Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

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Page 16
________________ [ १४ ] सुपनाचन्दनमलजी लोढाको देकर आधी रातको श्रीसंघभगती करताथा जमीन फाडकर २३ वे भ० गोडोजी महाराज प्रगटे तांवेको कुंडीके भीतर विराजमान। जौता सर्प मस्तक पर छत्र करे भए ताजे फलोंका हार गले में धारण करे केसरको प्रांगोरचौ भई दरशन दिया बहोत देशोंके श्रीसंघ एकट्ठा भया था बड़ा चमत्कार देखने में आया था अब उस जगे पर नया मं० भ० का बना कर स्थापना करीहे तीर्थ को॥ यहांसे दूसरी रेलपर पालोजाना मौ० १८ मा०) ४. पाली टेशन उतरना सहरहै ध० म० भ० के सहरमें । सहरके बाहर पहाड़पर वगैरा बहोत है यहांसे जोधपुर जाना मौ० २५ ॥ ४१ लैनी जंक्शन टेशनमें उतर कर दूसरी रेल जोधपुरवालोमें बैठना ॥ यहांसे दो लैनहै जोधपुर जाना। मौ० २० मा० )। ४२ जोधपुर टेशन उतरना सहरहै । ध० म० भ० के अनेक है यहां से खुसको रस्ते जाना को० १६ सवारी सब मिले हैं। १-४२ ओसानगरौ सहरहै ध० म० भ० के प्राचीन है श्रीआचार्य महाराजने वहांके राजाको सर्व प्रजा समेत उपदेश देकर जैनौ कराथा वहांपर ओस बालवंशको थापना करो वहांसे पौछा जोधपुर पाना ॥ यहांसे रेलपर बैठकर मेरता जाना मौ०६४ मा० ॥5॥ ४३ मेरता तथा फलौदी दोनों नामसे टेशन है शहर थोड़ी दूर है। १.-४३ फलौदी सहरहै ध० म० भ० के हैं तथा २३ में भ. श्रीफलौदौजीका तीर्थ है। यहांसे खुसको रस्ते को० ४ मेरताहै सवारी मिले है २-४३ मेरता सहरहै ध० म० भ० के हैं यहांसे पीछे ष्टेशन जाना यहांसे रेलपर बैठकर नागौर जाना । मौ० ३५ मा० IDR Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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