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[ २१ ] ६२ सोनगढ़ टेशन उतरना वहांसे गांव को० १ है ध० है यहांसे खुसको रस्ते को०६ पालीताने जाना बैलगाड़ी वगैरा सवारी मिले है १-६२ पालीतांना सहरहै ध० भौतर सहरके और वाहर बहोत है मं० भ० का है भण्डार कारखाना वगैरा है वगौचेमें दादेजीका स्थान है यहांसे श्रीसौडाचलजीका पहाड़ को० १ तलैटौहै पहाड़ को चढ़ाई को. ३ को बहोत सुगम है रस्ते में चढ़ते भए २३ में भ० कल कुंडजौके चरणको थापनाहै हींगलाजके हाड़ेपै डोली को सवारी पहाड़पर जायहै रातको पहाड़पर रहने का तथा खाने पौनेका वेहवार नहींहै असातना सब टालनी होय है नहाने का वन्दोवस्त उपरवौहै पहाड़को बधायके पूजा करके उपर जाना २-६२ तलैटीमें नया मंदिरजी अब बनाहै आगे नहींथा तथा ध० है वहां यात्री लोगोंको भत्तापानीको भगतो करते हैं श्रीसंघको तरफसे तलैटी तलक बैलगाड़ी जातीहै लोग जाय कर वहांसे डोलीपर बैठते हैं बहुधा लोग धरमशानासे डोलोपै बैठकर जायहै पुण्यवान पैदल यात्रा करते हैं १ वा २ जैसी सकतौ शरीरको। ३.-६२ श्रीसोद्धाचलजीके पहाड़ पर १ ले भ० का मं० मूलनायक जीकाहै उसे मूलवसही कहते हैं वहां फेरोमें रायनतले पगलाहै। १ ले भ० का मंदिरजौके सामने १ ले भ० के पहले गणधरका मं० है और अनेक मंदिर मूरते चरणोंको स्थापनाहै हजारों धरमद्रुवारी है २२ वें भ० के बिवाहको चौरीहै अधिष्टाता। चकेवरी माताका स्थान है सूर्य कुण्ड है जिसमें चंदराजा कुकडेसे मनुष भया था घेटी को पान उलका झोल चेलन तलाइ। सौइसोला। सौड़बड़ ! सत्रुजे नदी वगैरा स्थान है फेरी तीन को०.३ को०६ को० १२ पहाड़कौ है ४-६२ मोतीवसही अपूर्व बनौहै म० भ०के बहोत है अनेक मूर्ते हैं ५-६२ वहांसे और वसहोयोको रस्ताहै नाम इस मुजब बसहीयो. के साकरवसही नंदोखर दीप उजमवसही पेमा वसही छोपावसही
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