________________
[८ ] १।१६ यहांम पपोसागांव को० १८ खसको रस्त सड़कके हैं सवारी सव जाती है उसको शास्त्रमें कोसंभौनगरौ तीर्थ कहा है वहां ६ ठे भ० के कल्या० ४ च. ज. दि. ज्ञा० भयाहै तीर्थ बोछेद है खेत्र फरसना होतीहै जङ्गलहै जीनस कुछनहीं मिलती रस्ते में बजार पड़ते हैं वहां १ छोटासा पहाड़है उसपर डोगम्बरियों का मन्दिर है नौचे ध० है कभी कभी घोलौ भई केसरके छोटे वरसते हैं पहाड़पर॥ यहांसे पौछे प्रयागजी उसी रस्त आयके रेलपर बैठकर पौछे मिरजापुर जाना तथा यहांसे रेल बहुत जगह गई है पछम दक्षिण बुन्देलखण्ड वगैरा । मौ० ५५ मा०॥
१७। मौरजापुर टेसन उतरना सहर को० प्राधा है वुड़ेनाथ महादेवके पास प० । मं० । भ० के हैं बगीचे में दादेजोका मंदिर है यहांसे रेलपर बैठके बनारस जाना। मौ० ४० मा० ॥
१८ मुगलकी सराय जंक्शन टेशनमें उतरना ॥ यहांसे दूसरौ रेलपर बैठकर बनारस जाना। मौ० १० मा० ॥
१८ बनारस टेशन राजघाटके उतरना इसको काशीजीवी कहते हैं सहरहै सुतटोलेमें ध० है रामघाटपर श्रीकुशलाजौका बड़ा मं० । २३ में भ० सावलीयाजीकाहै ८ मं० । भ० के और है ४ तीर्थ जुदे जुदे हैं कल्या० १६ भ० चारके भयेहैं खुसको रस्ता सड़कका है सवारी मिले हैं जिनिस मिले हैं सब । गंगा नौचे वहती है। १-१८ श्रोभेलुपुरजी तौर्य को० १॥ है धम०म० काहै २३ में भ० के कल्या० ४ ध० ज० दि० प्रा० भयाहै वहां दादेजीका मं० है बजार है वहांसे गङ्गाके तरफ थोड़ी दूर जाना। २-१५ श्रीभदयनौजौ तौर्य है ध०३ मं० । भ. काहै ७ में भ० के
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com