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नया बना है जिसमें प्राचीन समवसरण के चरण लायके स्थापित करे हैं यहांसे खुमको रस्त े गुनाएजौ जाना सवारी सब जाय है। ३ – १२ गुणावां ग्रामको ० ६ इसको शास्त्र में गुणशौलाचैत्य कहा है २४ में भ० ने १४ चौमासा यहां करेथे इसे तीर्थ है तलाव के बीच में मं० । भ० काहै ध० कौनारे पर है जीनस मौले हैं यहांसे खुसकौ राजग्रही जाना सवारी सब जाती है
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४ १२ राजग्रहो नगरौतौर्थ कोस ६ है महर में ध० । मं० ॥ भ० का है तौर्थ पांचों पहाड़ पर है पहाड़ के नाम वौपलाचल, रत्नागिरि, उदयगिरि, सुवर्णगिरि, वैभारगिरि पहले पहाड़पर २० में भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भया है ५ वें पहाड़पर ११ गणधर महाराज २४में भ० के मोक्ष गए हैं डोलौपहाड़ पर जाती है रातको नहीं रहना होता है खानेको भत्ता साथमें ले जाते हैं नौचे अनेक स्थान बने हैं सोनभंडार राजा सेणिकका शालिभद्रजौ नौरमालकुइ गरमपानीके कुण्ड यहांसे खुसकी वडगांव जाना सवारी जाती है । ५- १२ बडगांव कोस 8 है इसको शास्त्र में धनवर गुब्बरग्राम कहा है यहां पहले गणधर २४ में भ० का जन्मस्थानसे तौर्थ है ध० मं० । काहै उसमें मूरते सत्र बौध मतको है १ मूर्त्ति कोने में २४ में भ० की अपनी है जौनस मिले हैं यहांसे खुसको को० १२ वखतौयारपुर ष्टेसन जाना वहांसे रेल पर पटना जाना । मौ० २२ मा० AD १३ पटना ष्ट ेसन उतरना सहर को ० आधा है चौंक बजार बाड़ेकी गलौ में ध० । मं० । भ० केहैं वहांसे कोस २ पर सेठ सुदर्शन का स्थान है उसे कवलद्रह कहते हैं और को० १ पर बगीचे में दादेजी का स्थानहै शास्त्रमें इसको पाडलौपुरनगर कहते हैं यहां चन्द्रगुप्त चानीयको राजधानी थी वा कोस्या बेस्या इहां भई थी। यहांसे रेल पर बैठके बांकीपुर जाना । मो० ६ मा० )|
भ०
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