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________________ । २३ ] ४-६४ मवावंदर जाना सहरहै ध० १६वें भ० का मं० है वालुकी मूरती जीवतस्वामीको है प्राचीन तीर्थ इस नामसे प्रसिद्ध है यहांसे पोछे भावनगर जाना ॥ यहांसे रेलपर बैठकर धौला जंक्शन उतर के दूसरी रेल में जैटलसर होते जुनागड जाना मौ० ११० मा० १) ६५ जैटलसर जंक्शत टेशनसे दोय लैनहै जुनागढ़को रेलपर बैठके जाना मौ० १६ मा० ।) यहांसे रेल वीरावल पटन गइहै। ६६ जुनागड़ टेशन उतरना सहर को० १ है ध० बहोतहै म० भ० के भंडार कारखानाहै यहांसे तलैटौ पहाडको को०२ है सवारी मिले हैं १-६६ तलैटीमें ध० म० भ० काहै वहां यात्री लोगोंको भत्तापानी को भगती करते हैं संघके तरफसे वहांसे पहाड़ पर जाना सवारी डोलीको ऊपर जाय है पहाड़ पर सीडी बनौहै सारे को० ७ को चढ़ाई है रस्ते में पानी १२ जगे मिलताहै ध. रस्ते में बनी है। २-६५ गीरनारजीका तीर्थ पहाड़पैहै को० ४ ऊपर जानेसे मं. २२वें भ. काहै और मंदिर बहोत है पहाड़पर कल्या० ३ दि. ज्ञा० मो० भयेहै २२वें भ० के इस स्थानपै केवल ज्ञान भयाहै यहांसे ऊपर जाना। राजेमतौजौको गुफाहै उपर थोड़ा जाना अधौष्टाता अम्बिकादेवीका मं० है वहांसे नौचेको उतरना होताहै आगे जाकर ३-६६ सहसानहै वहां गुमटीमें चरणोंको स्थापनाहै भगवानने यहां दिक्षा लीथी वह स्थापनाहै यहांसे पीछा ऊपर जाना को०३ ४-६६ पांचवे टंक पर जाना वहां चरणको स्थापनाहै भगवान यहां मोक्ष गयेहैं सो स्थापनाहै यहांसे नीचे पाना वीचके मंदिरजी धरमशालामें और वी स्थान पहाड़पर बहोत बने हैं योगी लोग रहते हैं इस पहाड़में चित्रावेलहै तलावके भीतर पीछे सहरमें आना ५-६६ यहांसे रेल पोरवंदरको गईहै वहांसे खुसको रस्ते को०१४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035250
Book TitleSarv Tirtho Ki Vyavastha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Chhajed
PublisherShitalprasad Chhajed
Publication Year1893
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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