Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 32
________________ [ १० ] पादड़ी साहेबने लावारस स्थान जानकर मूरती उठाके ले गये मगर १ पत्थरमें पालीहर्फ प्राचीन लिपौ मैं बहोतसा लिखा हुया लगाहै उन हरफोंको कोई पढ़ सकता नहीं क्या लिखाहै जगे बड़ी रमणीक है पहाड़के नीचे १ मं० देवौकाहै नदी वहतीहै गांव वस्ताहै जिनिस मिलती है रस्ता गयाजीतक रेल है बांकीपुर टेशनसे वहांसे को० १० सहरघाटौ तक खुसको सडकका रस्ताहै वहां तक सवारी जाय है वहांसे को० ४ हंडरगंज है वहांसे को० १ हटवरीया गांव पूर्व है इतना रस्ता पगडण्डौकाहै बैलगाड़ी जाती है जिस जमोदारका गांव पहाड़ वगैराहै वह कलकत्ते में रहते हैं हकीमजी को गलौ नंबर १० में बड़े रहौस मदनमोहनजी भट्ट है उनसे श्रीसंघसे परचै प्रीति बहोत है वह तीर्थ प्रगट करनेको स्थान देने को मौजुद है श्रीसंघको वह गांव उनके भाइके पास में है उद्यम करने से मोल सकताहै वहां १० वें भ० के कल्या० ४ भएहैं क्षेत्र फरसनाहै। २ श्रीमिथिला नगरौके तीर्थ में १ प्राचीन गुमटी बनीथी उसमें दोनों भगवानके चरन १ स्याम कसौटी पत्थरमें बहोत मनोहर वने भए विराजमानथे प्रतिष्ठा सत्पुरुषोंकी करौ भइहै चरनों में लिखाहै प्राचीन चरण जीर्ण बहोत होगएथे सो भण्डार करके संवत् १८०० कै में जौरन उधार श्रीसंघने कराया तथा मिथिलाजी अब सितामड़ीके नामसे प्रसिद्धहै वहांसे मुदफरपुर सहर पास पडताहै वहां पटने सहरके श्रावक लोगों को दुकानथी इसे प्रामा जाना हमेशा रहताथा तब तक स्थान कायमथा पन्यमती लोगोंका तीर्थहै वहां मगर डरतेथे जबसे दुकाने उठ गई पाना जाना रहा नहीं बहोत दिन वाद अन्यमतीयोंने अपना दखल गुमटौमें कर लिया चरणों पर कपड़ा बिछाकर अपनी मूरती रखकर यात्रियोंसे पूजा कराते कोई पुण्यवान समेपाय वहां गया नौर्य करनेको उन लोगों से दरौ. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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