Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 12
________________ [ १० ] का कोला कहते हैं महाराजे बलरामपुरकी राजधानीसे को० ५ जंगल में हैं तीर्थ बौछेद है कौलेमें १ मं० भ० का बना है पहले मुरत भ० को विराजमानथी अब नहीं है वहां ३ रे भ० के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भएहैं अब खेत्र फरसनाहै वहां जिनस नहीं मिलती जंगल है। यहां से पीछे उसी रस्ते फैजाबाद आयके रेलमें बैठकर सोहावल जाना। मौ० मा० । २२ सोहावल टेसन उतरना वहांसे नवराही गांव को० १ है बैल की गाडी मिले हैं जादे नहीं कमती दिनमें जाना होताहै रातको सन पर रहते हैं रस्ते में डरसे । मो० ७० मा० १०॥ १-२२ औरत्नपुरी तीर्थ शास्त्र में इसे कहाहै अव नवराही नामसे प्रसिद्ध हैं जिनस सब मिले हैं गांवमें ध० म० भ० का है १५ में भ०के कल्या० ४ च० ज० दि० ज्ञा० भए हैं। यहांसे रेलपर लखनउ जाना २३ लखनउ जंक्शन टेसन उतरना वहां बजारमें सरांय है दिनमें सहर जाना होताहै रातको नहीं रस्त में जंगल पडे हैं डर है इसे सहर को० ३ है सवारी सब मिलतोह म० भ० के सोधौटोले वगैरेमें वा बगीचे में हैं यहांसे रेल पञ्जाबको गईहै ॥ यहांसे रेलपर बैठके कानपुर जाना । मो० ४६ मा०m २४ कानपुर जंक्शन टेसन उतरना सहर थोड़ी दूरहै सवारी सब मिले हैं टेसन पै बजार सरांय हैं उतरनेको चावलपटीमें मं० भ० का है वहांमे कई लैन रेल कोहे ॥ यहांसे फरक्काबादको रेल गई है उसमें बैठके फरकाबाद जाना। मौल ८६ मामूल )। حموم २५ फरमाबाद टेसन उतरना सहरहे बजारमें ध० म० भ० का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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