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[ ३३ ] 8 कोसंवी नगरौ तीर्थ में पहाड़पर डिगम्बरियों का मं० है नीचे ध. बगौचाहै जंगल है उस मं० में १ चरण विराजमान थे अपने और कुछ स्थान नहींथा जो यात्रो जाते सो चरणोंको पूजा सेवा करते मं० के पासमें छोटासा पहाड़ है उसकी पूजा करते खेत्र फरसना करके कभी कभी घोली भइ केसरके छोटे वरस्ते हैं यह चमत्कार तीर्थका है वरसमें १ मेला डिगम्बरी लोगों का होताहै कालके दोषसे १ पागल मनुषने मं० में जायकर बड़े अनर्थ करेथे सो अपने चरणको वो खण्डीतकरगैरे पूजने योग्य नहीं रहे श्रीसंघने कुछ खेवटकरी नहीं खेत्र फरसना अवहै वहां राजाका राज्य है पर डिगम्बरी लोग राजौहै श्रीसंघ कुछ इरादा करे तीर्थ प्रगट करनेका तो होसकताहै प्रयागजी में मंदर डिगम्बरियोंकाहै उनके तालुकहै तीर्थ रस्ता प्रयागजीसे को० १८ खुसको सड़ककाहै पपोसा गांवके नामसे प्रसिद्ध है वहां ६ ठे भ० के कल्या. ४ भए हैं।
५ सावधौ नगरौ तीर्थ में खेटमेटके बडे कौलेके भीतर १ शिखरबंद मंदिर अभौतक है थोड़े वरस पहले उसमें मूर्ती ३ रे भ० को विराजमानथौ मूर्तीका आकार दिवालमें पचौथौ सो चुनेमें बनाहै वरस २० भए होगे १ पादरी साहिवन जगे बड़ी रमणीक चमकारोक देखकर कालके दोषसे उनको सन्देह भया यहां द्रव्य जरूरहै जङ्गलमें ऐसा रमणीयक स्थान उद्योत करताहै ऐसे लोभ वश होकर मूर्तीको उठाकर मूलगंभरा खुदाया कुंके तरों नौचे से मूर्ते ३ निकलौ श्रोग्यानी महाराज जाने पहलेको खण्डौतथी के खोदने में खुण्डोत होगई धन तो निकला नहीं बाद उसी मुजब साडा भरवा दिया मूर्तियों को लेगये श्रीसंघने कुछ खेवट करो नहीं उद्यम करते तो मूर्ती पौछी मौल जाती दस्तुरहै लखनऊ सहर वहांसे पास है अब खेत्र फरसना है १ मौलमें कौला पक्का बनाहै
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