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________________ [ २६ ] को वांचकर जहां जहां तीर्थ वगैरा रस्ता रेलका वा खुसकोका वगैरा सव विवस्था खुलासे अनुग्रह करके लिखेंगे तो दुवारा पुस्तक छपेगा उसमें वृद्धि होती जायगी जैसे जैसे जानपना मिलता जायगा स्थानोका वा हैदराबादसे खुसको रस्ते कुलपाकजी मानक खामौका तीर्थ बड़ा चमत्कारौहै वा मंदराजके जौलेमें जैन कांचौमें रत्नोंको मूर्ती अनेक है। यहांसे रेलपर जाना। मौ० २४२ मा० ३७) ७४ भूसावल जंक्शन टेशन उतरना सहरहै ध० है यहांसे रेल नागपुरको गइहै । उस रेलपर बैठके आकोला जाना मौ० ८७ मा०१७) ७५ पाकोला टेशन उतरना गांव है जिनिस मिले हैं ध० है यहांसे खुसको रस्ते को० १८ बैलगाड़ी पर जाना। १-७५ सौरपुर नगर ग्राम है वहां ध० है २३ वें भ० का मं• अंतरोक्षजौका तीर्थ है बहोत प्रभावीक प्राचीन तलावमेंसे सुपना देकर मूरत प्रगट भइथो बालुको बड़ी अवगाहनाको मूर्ती है जमौनसे अधर विराजमान हैं आगे भाले समेत घोड़े सवार नौकल जायथा कालके दोषसे अव पद्मासनके नीचेसे अंग लीना नौकलताहै इसको आद मालुम नहीं है कोस पुण्यवानने स्थापना करोथी मूरतको विशेष हाल तीर्थका शास्त्रसे जानना यहाँसे पोछे टेशन जाना ॥ यहांसे रेलपर बैठकर नागपुर जाना। मौल १५७ मासूल २) ७३ नागपुर जंक्शन टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे रेलको कैलैनहै ॥ यहांसे रेलपर रायपुर जाना मौ०१८० मा०२॥ ७७ रायपुर टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ०के हैं ॥ यहांसे रेल पर बैठकर पौछा भूसावल जंक्शन पाय कर दूसरी रेलमें बैठकर वरांनपुर जाना। मोल २८४ मासूम ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035250
Book TitleSarv Tirtho Ki Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Chhajed
PublisherShitalprasad Chhajed
Publication Year1893
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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