतराज टेशन उतरना वहांसे को० २ खुसको रस्ते जाना बैलगाड़ी पर गांव है जिनिस मिले हैं। १-५८ भोयनौजी तीर्थ है ग्राममें ध० मं० १८ में भ० का बड़ा चमत्कारौक है जमौनमेसे सुपना देकर मूरत प्रगट भइधौ यहासे पीछे टेशन जाना ॥ यहांसे वोरंमगांव जाना। मौ० १८ मा० ॥
५६ वीरमगांव जंक्शन टेशन उतरना सहर है ध० म० भ० के हैं यहांसे रेल अहमदावादको गइ है बढ़मान जाना मौ०६८ मा० )।
६० बढ़वान टेशन उतरना सहर को• १ है ध० मं० २३ में भ० कुरकुटेखरजौका तीर्थ है प्राचीन यहांसे नौमडीग्राम को० ४ है ध० म० भ० के हैं सहरहै यहांसे सोनगढ़ जाना मौ०७२ मा० १५)
११ धौला जंक्शन टेशनसे रेलको दो लैनहै वहांसे सोनगढ़ को रेलपर बैठके जाना। मो० १३ मा० )
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[ २१ ] ६२ सोनगढ़ टेशन उतरना वहांसे गांव को० १ है ध० है यहांसे खुसको रस्ते को०६ पालीताने जाना बैलगाड़ी वगैरा सवारी मिले है १-६२ पालीतांना सहरहै ध० भौतर सहरके और वाहर बहोत है मं० भ० का है भण्डार कारखाना वगैरा है वगौचेमें दादेजीका स्थान है यहांसे श्रीसौडाचलजीका पहाड़ को० १ तलैटौहै पहाड़ को चढ़ाई को. ३ को बहोत सुगम है रस्ते में चढ़ते भए २३ में भ० कल कुंडजौके चरणको थापनाहै हींगलाजके हाड़ेपै डोली को सवारी पहाड़पर जायहै रातको पहाड़पर रहने का तथा खाने पौनेका वेहवार नहींहै असातना सब टालनी होय है नहाने का वन्दोवस्त उपरवौहै पहाड़को बधायके पूजा करके उपर जाना २-६२ तलैटीमें नया मंदिरजी अब बनाहै आगे नहींथा तथा ध० है वहां यात्री लोगोंको भत्तापानीको भगतो करते हैं श्रीसंघको तरफसे तलैटी तलक बैलगाड़ी जातीहै लोग जाय कर वहांसे डोलीपर बैठते हैं बहुधा लोग धरमशानासे डोलोपै बैठकर जायहै पुण्यवान पैदल यात्रा करते हैं १ वा २ जैसी सकतौ शरीरको। ३.-६२ श्रीसोद्धाचलजीके पहाड़ पर १ ले भ० का मं० मूलनायक जीकाहै उसे मूलवसही कहते हैं वहां फेरोमें रायनतले पगलाहै। १ ले भ० का मंदिरजौके सामने १ ले भ० के पहले गणधरका मं० है और अनेक मंदिर मूरते चरणोंको स्थापनाहै हजारों धरमद्रुवारी है २२ वें भ० के बिवाहको चौरीहै अधिष्टाता। चकेवरी माताका स्थान है सूर्य कुण्ड है जिसमें चंदराजा कुकडेसे मनुष भया था घेटी को पान उलका झोल चेलन तलाइ। सौइसोला। सौड़बड़ ! सत्रुजे नदी वगैरा स्थान है फेरी तीन को०.३ को०६ को० १२ पहाड़कौ है ४-६२ मोतीवसही अपूर्व बनौहै म० भ०के बहोत है अनेक मूर्ते हैं ५-६२ वहांसे और वसहोयोको रस्ताहै नाम इस मुजब बसहीयो. के साकरवसही नंदोखर दीप उजमवसही पेमा वसही छोपावसही
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[ २२ ] अद्भूतवावा पांचे पाडव १६ वें भ० का टुंक मरुदेवौ माताका टुंक। ६-६२ खरतर वसहीमें चौमुखजी महाराजका मंदिर वीसाल है और मं० बहोतसे हैं हजारों मूर्ते चरण विराजमान है प्राचीन वसहौहै ७-६२ यह तीर्थ पहाड़ सास्वताहै ऐसौ रचना दूसरी जगे नहीं है हजारों मंदिरजौ हजारों मूरते विराजमान है चरणों की संख्या नहीं है अनगिणति द्रव्य लगाहै बडी भारी सोभा महिमा तीर्थराज कोहै चमत्कारीक एक एक कंकर पुजनीकहै लिखने को सकती नहीं अन्य होजाय पर कोटेके वाहर आनेसे इंगारस्याह पौरको स्थापनाहै यह साधर्मी है तीर्थको रख्या करोथौ औरंगजेव वादसाके अनरथके बखतमें इसे स्थापनाहै श्रीसंघ भगती करे हैं दस्तुरहै यहांसे पीछे सहर में आयके बैलगाडीपर जाना पालीतानेसे खुसको रस्ते को०१२। ८-६२ महुवादाठा गांव है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० के पहाड़परहै तीर्थ इसको वो कहते हैं यहांसे पीछे पालौताने जाना। यहांसे खुसको रस्त सोनगड जाकर सीहोर जाना मी० ५ मा० ।
६३ सौहोर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं। यहांसे भाव नगर रेलपर बैठकर जाना ॥ मी० १३ मामूल)
----→०-- ६४ भावनगर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे खुस को रस्ते बैलगाड़ी पर जाना। १-६४ घोघाबंदर जाना सहरहै ध० मं० २३ वें भ० नवखंडेजीका तीर्थ प्राचीन प्रसिद्ध है पीछा भावनगर आके को० ८ जाना खुसकी २-६४ तलाजा गांव जाना सहरहै ध० म० भ० काहै पासमें १ पहाड़ है तालध्वजगौरी उसपर मं० भ० काहै यहांसे को० २ जाना ३-६४ डाठा गांव जाना सहरहै ध० मं० १६ में भ• का प्राचीन तीर्थ है यहांसे खुसको रस्ते को०८ जाना।
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। २३ ] ४-६४ मवावंदर जाना सहरहै ध० १६वें भ० का मं० है वालुकी मूरती जीवतस्वामीको है प्राचीन तीर्थ इस नामसे प्रसिद्ध है यहांसे पोछे भावनगर जाना ॥ यहांसे रेलपर बैठकर धौला जंक्शन उतर के दूसरी रेल में जैटलसर होते जुनागड जाना मौ० ११० मा० १)
६५ जैटलसर जंक्शत टेशनसे दोय लैनहै जुनागढ़को रेलपर बैठके जाना मौ० १६ मा० ।) यहांसे रेल वीरावल पटन गइहै।
६६ जुनागड़ टेशन उतरना सहर को० १ है ध० बहोतहै म० भ० के भंडार कारखानाहै यहांसे तलैटौ पहाडको को०२ है सवारी मिले हैं १-६६ तलैटीमें ध० म० भ० काहै वहां यात्री लोगोंको भत्तापानी को भगती करते हैं संघके तरफसे वहांसे पहाड़ पर जाना सवारी डोलीको ऊपर जाय है पहाड़ पर सीडी बनौहै सारे को० ७ को चढ़ाई है रस्ते में पानी १२ जगे मिलताहै ध. रस्ते में बनी है। २-६५ गीरनारजीका तीर्थ पहाड़पैहै को० ४ ऊपर जानेसे मं. २२वें भ. काहै और मंदिर बहोत है पहाड़पर कल्या० ३ दि. ज्ञा० मो० भयेहै २२वें भ० के इस स्थानपै केवल ज्ञान भयाहै यहांसे ऊपर जाना। राजेमतौजौको गुफाहै उपर थोड़ा जाना अधौष्टाता अम्बिकादेवीका मं० है वहांसे नौचेको उतरना होताहै आगे जाकर ३-६६ सहसानहै वहां गुमटीमें चरणोंको स्थापनाहै भगवानने यहां दिक्षा लीथी वह स्थापनाहै यहांसे पीछा ऊपर जाना को०३ ४-६६ पांचवे टंक पर जाना वहां चरणको स्थापनाहै भगवान यहां मोक्ष गयेहैं सो स्थापनाहै यहांसे नीचे पाना वीचके मंदिरजी धरमशालामें और वी स्थान पहाड़पर बहोत बने हैं योगी लोग रहते हैं इस पहाड़में चित्रावेलहै तलावके भीतर पीछे सहरमें आना ५-६६ यहांसे रेल पोरवंदरको गईहै वहांसे खुसको रस्ते को०१४
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[ २४ ]
२३वें भ० वरेजाजी का तीर्थ है ध० मं० भ० काहै सवारी बैलगाड़ी को जायहै जिनस मिले हैं तथा खुसकी रस्ते वा जलमार्ग से ककभुज मांगरोल मांडवौबंदर जामनगर वगैरेको रस्ते हैं वहां मं० भ० के अनेक है० है यहांसे रेलपर बैठकर पौछा जेटलसर होते धौला जंक्शन आकर पौछा रेलपै बीरम गांव जंक्शन जाना वहांसे दूसरो रेलमें बैठकर अहमदाबादको जाना । मौ० २४८ मा० ३८)
६७ अहमदाबाद जंक्शन ष्टेशन उतरना पासमें बजार ध० है सहर मो० १ है वहां ध०मं० भ० के १२५ है घरदेरासरजी ५०० है माधोपुरे में बडा भारी मं० भ० का ध० है सहरसे को० १ है और पुरोंमें मं० भ० के हैं विद्याशाला है यहांसे खुसको रस्ते को ०३ बैलगाड़ी पैजाना १–६७ नारोडा गांव है जिनिस मिले हैं ध० मं० भ० के प्राचीन विसाल है वहांसे पौछे आना अहमदाबाद के पास राजपुर में मं० भ० केहैं ॥ यहांसे रेलपर आनंद जाना । मोल ४० मासूल ।)
६८ आनंद ष्टेशन उतरना गांव है बजार में ध० है बैलगाडीको सवारी मिले हैं यहांसे खुसकी रस्ते को० १८ जाना ।
१–६८ खंभायत सहर है ध० मं० भ० के १०० है २३वें भ० का मं० श्रीथंभनाजीका तौर्थ बहोत प्राचीन प्रभावीक है भगवानकी मूरती परतनको फणदार चमत्कारीक हे श्रीश्राचार्य महाराजने जयतिहुअण स्तोत्र नवीन रचना करके जमीनमेंसे मूरतौ प्रगट करीथो रामचन्द्रजीके बख्तसे पता है इस तौर्थका आदि नहीं मालुम है तीर्थको स्थापना किसने करौथो इतना प्राचीन तौर्थ है स्लासे हाल तीर्थका शास्त्रोंसे जान लेना ॥ यहांसे पोछा ष्टेशन पर आय कर रेलपर बैठके वडौदे जाना । मौल ३२ मासूल )
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[
२५ ] .
६८ वरोदा ष्टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के १८ है यहांसे खुसको रस्ते बैलगाड़ी पर कोस ८ जाना। मौ० ४४ मा० ॥) १-६८ डवोही गांव है जिनिस मिले हैं ध० मं० २३ वें भ० लोडोजी का तीर्थ प्रसिद्ध है यहांसे पौछे वडोदे आना॥ रेलपर भरूवछ जाना
७० भरूवक टेशन उतरना सहर को० १ है ध० मं० भ० के हैं २० वें भ० का तीर्थ भगवानके नामसे प्रसिद्धहै मं० भ० का बिसाल बनाहै ॥ यहांसे रेलपर बैठकर सुरत जाना। मौ० ३७ मा
- -* ------ ७१ सुरत टेशन उतरना सहर को० १ है गोपीपुरमें ध० म० भ०के हैं ओर मं० १०० भ०के पुरे पुरे में हैं दादेजीका स्थान बड़ाचमत्कारीक है ॥ यहांसे रेलपर बैठकर बंबई जाना। मौ० १६७ मा० २०)
७२ बंबई बंदर जंक्शन भाइखाला टेशन उतरनावारकोट औकोला दोनो बसती जुदो है ध० लालबाग में वगैरा बहोतहै मं० भ० के सहरमें कोलेमें कुलावे पर भाइखालेमें चौस बंदर पर बालकेखर वगैरे में हैं वा विद्याशाला वा जैनएसोसीयन वा पांजरापोल है तथा खुसकौरस्तेसे मेम अगासी वगैरामें मं०भ०के हैं यहांसे जलमार्गके रस्ते कलौकोट बंदरहै वहां कलौकुंडजी २३वें भ०का तीर्थ प्राचीन मं० है यहांसे रेलपर कल्याणी होते भुसावल जाना। मौ० ३४ मा० )
७३ कल्यानी जंक्शन टेशनसे रेल दखिनको पुनाः सितरा अवला हैदरावाद चौनापटन मंदराज थाना: नासोक वगैरा बहोत जगे गइहै वहां ध० म० भ० के प्राचीन अपूर्व बहोत है पुस्तकमें विस्तार होजानेसे तथा वाकफ कारी वरावर नहीं मिलनेसे दखन बैराड खानदेस मालुवा बुंदेलखंड वघेलखंड वगैरा देश नगर गांवका हाल नहीं लिखाहै वौलकुल सो माफ करना साधर्मी भाइ लोग पुस्तक
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[ २६ ] को वांचकर जहां जहां तीर्थ वगैरा रस्ता रेलका वा खुसकोका वगैरा सव विवस्था खुलासे अनुग्रह करके लिखेंगे तो दुवारा पुस्तक छपेगा उसमें वृद्धि होती जायगी जैसे जैसे जानपना मिलता जायगा स्थानोका वा हैदराबादसे खुसको रस्ते कुलपाकजी मानक खामौका तीर्थ बड़ा चमत्कारौहै वा मंदराजके जौलेमें जैन कांचौमें रत्नोंको मूर्ती अनेक है। यहांसे रेलपर जाना। मौ० २४२ मा० ३७)
७४ भूसावल जंक्शन टेशन उतरना सहरहै ध० है यहांसे रेल नागपुरको गइहै । उस रेलपर बैठके आकोला जाना मौ० ८७ मा०१७)
७५ पाकोला टेशन उतरना गांव है जिनिस मिले हैं ध० है यहांसे खुसको रस्ते को० १८ बैलगाड़ी पर जाना। १-७५ सौरपुर नगर ग्राम है वहां ध० है २३ वें भ० का मं• अंतरोक्षजौका तीर्थ है बहोत प्रभावीक प्राचीन तलावमेंसे सुपना देकर मूरत प्रगट भइथो बालुको बड़ी अवगाहनाको मूर्ती है जमौनसे अधर विराजमान हैं आगे भाले समेत घोड़े सवार नौकल जायथा कालके दोषसे अव पद्मासनके नीचेसे अंग लीना नौकलताहै इसको आद मालुम नहीं है कोस पुण्यवानने स्थापना करोथी मूरतको विशेष हाल तीर्थका शास्त्रसे जानना यहाँसे पोछे टेशन जाना ॥ यहांसे रेलपर बैठकर नागपुर जाना। मौल १५७ मासूल २)
७३ नागपुर जंक्शन टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे रेलको कैलैनहै ॥ यहांसे रेलपर रायपुर जाना मौ०१८० मा०२॥
७७ रायपुर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ०के हैं ॥ यहांसे रेल पर बैठकर पौछा भूसावल जंक्शन पाय कर दूसरी रेलमें बैठकर वरांनपुर जाना। मोल २८४ मासूम )
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[ २७ ] ७८ वरामपुर टेशन उतरना सहर को० २ है ध० म० भ० के १८ है १-७८ यहां २३वें भ०का मं० मनमोहनजीका तीर्थ प्राचीन चमकारौहे ओर काष्टका पहाड़ श्रीसमेतशिखरजीका बड़ा मनोहर यन्त्र संयुक्त चमत्कारीक बनाहै यहांसे रेलपर खंडुवे जाना मौ०३६मा०॥) ७८ खंडवा जंक्शन ष्टेशनमें उतरना वहांसे बहोत रेलको लैनहै यहांसे दूसरी रेल में बैठकर इन्दौर जाना। मोल ८६ मासूल )
८. इन्दौर टेशन उतरना सहरहै ध• मं० भ० के सराफे बजारमें हैं यहांसे खुसको रस्ते को० ४० जाना सवारी सब जाती है। १-८० धार सहरहै ध० म० भ० के हैं सोनेकी मूर्ती बडी मूलनायकजीको है और स्थान प्राचीन वादसाही वखतके बहोत बने हैं यहांसे खुसको को० १२ जाना सवारी बैलगाड़ी वगैरा जाहै। २-८० मांडौगढ़का पहाड़ है तीन बले करके खाइ समेत कोल्ले मुजब घेराहै उस खाइमें चीत्रावेल है उपर बसतो बजार है जिनस मिले हैं वहां भैसा साहका बनाया मं० १ गुंमजका बड़े विस्तारमें हैं १६ वें भ० को मूर्ती सोने को बड़ी मूलनायकजीको है अनेक स्थान वादसाही बहोत लागतके बने हैं यहांसे पौछ. उसौ रस्ते धार आके इन्दौर जाना ॥ यहांसे रेलपर फतहाबाद जाना मौ० २५ मा० )
८१ फतहावाद जंक्शन टेशन उतरकर दूसरी रेल में बैठकर उज्जैन जाना। मौल १४ मासूल) ८२ उज्जैन टेशन उतरना सहरहै प्राचीन स्थान पहाड़ों पर वा सहर में बहोत है शास्त्र में इसको ऐवंतीका नगरौ कहाहै ध० म० भ०के हैं १-८२ यहां ऐवंतोजीका तीर्थ २३ वें भ० का मं० है श्रौप्राचार्य महाराजने जमौनमेंसे कल्याण मंदिर स्तोत्र नवीन रचमा करके प्रगट करौथी मूर्ती विक्रमादौत्वको १८ राना समेत प्रतिवोध देने Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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[ २८ । को चमत्कार दिखाकर जैनौ कराया प्राचीन तीथै चमत्कारीक है यहांसे खुसको को० १२ जापता लेके जाना सवारी सब मिले हैं। २-८२ मगसी ग्रामहै वहां २३ वें भ. मगसीजीका तीर्थ मं० प्राचीन चमत्कारीकहै जिनस सब मिले हैं। यहां पर संवत् १८१६ के अषाढ़में सरदारमलजीको सुपना देकर २३ वें भ. श्रीगौडोजी महाराज प्रगटेथे जमीनमेंसे ११ दिनतक दरशन दिया पानी १ वृंद बरसा नहींथा अनेक चमत्कार आनंद भयेथे ३ लाख यात्रौ इकट्ठा भयाथा बड़ा भारौ मेला हुवाथा उस स्थानपर मं० भ०का नया वना कर स्थापना करी है तीर्थको यहांसे पीछे उज्जैन जाना ॥ यहांसे रेलपर फताहावाद आके दूसरौ रेलमें रतलाम जाना मौ०४८ )
८३ रतलाम टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० का चौक बजारमें हैं यहांसे खुसको रस्तेसे जाना सवारी सब मिले हैं। १-८३ खाचरौद सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे रतलाम आना २-८३ ववरोदगांव को० २ है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० केसरीयाजीकाहै यहांसे पीछे रतलाम आयके फेर जाना। ३-८३ सेमलाग्राम को० ४ है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० काहै और १६ वें भ० का मं० उड़ाकर यहां लायेथे उसका चमत्कार यहहै खंभे मेंसे दुधको धारा भादो सुदौ २ को निकलती है यहांसे पौछे रतलाम जाना ॥ यहांसे नीमच जाना। मो० ८३ मा० ) ८४ नीमच टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के प्राचीन है। यहां से रेलपर बैठकर नींभार जाना। मौ० १६ मा० )
८५ नींभार टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे भी खुसको रस्ता उदेपुरको है सवारी सब जायहै ॥ यहांसे रेल पर बैठ कर चौतौड़गढ़ जाना। मौ० १८ मा०)
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[ २८ ] ९६ चौतौड़गढ़ ष्टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं को० १ कोलाहै उसमें मं० भ० के हैं यहांसे खुसकी रस्ते को० ३५ उदेपुर जाना सवारी सब मिलती है जापताबोलाउका साथमें लेना। १-८६ उदेपुर सहरहै ध० म० भ० के के हैं यहांसे खुसको रस्ते से जाना सवारी सब मिले हैं को. १६ जंगलपहाड़का रस्ताहै जापताबुलाउका साथमें लेनाहोहै जिनिस रस्ते में नहीं मिले हैं। २-८६ धुलेवागांव है जिनिस सब मिले हैं सहर मुजब ध० मं० १ ले भ० श्रीकेशरोयानाथजीका तीर्थ प्राचीन बड़ा चमत्कारौक है मनोबंधकेशर रोज चढ़तौहै छतीस जात बाबाको पूजतौहै आज्ञा माने हैं ३-८६ यहांसे को० ५ पहाड़ पर मं० २३ वें भ. श्रीसांवराजौका तीर्थ है वहांसे पीछे आना ॥ यहांसे पीछा उदेपुर होते चौतौड़गढ़ आयके रेसपर बैठकर अजमेर जाना। मौ० ११६ मा० १४)
Homoooooअजमेर जंकशनसे आगरे होके कलकत्ते आवना मी० १०७३ १३)
८७ श्रीअष्टापदजी तीर्थ उत्तर दिशामें हैं अपूर्व तीर्थ है बिना लबधी के तथा देबबल विद्याके साहज बिना फसरना उदे नहीं आसकती है चारों तरफमें विस्तारसे गङ्गा वहतीहै बीचमें पहाड़ है बहोत उचा १ एक जोजनके आंतरेसे सौड़ी ८ है औ सोनेका शिखरबंद बहोत उंचा मं० है उसमें रत्नोंको मूरते २४बि सों भगवानको अपनी काया प्रमाणे विराजमान है वहां १ले भ० का कल्या० १ मो० भयाहै
॥तीर्थीका वर्तमान व्यवस्था जो जो तीर्थ विच्छेद है ॥
१ श्रीभहलपुरजीका तीर्थ छोटेसे पहाड़पर १ मंदिर बनाहै प्राचीन पहले उसमें भ० की मूरती विराजमानथो थोड़े वरस भये कोइ
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[ १० ] पादड़ी साहेबने लावारस स्थान जानकर मूरती उठाके ले गये मगर १ पत्थरमें पालीहर्फ प्राचीन लिपौ मैं बहोतसा लिखा हुया लगाहै उन हरफोंको कोई पढ़ सकता नहीं क्या लिखाहै जगे बड़ी रमणीक है पहाड़के नीचे १ मं० देवौकाहै नदी वहतीहै गांव वस्ताहै जिनिस मिलती है रस्ता गयाजीतक रेल है बांकीपुर टेशनसे वहांसे को० १० सहरघाटौ तक खुसको सडकका रस्ताहै वहां तक सवारी जाय है वहांसे को० ४ हंडरगंज है वहांसे को० १ हटवरीया गांव पूर्व है इतना रस्ता पगडण्डौकाहै बैलगाड़ी जाती है जिस जमोदारका गांव पहाड़ वगैराहै वह कलकत्ते में रहते हैं हकीमजी को गलौ नंबर १० में बड़े रहौस मदनमोहनजी भट्ट है उनसे श्रीसंघसे परचै प्रीति बहोत है वह तीर्थ प्रगट करनेको स्थान देने को मौजुद है श्रीसंघको वह गांव उनके भाइके पास में है उद्यम करने से मोल सकताहै वहां १० वें भ० के कल्या० ४ भएहैं क्षेत्र फरसनाहै।
२ श्रीमिथिला नगरौके तीर्थ में १ प्राचीन गुमटी बनीथी उसमें दोनों भगवानके चरन १ स्याम कसौटी पत्थरमें बहोत मनोहर वने भए विराजमानथे प्रतिष्ठा सत्पुरुषोंकी करौ भइहै चरनों में लिखाहै प्राचीन चरण जीर्ण बहोत होगएथे सो भण्डार करके संवत् १८०० कै में जौरन उधार श्रीसंघने कराया तथा मिथिलाजी अब सितामड़ीके नामसे प्रसिद्धहै वहांसे मुदफरपुर सहर पास पडताहै वहां पटने सहरके श्रावक लोगों को दुकानथी इसे प्रामा जाना हमेशा रहताथा तब तक स्थान कायमथा पन्यमती लोगोंका तीर्थहै वहां मगर डरतेथे जबसे दुकाने उठ गई पाना जाना रहा नहीं बहोत दिन वाद अन्यमतीयोंने अपना दखल गुमटौमें कर लिया चरणों पर कपड़ा बिछाकर अपनी मूरती रखकर यात्रियोंसे पूजा कराते कोई पुण्यवान समेपाय वहां गया नौर्य करनेको उन लोगों से दरौ.
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[
३१ ]
याफत करा अपना स्थान तो उन लोगोंने अपना आडंवर उठा लिया स्थान बताकर पूजा लिया जब यात्रौ चला गया फेर अपना ढांचा लगा लिया वहीत दिन तक यो ही चला कोई श्रीसंघने ख्याल नहीं करा दिन बहोत वीत गये उन लोगोंने बिचारा कोई वारस खबर लेता नहीं है तो इनका नाम निसान उठा दो अपना कर लो ठिकाना कालके दोषसे दुष्टबुद्धियोंने ऐसा विचार कर चरणों को गुमटीमेंसे उखाड़ गेरे डर रहा नहीं जब आना जानाथा तब डरथा चरण कहीं गाड़ दिये इतना अनुग्रहकराके अनर्थ नहीं कराथा गुमटीमें दखल करके अपना मंदर कर लिया उस खान पर अपना कुछ नाम निसान रहा नहीं बहोत दिन बाद लखनउसे कोई पुण्यवान तीर्थ करनेको गएथे बहोत तलास करा पता लगा नहीं जड़ तो रही नहीं पता मिले कहांसे वह श्रावक बुद्धिवानधे इन लोगोंको बातोंमें समझ गये इन लोगोंने लावारस जगे समझ कर अनर्थ करगेराहे स्थान अपना कर लिया तब बुद्धिवानने बुद्धिबलसें द्रव्यका लालच दिया हमे जगेसे मतलब नहींहै यहां जो चरणथे वह मिल जाय तो द्रव्य देंगे ग्रामके रहनेवाले ब्राह्मणथे द्रव्यके लालच में प्राके चरण लायके हाजिर करे पुण्यवानने चरण लेकर भागलपुरमें चंपापुरजीको यात्राको आए वहां धनपतसिंघजोसे मुलाकात हो गइ हाल सब कहा कुछ वन्दोवस्त करा नहीं सुनकर चरण लेलौये बहोत वेजा करा उस बखत उद्यम करवे जोर देते तो स्थान हाथ पानाता इन्होंने भागलपुरके अपने मंदिरजीमें वेदोजौके नीचे सोडौको जगे स्थापनाकर दियाथा अजान आदमौ चरण नहीं समझेगा वेदीपर चड़नेको सौड़ी समझकर पैर रखदेगा तथा पूजारौ वेदो झाड़ता पूजाके बखत तो सब कतुवार चरणों पर मिरता ऐसौ असातना देखि मय जाबर करने गयाथा तब बहोत जवरदस्तीसे मंदिरजौके
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[ ३२ ] १ कोने में गुमटीके भीतर उचित स्थानपर विराजमान कर दियेथै सो भागलपुरके मंदिरजीमें विराजमान है चरण मिथिलाजी तीर्थ के खास तथा मिथलाजी में राजाका राज्य है प्राचीन स्थान हाथ आना कठिनहै बहोत वरस गुजर गये उस बखत उद्यम करते धनपतसिंघजी तो गुमटी मिल जातौ अव नवीन जमीन लेकर श्रीसंघ तीर्थ प्रगट करे उद्यम करके तो हो सकताहै और उपाय नहीं है रस्ता रेलका है मुकामा टेशनसे गङ्गा पार जाकर सौतामडीको रेल है दरभंगे होकर यहां कल्या० ८ दो भ० के भये हैं।
३ श्रीपुरमतालनगर तीर्थ में बहोत बरसोंसे ऐसाही चला आताहै प्रयागजीके कोलेके भीतर तलघरैमें १ तरफ अक्षयबड है उसको अन्यमतो लोग आपना तीर्थ मानते हैं पूजते हैं उसके पास दलानमें १ मूर्ती पाषाणकी है उसे डिगांवरी लोग पूजते हैं उसके पासमें चरण है पाषाणके उसको लोगोंके कहने मुजव सौतंवरी लोग पूजते हैं उस चरणों पर कुछ लिखा नहीं है हरफ तथा लंछन वी नहीं है श्रोग्यानी भगवान जाने क्याहै चरन जैनके हैं वा औरके हैं निश्चमें क्षेत्र फरसना होती है सो लोग करते हैं तथा सहरसे को. ३ पै मुठीगंज है सडकपर खुसको रस्त के ध० मं० सौखरवंद १ पुण्यवान ने तीर्थ प्रगट करनेको बनाया था जब रेल नहींथी खुसको रस्ता था सो मौके पर बनायाथा कालके दोषसे उपद्रवके सववसे प्रतिष्ठा जी महीं होने पाइ ५० वरस होगए मं० खड़ाहै इसकी खेवट श्री. संघ करता नहीं है गवरमेंटसे दरखास्त करके अपनी जगे दखल अभौतक दिखाकर स्थापनाका हुकम करा ले तो हो सकताहै जब काल और वरतथा अब राजधानी सरकारमें व्यवहार रौति और वरते हैं अपने अपने धर्मको इसे उमेद होतीहै उद्यम बड़ा पदार्थ है मगर किसे गरज धर्मरागहै सो खेवट कारे रस्ता रेलकाहै इलाहावाद टेशन तक वहांसे को० १ है यहां १ले भ• का कल्या० १ भयाहै।
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[ ३३ ] 8 कोसंवी नगरौ तीर्थ में पहाड़पर डिगम्बरियों का मं० है नीचे ध. बगौचाहै जंगल है उस मं० में १ चरण विराजमान थे अपने और कुछ स्थान नहींथा जो यात्रो जाते सो चरणोंको पूजा सेवा करते मं० के पासमें छोटासा पहाड़ है उसकी पूजा करते खेत्र फरसना करके कभी कभी घोली भइ केसरके छोटे वरस्ते हैं यह चमत्कार तीर्थका है वरसमें १ मेला डिगम्बरी लोगों का होताहै कालके दोषसे १ पागल मनुषने मं० में जायकर बड़े अनर्थ करेथे सो अपने चरणको वो खण्डीतकरगैरे पूजने योग्य नहीं रहे श्रीसंघने कुछ खेवटकरी नहीं खेत्र फरसना अवहै वहां राजाका राज्य है पर डिगम्बरी लोग राजौहै श्रीसंघ कुछ इरादा करे तीर्थ प्रगट करनेका तो होसकताहै प्रयागजी में मंदर डिगम्बरियोंकाहै उनके तालुकहै तीर्थ रस्ता प्रयागजीसे को० १८ खुसको सड़ककाहै पपोसा गांवके नामसे प्रसिद्ध है वहां ६ ठे भ० के कल्या. ४ भए हैं।
५ सावधौ नगरौ तीर्थ में खेटमेटके बडे कौलेके भीतर १ शिखरबंद मंदिर अभौतक है थोड़े वरस पहले उसमें मूर्ती ३ रे भ० को विराजमानथौ मूर्तीका आकार दिवालमें पचौथौ सो चुनेमें बनाहै वरस २० भए होगे १ पादरी साहिवन जगे बड़ी रमणीक चमकारोक देखकर कालके दोषसे उनको सन्देह भया यहां द्रव्य जरूरहै जङ्गलमें ऐसा रमणीयक स्थान उद्योत करताहै ऐसे लोभ वश होकर मूर्तीको उठाकर मूलगंभरा खुदाया कुंके तरों नौचे से मूर्ते ३ निकलौ श्रोग्यानी महाराज जाने पहलेको खण्डौतथी के खोदने में खुण्डोत होगई धन तो निकला नहीं बाद उसी मुजब साडा भरवा दिया मूर्तियों को लेगये श्रीसंघने कुछ खेवट करो नहीं उद्यम करते तो मूर्ती पौछी मौल जाती दस्तुरहै लखनऊ सहर वहांसे पास है अब खेत्र फरसना है १ मौलमें कौला पक्का बनाहै
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[ २४ ]
दिवाल गिरपड़ी है तलाव के हैं वा कुंवे मोठे जल के बहोत है पक्के बने भए उत्तम मेवादिक फुलके वृक्ष लगेहैं नौचे नदी बहतीहै जंगल है इंटा मसाला वगैरा बहोत पड़ाहै पोरवी वस्तु गड़ी भई नौकले तो ताज्जुब नहीं है भाग्यबलसे वह जगे दिव्वर करता है वहांसे थोड़ी दूरपै १ छोटी गढी और है महाराज बलरामपुरका राज्य है राजधानौसे को• ५ जंगल में खेटमेटका कौल्ला प्रसिद्ध है अब रानी साहव मालीक है सरकारसे कोटा फाडोसका वन्दोवस्त है खेवट करनेसे जगे मोल सकतौहै राजासाहेव पुण्यवानने तो हर १ जौहरौ लोगोंसे बहोत कहाथा तुम्हारा तीर्थ है बनावो मेला करा करो हम जगे यौही देते हैं वा जगात वगैरा माफकरदेंगे आप लोग रहोसौका पाना जाना राजधानी में इस सबबसे हमेसा रहेगा इसे मगर कोई साहिबने ख्याल करा नहीं बड़ा अफसोस है लिखते बनता नहीं कुछ रस्ता फैजावाद तक रेल है वहांसे को. ३० गोंड होकर खुसको सड़क है बराबर यहां ३ रे भ• के कल्या० ४ भए हैं
श्रीसोरीपुर मगर तीर्थको वटेखर नामसे प्रसिद्ध है को० १ यमुना जौके वीएड में प्राचीन चरणको स्थापनाथौ पहले उसके पासमें खसकरके श्रीसंघने १ गुमटी बनाकर संगमरवरको वेदो में १ चरण बहोत मनोहर बने भए को स्थापना करोयौ । पाले में अधिष्ठाता को मूर्ती संगमरवरको मनोहर थापो वाद थोड़े बरसोंके भूलगए तीर्थ कहां पूजा सेवा होतीहै के नहीं कौन करता होगा जरा ख्याल रखा नहीं वहांसे को०१८ लसकर वा पागरा सहरहै दोनों सहरोंके औसंघ धरमके रागी समुदायहै तीसपरभी अपने करे भए को भुल भए कैसा धरमराग चौसंघकाई कुछ लिखते बनता नहीं है ताज्जुब होताहे मनमें जंगलमें गैया चराने ग्वालोये जाते हैं उत्तम खान देखकर उसमें बैठते खेलते हैं वेदीपर चढ़कर उस कारणसे
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[ ३५ ]
चरण कि कथलोंकी पंखड़ौ खंडीतकर दी है अधिष्ठाताको मूर्ती बिलकुल खंडीत कर दी है कोई धनी नहीं वहां जिसका डर माने इच्छा मुजब खेल करते हैं सहर में डिगम्बरियोंका मंदिर है अन्यमतियोंका तीर्थ है मेला १ सालके साल होता है अपना कुछ नहीं है वहां १ मकान बना भया पक्का धनपतसिंघजी ने तीन हजार में लिया था मंदिरजौ बनानेको बरस २० भए होगे मंदिर वगैरा कुछ बनाया नहीं मकान गिरकर मैदान होगया है जमीन अब सौवरूपएको वि कती है इस ईरादेको गौर करना मुनासिव है कैसा धरमराग लोगों का रह गया है राजा भदावरका राज्य है यमुना नौचे वहती है रस्ता सकुरावाद तक रेलहै बहांसे को ० ६ खुसको बैलगाड़ी पर सोरौपुर बटेश्वर इस नाम से प्रसिद्ध है यहां २२ वें भ० के कल्या० २ भए हैं ।
Nex
७ श्रीअष्टापदजीका तौर्थ उत्तर दिशा में हैं पता नहीं मौलता कहां है मगर भूगोल हस्तामलकके कितावमें ऐसा लिखा है के उत्तराद मोठा समुद्र है उसके बौचमें १ पहाड़ है उसपर १ मंदिर सोने ऐसा चमकता दिखाई देता है उसको जैनौ लोग अष्टापदका तौर्थ कहते हैं ऐसा लिखा देखा पर उस लिखने पर बिलकुल सरदहना नहीं करते हैं शास्त्र के लिखनेको सुनकर वहां बड़े बिस्तारसे गंगा पहाड़ के चारों तरफ घुमतौ है नेत्रों को ईतो सकतौ नहीं है जो इतने दूरका पदार्थ देख सके वा टूरवींन के सौसेको वौ इता बल नहीं है उसके महाजसे देखने में आवे सैकड़ो कोसको वस्तु तथा इस भरत में मौठा समुद्र वौ नहीं है ऐसे २ अनुमान से उस लिखने को सही नहीं समझ सकते हैं (कयासौ वातको) और तौथ को फरसना जो बौछेद है तौवौ खेत्र आसरौ होती है सरीर करके इस तौर्थको फरसना तो भाव के सेवाय और कोईतरोंसे नहीं हो सकती है यह तीर्थ विछेद नहीं है विद्यमान है मं० भ० के वगैरा है फरसना होना कठन है तो विछेद से विशेष है १ ले भ० का कल्या० १ मो० भया है वहां
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[ ३६ ]
॥ जीर्णोद्धार की व्यवस्था ॥ १ वनारस नगरौमें श्रीभद्दयनीजीका तीर्य ७ वें भगवान के कल्याणकका स्थान है राजा वकराजजौका बनाया भया गंगाजौके तटपै पकाघाट शिखरबंद मन्दिर धर्मशाला लाखों रुपये की लागतको इमारत बनोहै अब कालके दोषसे गंगाने काट करना सुरु कराहै आधा घाट काट कर लेगइ है बड़ा अनर्थ भया है इसका जीर्ण उद्धार वगैरा बहोत जलदो बन्दोवस्त श्रीसंघको करना मुनासिव है जोसे तीर्थ रह जाय अगर नहीं बन्दोवस्त होगा कुछ तो थोड़े वरसों में तीर्थ विछेद होजायगा गङ्गा सब लेजायगी फिर पछतावा होगा अभी तो थोड़े द्रव्यके खरचसे बन्दोवस्त हो सकताहै श्रीसंघ बिलकुल ख्याल करता नहीं है निश्चिन्तहै इसे समस्त श्रीसंघसे बिनती है संघ सामर्थ है सबकार्य करनेको सो उद्दम होना उचित है और तीर्थ भौ बहोत जीर्ण होगये हैं पर १ वरस बाद भी जीर्ण उद्धार होनेसे इतना नुकसान नहीं मालम होताहै इस तीर्थका जीतनौ देरौसे बन्दोवस्त होगा उतना नुकसान दिन दिन बड़ता जायगा खरच वगैरेका इस बातको खव गौर करे धरम रागसें।
और लोग नाम करमके भांगेसे जहांपर अनेक मंदिरजी बने हैं वहांपर और नये मंदिर वनवाते हैं परन्तु जो तीर्थ वौछेद है वा तीर्थ. प्राचीन वने भए जीर्ण होगएहैं स्थान अत्यन्त उसका जीर्ण उद्घार वगैरा नहीं कराते हैं पुण्यवानोंने तो लाखो रुपए खरच करके सौर्य प्रगट करे स्थान बनाये थे प्रबके श्रीसंघसे उसको साचवनौसार संभार तक नहीं हो सकती है भगवान्की पूजा सेवा वगैरा होतीहेके नहीं होतीहै बड़े पाचर्यको वात है कैसा धरम राग श्रावकों का होता जायके कालके दोषसे देवगुरु धरमको भगतो कम होती जाय जैसा ख्याल चिन्ता चितमें है कोई उपाय चलता
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[ ३७ ] नहीं कहाहै। (सुतेको जगाइये। जागतेको कहा जगावना है) ज्यादा क्या अरज करे तोर्चाका प्रगट करनेका जीर्ण उद्धारादीकका वंदोवस्त करना श्रीसंघ समस्तको बहोत जल्दी उचित है थोड़े द्रव्य का खरच है लाखो रुपएको लागतके स्थान वने हैं अभी सैकड़ों रुपए खरचनेसें मरम्मत होजानेसे बहोत कालतक बने रहैगें जीर्ण उद्धार नहीं होनेसे कुछकालमें गौर जायगे तो नए वनने वड़े कठिन है इस बातको दोघं दृष्टि देकर खूब गौर करना उचीतहै
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। विज्ञापन । यह पुस्तक जिसको मगानेको इच्छा होय सो कीमत मेजकर डांकमासूल समेत जौती दरकार होय १ से लगाय १००० तक हमेसा मिलेगी छपो भइ तयार रहतौहै इस ठिकानेसे बाबू माधोलालजी दुगड़ जवहरीके कोठीमें नंवर ४१ बड़तला ईष्ट्रीट कलकत्ने में तथा मगानेवाले साधर्मी भाई अपना ठीकाना नाम जौला सहर वगैरेका खुलासे लिखेगें जिसमें ठिकानेसे पुगजाये।
और खुलासे हाल विस्तारसे इस पुस्तकमें लिखाहै ठिकाने ठिकाने जो जो तीर्थ विद्यमान है वा नहों विद्यमान है वगैरा वर्तमान हाल पुस्तक सव पढ़नेसे समझने में प्रावेगा कर कंकनवत् सुगमतासे ।
और पुस्तकके अन्तमें लिखाहै जो जो तीर्थ बौछेद है वा कल्या. नक भूमौ उसका हाल खुलासे उसपर उपगार वा धर्म का उद्योत वा लाभको दृष्टौ देकर समस्त श्रीसंघको विचार करना मुनासिव है श्रीसंघका घर बड़ा भारी है ऐसे ऐसे तीर्थ बौछेद है तो अवश्य श्री
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[ ३६ ]
संघको उद्यम करके तौर्थ प्रगट करना उचित है उसे धर्मका उद्योत पुरुषका बंध यश लाभ उपगार होगा श्रीसंघ सेवाय कौन समर्थ है ।
और थोड़े थोड़े द्रव्यके खरचनेसे तीर्थ स्थान वन सकते हैं बहोत खरचेका काम नहीं है अनंत कल्यानी श्रीमंघ है मेरौ विनती सुनेगे जरूर धरमरागको नजर देकर एकसे एक पुण्यवान् संध में है वर्त्तमानमें अब भी लाखों रुपये खरच करते है धरम काय्र्यमे नवीन जिन मंदिर वगैरामें तो यह काम तो सर्वसे उत्कृष्टा है करने योग्य |
और जो सहर ग्रामसे तीर्थयात्रा करनेको श्रावक लोग उद्यत होंय उस जगेसे दिसाका सुमार करके पूर्व पश्चिम का रेलवे के टैम टौवलमें डौन अप देखकर रस्ता इस पुस्तक में समझ लेगे कौधर से कौन कौन तीर्थं आवेंगे रस्ता सौधा पड़ेगा तोर्थ सर्वकौ फरसना होगी कारण इस पुस्तक में क्रम पूर्वसे प्रारम्भ करा है पश्चिम जाने को उस मुजब तौथका नाम रस्तेका लिखा है सौधा घुमने को ।
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पूर्व में कलकत्तेसे लगाय दिल्ली पंजावतक रेलके ष्टेशनो पर वा खुसको रस्तों में वा सहरोंमें धर्मशालाका चलन बहोत कम है हमेसां से सरांयका चलन बहोत है सरांये जगे जगे हैं इष्टेशनों पर खुसकी रस्ते में सहरोंमें सब जगे वनौ है मुसाफिर लोग उसमें उतरते हैं भाड़ा देकर धरमशालाका चलन वन्दोवस्त अव होता जाता है जगेर और अवधके जौलेमें वा माड़वाड़ के जलेमें रातको ष्टेशनो 'परसे सहर में ग्राम में जाना नहीं हरतरोका डर भय रहता है रात को रस्तेमे जङ्गल वगैरा पड़ता है सवारी भी नहीं मीलती है कहीं २ इस कारण से टेशनो पर रातकों रहते हैं दिनको सहर मे जांयहैं ।
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॥ बिनती पत्र ॥
॥ समस्त श्रीसंघसे अरज है मैंने अपनी बुद्धि अनुसार जहांतक जानकारयौ वा तलास करनेसे पता पाया वहांतक इस पुस्तक में वा नसें में लिखाहै इसमें कुछ फरक वा भूल वा अशुद्धता होय तो क्षमा करना माफ कराताई वाचनेवाले वा जानकार लोग सुधकर देंगे। ___॥ यह पुस्तक यात्रौ लोगोंको सूर्यवत् प्रकाश करनेवाली है साधर्मी भाईलोग अनुग्रह करके इस पुस्तकको खरीदकर अपने पास यत्नसें रखेंगे उसे वड़ा लाभ उपगार होगा कारण साधर्मी भाई लोग बड़े उत्साह में तीर्थयात्रा करने आते हैं परन्तु सर्व तर्थों को फरसना उदे नहीं पाती अजानपनेसे जोरबड़े२ तीर्थ प्रसिद्ध है उनकी यात्रा करके पीछे चले जाते हैं इस वातका चित्तमें बड़ा खेद होताहै महापुण्य के उदेसे अन्तराय टुटने पर धर्मकार्य तीर्थ यात्रा दिक उदे पाती हैं सो संपूर्ण कल्याणक भूमी वगैरे तीर्थ की फरसना नहीं होती रस्ते में रेलके टेशनोंसे कोस १।२।४।१० पै तीर्थ है परन्तु अजानपनेसे वहां जाने में नहीं आता बलके बहोत श्रावकलोगोंको तो मालुमभी नहीं होगा कहांर तीर्थ हैं भगवानके कल्या. क्यार भएहैं उन नगरियोंका शास्त्रों में क्या नामथा कालके दोषसें अब क्या नामसे प्रसिद्द हैं सो हाल सर्व इस पुस्तकमें खुलासे लिखा है दर्पणवत् जिसके वाचनेसे साधर्मी भाईयोंको मालुम होगा तो तीर्थयात्रामें साहज मिलेगी अवस्य सर्व तौयोंकी फरसना करेंगे कल्याणक भूमौ वगैरा जो रेलके रस्ते में आते जाते पड़तौहै और खरच तो उतनाही आने जाने में लगता है परन्तु अजानपनेसे तीर्थादिककी फरसना उदे नहीं पातौहै कैसे२ उत्तम स्थान लाखों रुपये खरचके पुण्यवानोंने वनाये हैं चमत्कारीक देखने फर्सने योग्य।
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________________ zlopbllo Allegro [ 2 ] // यह पुस्तक १००००छपी है पहले सब जगे जायगी जब वहांका श्रीसंघ वा मन्दिरजीके भंड कीमत भेजकर जीत्ता पुस्तक उस मुजब भे कीमत पुस्तकको मगाने का यह है उसी कौमतसे और पुस्तक छपाकर तयार रहा करेगी जो दौसावर वाला मगावेगा कौमत भेजकर उसी वखत भेजी जायगी मुनासिव है ठीकानेर के श्रीसंघ को वा मं०के भंडारौ लोगों को इस पुस्तकको लोगों में प्रसिद्ध प्रचलित करे बड़े लाभ उपगारका कार्य है और हमेसा मन्दिरजौके भण्डारोंमें 100 या दो सौ पुस्तक मंगायके स्खे बिशेष लागतको जिनस नहींहै थोड़ा द्रव्य लगेगा जिस वखत जिसको दरकार होगी उसे मिलेगी खदेशी प्रदेशौ को तथा एकट्ठीपुस्तक मंगानेसे डांकका मासूल कमतौ लगेगा मनीआडर भेजनेमें सुवीता होगा। // यह पुस्तकको छपाकर साधर्मी भाईयोंके हाथ विक्री होती रहेगी हमेसा उसका मुनाफा जो कुछ प्राता रहेगा उसे तीर्थों के मं० ध० का जौण उद्धार होता रहेगा सम्म तशिखरजी में लगाय हस्तिनापुरजी तकके तीर्थों का वा जीर्ण उद्धारका लाभ समझकर पुस्तकको कीमत लगाई गई है व्योपारके लाभ नौमत नहीं। // इस पुस्तको श्रीगुरुवादिक पण्डितराजको संमती लेकर आज्ञा अनुसार श्रीसंघ के साहाज्य से छपाई है रचना करन हार काशी बनारस निवासी सौतलप्रसाद छाजेड जौहरौने खधर्मी भाईयों के लाभार्थ श्रीतीर्थमाला अमोलकरत्न प्रकाशित किया इसके बनाने में वा सुध करने में जो कोई मन्द मती पनेसे वा नजर दोषसे वा छापके दोष से कोई अक्षर काना मात्रा को भूल रह गई होय तो मय मिछामि दुकडंग देता हूं विहज्जन लोग सुध करके पड़ेंगे अनु ग्रह करके सं० 1850 मि० आसाढ़ सु०५ श्रीरस्तु श्रीकल्याणमस्तु॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara. Surat 'www.umaragyanbhandar.com