Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 31
________________ [ २८ ] ९६ चौतौड़गढ़ ष्टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के हैं को० १ कोलाहै उसमें मं० भ० के हैं यहांसे खुसकी रस्ते को० ३५ उदेपुर जाना सवारी सब मिलती है जापताबोलाउका साथमें लेना। १-८६ उदेपुर सहरहै ध० म० भ० के के हैं यहांसे खुसको रस्ते से जाना सवारी सब मिले हैं को. १६ जंगलपहाड़का रस्ताहै जापताबुलाउका साथमें लेनाहोहै जिनिस रस्ते में नहीं मिले हैं। २-८६ धुलेवागांव है जिनिस सब मिले हैं सहर मुजब ध० मं० १ ले भ० श्रीकेशरोयानाथजीका तीर्थ प्राचीन बड़ा चमत्कारौक है मनोबंधकेशर रोज चढ़तौहै छतीस जात बाबाको पूजतौहै आज्ञा माने हैं ३-८६ यहांसे को० ५ पहाड़ पर मं० २३ वें भ. श्रीसांवराजौका तीर्थ है वहांसे पीछे आना ॥ यहांसे पीछा उदेपुर होते चौतौड़गढ़ आयके रेसपर बैठकर अजमेर जाना। मौ० ११६ मा० १४) Homoooooअजमेर जंकशनसे आगरे होके कलकत्ते आवना मी० १०७३ १३) ८७ श्रीअष्टापदजी तीर्थ उत्तर दिशामें हैं अपूर्व तीर्थ है बिना लबधी के तथा देबबल विद्याके साहज बिना फसरना उदे नहीं आसकती है चारों तरफमें विस्तारसे गङ्गा वहतीहै बीचमें पहाड़ है बहोत उचा १ एक जोजनके आंतरेसे सौड़ी ८ है औ सोनेका शिखरबंद बहोत उंचा मं० है उसमें रत्नोंको मूरते २४बि सों भगवानको अपनी काया प्रमाणे विराजमान है वहां १ले भ० का कल्या० १ मो० भयाहै ॥तीर्थीका वर्तमान व्यवस्था जो जो तीर्थ विच्छेद है ॥ १ श्रीभहलपुरजीका तीर्थ छोटेसे पहाड़पर १ मंदिर बनाहै प्राचीन पहले उसमें भ० की मूरती विराजमानथो थोड़े वरस भये कोइ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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