Book Title: Sarv Tirtho Ki Vyavastha
Author(s): Shitalprasad Chhajed
Publisher: Shitalprasad Chhajed

View full book text
Previous | Next

Page 18
________________ [ १६ ] भ. काहै वहां सब असवाव रख कर बैलगाडीमें जाना की. ३ पूजाका असवाव तथा भत्ताखाने को सौधा सामान वगैरा जरूरी सामान साथमें लेना जोखम गहना वगैरे विशेष नहीं लेजाना कारण बड़ा जंगल है सबतरोंका भय है सोपाई वगैरा वोलाउ साथमें उस गांवमेंसे भण्डारके मारफतसे जरूर लेना हथीयार समेत तथा दरशन पूजा करके पीछे चले आते हैं लोग वा रातकोवी रहते हैं श्रीसंघके समुदायसे यह इच्छाकी बात है कुछ दस्तुर नहीं है। १ रांनपुरेजी तीर्थ को० ३ है ध० म० भ० काहै ऐसौ मांडनी मंदिर जौको और कहीं नहीं है ८४ तो भवरातलघरा तीन तीन खनकाहै मं० भ० का तीन खनकाहै सब जगे चौमुखजी विराजमान है खभा २००० लगे हैं करोड़ों रुपयेको लागतंका बड़ा भारी मंदिरजी बनाहै सब पत्थरका अपूर्व वहांसे पीछा आनकर सादरी जाना। ४-४७ सादरोग्राम को० ३ है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० के संप्रति राजाके बनाये भएहैं अपूर्व वहांसे धानेराव जाना। ५-४७ धानेरावग्राम को० ५ है जिनिस सब मिले हैं ध० म० भ० काहै वहांसे बैलगाड़ीपर को० १ जंगलमें जाना होताहै सब प्रसवाव यहां रखकर पूजाका सामान भत्ताखानेका वगैरा जरूरी असवाव साथमें लेकर जाना दर्शन पूजा करके चले भावना साथमें जापता बुलाउका भण्डारवालोंके मारफतसे हथीयार समेत जरूर लेना होता है रानपुरेजौके तरे समज लेना। १ मुछाले २४ वें भ० का तीर्थ बड़ा चमत्कारीक प्रसिद्ध है ध० मं. भ• काहे यहांसे मान कर नाडुलाइ जाना। ६-४७ नाडुलाइग्राम को. ३ है सब जिनिस मिले हैं ध. मं. भ० के १३ है प्राचीन नाडुलाइ तीर्थ प्रसिद्धहै यहांसे रानी को. ३ है। वहांसे रानौटेशन पायके नांना जाना । मौ. २४ मा० ।) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42